Tuesday, July 9, 2024
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आज से पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में उतरेगा संयुक्त किसान मोर्चा

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में चल रही विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने वहां के रण में उतरने की पूरी तैयारी कर ली है। मोर्चा ने 12 मार्च से तीन दिन का वहां का कार्यक्रम भी जारी कर दिया है जिसमें बैठक से लेकर पंचायत तक शामिल हैं।

इस दौरान मोर्चा के नेता और पदाधिकारी वहां भाजपा व उसके सहयोगी दलों को वोट न देने की अपील करेंगे। इसके साथ ही किसानों से दिल्ली की सीमाओं से वापस नहीं जाने की अपील भी की जा रही है।

इधर, पंजाब में भी किसान नेताओं ने कमर कस ली है। भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि बंगाल सहित 5 राज्यों में किसान जत्थेबंदियां जाएंगी। जहां मतदाता से आग्रह करेंगी कि वे भाजपा को छोड़कर अन्य किसी राजनीतिक दल को मतदान करें।

उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों पर किसान जत्थेबंदियां कृषि कानूनों की प्रतियां वितरित कर उसके नुकसान को बताएंगी। प्रत्येक जत्थेबंदियां बंगाल में रोज 3 से 4 रैलियां करेंगी। प्रत्येक जत्थेबंदी हर जिले में 12 रैलियां करेगी।

वीरवार को टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के आगामी कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई। जिसके अनुसार किसान नेता 12 मार्च को पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा का विरोध करेंगे। 23 मार्च को शहीद भगत सिंह का शहीदी दिवस मनाया जाएगा।

जिसमें युवाओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में दिल्ली के बॉर्डरों पर पहुंचने की अपील की गई है। 26 मार्च को आंदोलन के 4 महीने होने पर भारत बंद किया जाएगा। इसके अलावा 28 मार्च को होली के त्योहार पर तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी। इधर, रेवाड़ी के खेड़ा बॉर्डर पर वीरवार को राजस्थान के भरतपुर व जोधपुर से 100 से अधिक किसानों का दल धरनास्थल पर पहुंचा।

जत्थेबंदियों की दो टीमें असम पहुंची: राजेवाल

चंडीगढ़ में किसान भवन में वीरवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि जत्थेबंदियों की दो टीमें पहले ही असम पहुंच चुकी हैं। उन्होंने कहा कि वे निजीकरण के खिलाफ ट्रेड यूनियनों के 15 मार्च के आह्वान का समर्थन करेंगे। 26 मार्च को भारत बंद में शामिल होंगे। 19 को पेट्रो पदार्थों पर बढ़ी कीमतों के विरोध में प्रदर्शन करेंगे।

उन्होंने कहा कि पंजाब और बंगाल वह हैं, जो विभाजन के दौरान सबसे अधिक दंश झेल चुके हैं। ये दोनों राज्य ही किसान आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हर राज्य में जाएंगे। किसान नेता हरमीत सिंह कादियान और प्रोफेसर मनजीत सिंह ने कहा कि आंदोलन के लिए कोई वित्तपोषण नहीं किया जा रहा है।

कैप्टन के फैसले से खुश नहीं किसान

बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि वह कैप्टन सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें कृषि कानूनों में संशोधन करने के बजाय कानूनों को ही खारिज कर देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि आंदोलन का निष्कर्ष सरकार के हाथों में है, यदि सरकार उन्हे बुलाती है तो वह बात करने के लिए तैयार हैं।

17 को सिंघु सीमा पर विशाल रैली

किसान नेता अशोक धावले ने कहा कि किसान और व्यापार संघ मिलकर 15 व 16 मार्च को पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि और निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। 17 मार्च को तमाम ट्रेड यूनियन और सामाजिक संगठन, किसान संगठन सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठे होकर विशाल रैली करेंगे। 19 मार्च को मंडी बचाओ-खेती बचाओ दिवस मनाएंगे।

169 दिन बाद रेलवे ट्रैक किया खाली

किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी ने जंडियाला गुरु में अमृतसर-दिल्ली रेल ट्रैक पर 169 दिन से लगाए जा रहे रेल रोको प्रदर्शन को वापस ले लिया है। किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी की कोर कमेटी की बैठक बुधवार देर रात प्रदर्शन स्थल पर आयोजित की गई। बैठक में फैसला किया गया कि गेहूं की कटाई व धान की बुआई तक किसान-मजदूर खेतों में व्यस्त रहेंगे। इस कारण रेल रोको प्रदर्शन इस समय के लिए वापस ले लिया गया है।

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