Monday, July 1, 2024
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आय में उतार-चढ़ाव के बीच रोडवेजकर्मी बेहाल

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  • ड्यूटी से भी अधिक मैन्युअली टिकट बनाने और हिसाब-किताब देने में लगाना पड़ रहा समय

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: बीती 25 अप्रैल से हैक किए गए यूपी रोडवेज के ई टिकटिंग सिस्टम का असर आय से अधिक रोडवेजकर्मियों पर पड़ रहा है। उन्हें अपनी ड्यूटी जितना समय मैन्युअली टिकट बनाने और हिसाब-किताब देने में लगाना पड़ रहा है। यही आलम कार्यालय स्टाफ का भी है, जिन्हें परिचालकों का पूरा लेखा-जोखा मैन्युअली रखने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि 25 अप्रैल को विदेशी हैकरों ने नवी मुंबई स्थित उस कंपनी की साइट को हैक कर लिया, जो यूपी रोडवेज की ई-टिकटिंग प्रणाली को संचालित करती है। बताया गया है कि साइट को मुक्त करने की एवज में हैकरों ने 40 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी में मांग की हुई है। हालांकि साइबर टीम हैकरों का पता लगाने में और संबंधित कंपनी तकनीकी जानकारों के माध्यम से साइट को फिर से संचालित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन इस काम में आठ से 10 दिन का समय लगने की बात कही गई है।

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इस बीच टिकटों को बनाने का काम ईटीएम के बजाय मैन्युअली कराया जा रहा है। यह काम करने का कोई अभ्यास न होने के कारण परिचालकों को बहुत अधिक समय लग रहा है। वहीं बसों के टिकट का हिसाब किताब करने में भी कई घंटे अधिक लग रहे हैं। इसका अनुमान मोटे तौर पर ईवीएम और बैलेट पेपर से डाले जाने वाले मतों की गिनती में लगने वाले समय के अंतर से लगाया जा सकता है।

परिवहन निगम को होने वाली आय और बसों द्वारा तय किए जाने वाली दूरी में भी इस अवधि में काफी अंतर आया है।विभागीय अधिकारी बताते हैं कि मेरठ परिक्षेत्र में साइट हैक होने से एक दिन पहले 24 अप्रैल को 637 बसों ने दो लाख 23 हजार 43 किमी का सफर तय किया। इन बसों ने 24 अप्रैल को एक करोड़ 19 लाख 45 हजार 320 रुपये की आय दी।

जबकि 25 अप्रैल में संचालन में भारी गिरावट आई, और बसें सिर्फ एक लाख 66 हजार 449 किमी चलकर 89 लाख 22 हजार 592 रुपये की आय तक सिमट गई। हालांकि दो मई को 630 बसों ने एक लाख 82 हजार 562 किमी का सफर तय करते हुए एक करोड़ दो लाख 12 हजार 384 रुपये की आय का औसत दिया। इनमें से बड़ौत, सोहराब गेट और मेरठ डिपो की 55 बसें चुनाव ड्यूटी में भी भेजी गई हैं।

ई-टिकटिंग की व्यवस्था गड़बड़ होने से छोटे रूट पर चलने वाली बसों में थोड़ा व्यवधान जरूर हुआ है। लेकिन लंबे रूट पर चलने वाली गाड़ियों को कंडक्टर और कार्यालय स्टाफ ने बहुत अच्छे से मैनेज किया है। इस दौरान कोई हानि वाली बात नहीं है,

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बल्कि कई डिपो में लाभ की स्थिति देखने को मिल रही है। आशा है कि शीघ्र ही हम इस स्थिति से उभर जाएंगे, और ई-टिकटिंग की व्यवस्था फिर से लागू हो जाएगी। -मुकेश अग्रवाल, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक वित्त, मेरठ परिक्षेत्र-मेरठ

सीएमओ का फर्जी नियुक्ति पत्र कैसे पहुंचा 29 लोगों तक

स्वास्थ्य विभाग द्वारा सीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर किया नियुक्तिपत्र सोशल मीडिया पर 29 लोगों को पहुंचाना अपने आप में बड़ी बात है। हालांकि सीएमओ ने अपने आप को इस प्रकरण से पूरी तरह अनजान बताया है लेकिन यह कहीं न कहीं मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से भी जुड़ा हो सकता है। सीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर द्वारा नियुक्ति दिए जाने का जो पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसमे 29 लोगों को नाम भी शामिल है।

इनमें नितू शर्मा, स्वाति देवी, अनिता, मधू, हिमानी, मिनाक्षी, बेबी, सपना गौतम, सुरभी भारती, प्रियंका, संगीता, प्रतीभा पुशखर, उर्वशी, रानी देवी, काजल जैसवाल, नेहा सिंह, कुमारी चंचल, सविता भारती, संध्या, रितिका वर्मा, मानसी, अलकेश, मनीषा, सिवाली, अंजली, सुधीर, रोहित कुमार व कपिल कुमार के नाम शामिल हैं। इन सभी की सूची सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। जबकि सूची में सात लोगों के हस्ताक्षर भी हुए है

जिससे यह साफ हो रहा है कि कहीं न कहीं यह लोग किसी न किसी के संपर्क में थे। पूरे प्रकरण को लेकर थाना सिविल लाइन में अज्ञात में मुकदमा दर्ज तो हो गया है लेकिन सवाल यह कि क्या पुलिस सूची में शामिल उन लोगो से भी पूछताछ करेगी जिनके नाम दिए गए है। क्या ऐसा संभव है कि जिन नामों को फर्जी नियुक्तिपत्र जारी किये जाने थे वह उस व्यक्ति को नहीं जानते हो जिसने उनके नाम सूची में शामिल किए।

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