Tuesday, April 22, 2025
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पलटे सतपाल, आज नहीं लेकिन फिर आएंगे शामली

  • किसान सम्मेलन स्थगित होने के बाद रालोद को बताया अपनी पार्टी बताई
  • चौ. चरणसिंह के पौत्र जयंत चौधरी के प्रति बताया सॉफ्ट कॉर्नर
  • राज्यपाल से जयंत के मिलने जाने के बयान से गर्माया माहौल

राजपाल पारवा |

शामली: रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ किसान महासम्मेलन में मंच साझा करने से इंकार करने के अगले ही दिन मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक पलट गए। उन्होंने कहा कि रालोद तो हमारी पार्टी है। चौ. चरणसिंह के पौत्र जयंत चौधरी के प्रति उनका सॉफ्ट कॉर्नर है। शामली का तीन अक्टूबर का किसान सम्मेलन धारा-144 लागू होने के कारण स्थगित हुआ, लेकिन भविष्य में वे शामली आएंगे।

दरअसल, तीन अक्टूबर यानी सोमवार को शामली में रालोद का किसान महासम्मेलन प्रस्तावित था। सम्मेलन में मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के किसान हितों के लिए एक मंच पर साथ आने का खाका रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने खींचा था।

फिर, जयंत चौधरी के ग्रीन सिग्नल के बाद जिला कार्यकारिणी ने न केवल किसान सम्मेलन के लिए शहर स्थित ब्रिगेडियर होशियार सिंह मैमोरियल इंटर कालेज के ग्राउंड को फाइनल कर दिया था बल्कि रालोद विधायक प्रसन्न चौधरी और अशरफ अली खान, पूर्व विधायक राव अब्दुल वारिस समेत अन्य नेताओं ने सम्मेलन की सफलता को देहात क्षेत्र के गांवों में सघन जनसंपर्क भी प्रारंभ कर दिया था।

दैनिक जनवाणी ने सबसे पहले 25 सितंबर को शामली में मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक और जयंत चौधरी के मंच साझा करने पर ‘कान्हा की नगरी में मिलेंगे सतपाल मलिक और जयंत चौधरी के सुर’ एक्सक्लूसिव खबर प्रकाशित की थी।
इसके बाद सतपाल मलिक और जयंत चौधरी के शामली में मंच साझा करने की खबर मीडिया की सुर्खियां बन गया।

भाजपा नेता और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद का दायित्व संभालते हुए रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ मंच साझा करने पर सतपाल मलिक ने गत 30 सितंबर को एक चैनल के रिपोर्टर से बातचीत में चुप्पी तोड़ते हुए सम्मेलन में आने से इंकार करत हुए कहा था कि वे भविष्य में न तो कोई पार्टी ज्वाइन करेंगे, न ही चुनाव लडेगे।

शामली के किसान सम्मेलन में कोई झंड़ा पताका नहीं है। ये किसी पार्टी का नहीं बल्कि किसान सम्मेलन है। इसमें मेरे साथ जयंत जा रहे हैं इसलिए वे बताएं क्यों जा रहे हैं? जयंत मेरे से मिलने आए थे। साथ ही, सम्मेलन में साथ रहने की इजाजत मांगी थी।

राज्यपाल सतपाल मलिक के उक्त बयान के बाद रालोद सकते में आ गया। हाईकमान के इशारे पर उसी दिन क्षेत्रीय अध्यक्ष योगेंद्र चेयरमैन रालोद विधायक प्रसन्न चौधरी व अशरफ अली खान ने प्रेसवार्ता में तीन अक्टूबर के प्रस्तावित सम्मेलन के स्थगित होने की जानकारी दी। इसका कारण जनपद में धारा-144 लागू होना बताया गया। हालांकि पूर्व में रालोद की धारा-144 में पूर्व में भी प्रशासन द्वारा सशर्त सभा की अनुमति प्रदान की गई और सभा भी हुई हैं। इसलिए सम्मेलन स्थगित होने पीछे के कारण ही दूसरे रहे।

दरअसल, तीन अक्टूबर का शामली का किसान महासम्मेलन स्थगित होने के पीछे धारा-144 न होकर राज्यपाल सतपाल मलिक का 30 सितंबर का न्यूज चैनल को दिया गया बयान था। इस बयान में सतपाल मलिक ने कहा, ‘जयंत चौधरी उनके पास आए थे और सम्मेलन में मंच साझा करने की इजाजत मांगी थी’, बयान ने आग में घी का कार्य किया। क्योंकि राज्यपाल सतपाल मलिक से जयंत चौधरी मिलने गए ही नहीं थे।

फिर भी, मलिक सफेद झूठ बोल गए। हालांकि रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने राज्यपाल सतपाल मलिक से जरूर मुलाकात की थी। राजनीति गलियारों में चर्चा है कि त्रिलोक त्यागी की सतपाल मलिक से शामली के किसान सम्मेलन पर चर्चा हुई थी। त्रिलोक त्यागी के ही प्रयास थे कि सतपाल मलिक और जयंत चौधरी एक मंच पर आएं। इस बात को शनिवार को उस समय बल मिला जब शनिवार को हापुड़ में राज्यपाल सतपाल मलिक की प्रेसवार्ता के दौरान रालोद नेता त्रिलोक त्यागी उनकी दायीं बगल में बैठे हुए नजर आए।

इसी प्रेसवार्ता में सतपाल मलिक का मिजाज भी एक बार फिर बदला नजर आया। पत्रकारों से बातचीत में मलिक ने साफ कहा कि रालोद हमारी पार्टी है। हम इसमें से निकले हैं। जयंत चौधरी, चौधरी चरणसिंह के पौत्र हैं इसलिए उनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर है। राज्यपाल ने यहां तक कहा कि शामली का तीन अक्टूबर का किसान सम्मेलन वहां धारा-144 लागू होने के कारण स्थगित हुआ है। वे कानूनी पॉजीशन पर रहते हुए कानून नहीं तोड़ सकते।

साथ ही, राज्यपाल पद से रिटायरमेंट के बाद चुनाव न लड़ने तथा कोई भी पार्टी ज्वाइन न करने का दावा तो किया लेकिन यह भी कहा कि जो हमदर्द हैं, उनके लिए जाऊंगा। फिर, शामली जाएंगे। इससे साफ है कि शामली का तीन अक्टूबर का किसान महासम्मेलन स्थगित होने के पीछे राज्यपाल सतपाल मलिक का जयंत चौधरी के उनसे मिलने आने तथा सम्मेलन में मंच पर साथ होने की इजाजत मांगने वाला ब्यान रहा है।

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