- कार्रवाई के नाम पर कैसे कांप रहे एमडीए इंजीनियरों के हाथ?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रोहटा रोड बाइपास से चंद कदम की दूरी पर हैं कृष्णा वर्ल्ड कॉलोनी। इसका अवैध विस्तार वर्तमान में चल रहा हैं। इसका किसी तरह का मानचित्र एमडीए से स्वीकृत नहीं कराया गया। इसमें इंजीनियरों का संरक्षण प्राप्त हैं। नोटिस तक इस अवैध कॉलोनी को नहीं दिया गया, लेकिन फिर भी प्लाटिंग की जा रही हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा की प्रदेश में सरकार हैं, लेकिन सपा के नेता इस कॉलोनी का अवैध विस्तार कर रहे हैं। इस पर एमडीए के इंजीनियर आखिर इतने मेहरबान क्यों हैं? बिल्डर के खिलाफ एमडीए के अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। पीछे के हिस्से में ताबड़तोड़ मकानों का निर्माण चल रहा हैं, जिनको नोटिस तक नहीं दिया गया। उनका मानचित्र तक स्वीकृत नहीं हैं। आखिर इनके खिलाफ कार्रवाई करने से एमडीए इंजीनियरों के हाथ कैसे कांप रहे हैं?
कृष्णा वर्ल्ड को विकसित किया गया। अब इसका अवैध विस्तार किया जा रहा हैं। विस्तार भी करीब 90 बीघा में किया जा रहा हैं, जो एमडीए के इंजीनियरों को दिखाई नहीं देता। बताया गया सूरज यादव आदि की यह कॉलोनी अवैध तरीके से फल-फूल रही हैं। इस कॉलोनी के पिछले हिस्से में जंगल हैं, जिसमें इसका विस्तार किया जा रहा हैं।
विस्तार करने से पहले एमडीए में इसका मानचित्र देना अनिवार्य होता हैं, मगर एमडीए में कोई मानचित्र दाखिल नहीं किया गया। पहले भी अवैध कॉलोनी काटी, फिर विस्तार भी अवैध ही किया जा रहा हैं। यही वजह है कि अवैध कॉलोनी तो खूब कट रही हैं, जिसके चलते एमडीए को राजस्व की प्राप्ति नहीं हो पा रही हैं। डा. प्रभात कुमार के कार्यकाल में कभी एमडीए का राजस्व समन से तीन माह का छह करोड़ तक पहुंचा हैं, लेकिन वर्तमान में बुरी हालत हैं। राजस्व वसूली के नाम पर एमडीए पिछड़ रहा हैं।
कंकरखेड़ा थाने के सामने बना दी अवैध बिल्डिंग
थाने के सामने ही अवैध निर्माण चल रहा हैं। इंजीनियरों का कहना है कि थाने को अवैध निर्माण रुकवाने को चिठ्ठी लिख दी, फिर कैसे अवैध निर्माण होते हुए तीसरी मंजिल तक पहुंच गया। यहां पहले मकान था, इसको तोड़कर अवैध तरीके से बिल्डिंग बना दी गई।
इसमें बेसमेंट भी बनाया गया है, इसके बाद ग्राउंड फ्लोर और प्रथम मंजिल तक बन चुका हैं। दूसरी और तीसरी मंजिल पर काम चल रहा हैं। एमडीए के इंजीनियरों ने अवैध निर्माणकर्ता को नोटिस तक नहीं दिया। इस तरह के व्यवहार से स्पष्ट होता है कि इंजीनियर की सेटिंग से पूरा खेल चल रहा हैं। एमडीए के इंजीनियर अवैध निर्माणकर्ता पर खास मेहरबान बने हुए हैं। आखिर अवैध निर्माण का ध्वस्तीकरण क्यों नहीं किया जा रहा हैं? इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? क्या इंजीनियरों पर एमडीए उपाध्यक्ष कार्रवाई करेंगे?