- बस अड्डा नहीं होने के कारण सड़कों पर खड़ी हो रही सरकारी बसें, मंडी समिति ने भी किया बाहर
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: ऐतिहासिक नगरी सरधना मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। दशकों से मांग उठ रही है, लेकिन आज तक सरधना को रोडवेज बस अड्डा नसीब नहीं हो रहा है। हालत यह है कि सरकारी बसें लावारिस की तरह सड़कों पर खड़ी रहती हैं। मंडी समिति ने भी इन बसों को बाहर खदेड़ दिया है। जिसके चलते बसों को खड़ी करने की कोई जगह ही नहीं बची है। सड़कों पर खड़ी यह बसें जाम का सबब बन रही हैं। मगर जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक पूरी तरह से आंखे मूंदे बैठे हैं। सौतेले व्यवहार का खामियाजा लोगों पर भारी पड़ रहा है।
सरधना कस्बा राजनीतिक विरासत से लेकर सांस्कृतिक और व्यापार तक विशेष महत्व रखता है। मगर आज तक सरधना को अपना हक नहीं मिल पाया है। कस्बे के विकास के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाएं सरधना को आज तक नसीब नहीं हो सकी है। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए यातायात का संपर्क एक-दूसरे जिलों से होना बेहद जरूरी होता है। मगर अफसोस सरधना को आज तक यह हक नहीं मिल पाया है।
सरधना की जनता दशकों से रोडवेज बस अड्डे की मांग कर रही है। मगर आज तक यह मांग पूरी नहीं हुई है। चुनावी समर में नेता भी वादे करते हैं और चुनाव के साथ वादें भी गायब हो जाते हैं। वर्तमान में हालत यह है कि सरधना में सरकारी बसें लावारिस हो गई हैं। रोडवेज, सिटी बस, इलैक्ट्रिक बस से लेकर वोल्वो बस सभी सड़कों पर धूल फांक रही हैं। क्योंकि उन्हें खड़ी करने के लिए कोई बस अड्डा नहीं है।
कुछ समय से यह बसें मंडी समिति के परिसर में खड़ी हो रही थी। मगर अब मंडी समिति ने भी उन्हें बाहर खदेड़ दिया है। उससे भी दुखद यह है कि एक पखवाड़ें से बसों को लेकर चालक इधर उधर चक्कर काट रहे हैं। अधिकारियों को अवगत भी करा चुके हैं। मगर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सड़कों पर खड़ी यह बसें जाम का सबब बन रही हैं। मगर सिस्टम पूरी तरह आंखे मूंदे बैठा है।
जीएसटी लेने के लिए मंथन कर रही नगर पालिका
मवाना: नगर की वीआईपी रोड पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली शहीद चंद्रभान प्रदर्शनी के ठेकेदार की रकम पर लगी जीएसटी जमा कराने को लेकर नगर पालिका में अभी मथंन चल रहा है। जबकि मेला का उदघाटन हुए भी दो सप्ताह से अधिक का समय हो गया। ठेकेदार से पैसा जमा कराने के जगह 18 दिन बाद भी नगर पालिका सिर्फ मंथन ही कर रही है। सरकार के पैसे में देरी होने की जिम्मेदारी किसकी होगी, तय होना मुश्किल हो रहा है।
बता दे कि नगर की वीआईपी रोड पर प्रतिवर्ष शहीद चंद्रभान प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। अब से पूर्व प्रदर्शनी का आयोजिन कमेटी के देखरेख में होता था। शहीद चंद्रभान प्रदर्शनी में पिछले साल आयोजक समिति व ठेकेदार के बीच विवाद हो गया था। जिसके चलते प्रशासन ने आयोजकों की अनुमति निरस्त कर दी थी और बाद में नगर पालिका मवाना द्वारा ठेका छोड़कर प्रदर्शनी लगाई गई थी। इस बार 8 अगस्त को नगर पालिका मवाना ने ठेके पर खुली बोली लगवाई थी। जिसमें मैसर्स लक्ष्य कंस्ट्रक्शन की ओर से सर्वाधिक 30 लाख की बोली लगाकर ठेका अपने नाम कर लिया गया था।
आखिर कब जमा होगे जीएसटी के 5 लाख 40 हजार
मेले का ठेका छूटे 18 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक 18 प्रतिशत जीएसटी, यानि 30 लाख की जीएसटी 5 लाख 40 हजार रुपया अभी तक जमा नहीं हो पाया है। यह सीधे तौर पर सरकार के राजस्व पर चोट है। चर्चा तो यहां तक भी है कि पालिका अधिकारियों द्वारा ठेकेदार से सेटिंग कर जीएसटी का पैसा ठेके की रकम में ही एडजस्ट करने की कवायद की जा रही है। तभी तो पालिका अधिकारी सीधे जवाब देने से बच रहे हैं और गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
क्या कहते है अधिशासी अधिकारी
ईओ नगर पालिका राजीव जैन ने पहले तो कहा कि जीएसटी तो उसी तीस लाख में ही है। लेकिन दोबारा पूछने पर कहा कि मंथन चल रहा है। यह मंथन क्या और इसमें मंथन की कोई जरूरत भी है यह मंथन क्या है और क्यों हो रहा है, यक्ष प्रश्न है।