- खाकी धड़ल्ले से अपनी जेबे गर्म करने में जुटी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिले में वाहनों की चेकिंग के नाम पर खाकी धड़ल्ले से अपनी जेब गर्म करने में जुटी है। वहीं पुलिस अफसरों की मेहरबानी के चलते अवैध वसूली पर किसी तरह का शिकंजा नहीं कसा जाता है। वाहन चालकों को ट्रैफिक नियम कायदों का पाठ पढ़ाने वाली ट्रैफिक पुलिस की अवैध वसूली का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा।
शहरी क्षेत्र के अलग अलग हिस्सों में वाहनों की चेकिंग और ट्रैफिक नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए खड़ी ट्रैफिक पुलिस की अवैध वसूली अभी भी बदस्तूर जारी है। ट्रैफिक एसआई से लेकर हेडकांस्टेबल और कांस्टेबल व ट्रैफिक होमगार्ड शहर में चेकिंग प्वाइंट पर खड़े होकर सुबह से ही दुपहिया वाहनों और चौपहिया वाहनों को चेक करने में जुट जाते हैं।
ऐसे होती है वसूली
दुपहिया वाहन चालकों को हेलमेट न लगाने और वाहन की आरसी न दिखाने तथा नंबर प्लेट पर आढ़े तिरछे नंबर लिखे जाने या तीन सवारी होने पर ट्रैफिक पुलिस के होमगार्ड उन्हें बीच सड़क पर आगे आकर हाथ देकर रोक लेते हैं। वाहन चालक को ट्रैफिक कांस्टेबल के पास ले जाता है। कांस्टेबल वाहन चालक से कागजात से लेकर ट्रैफिक नियमों की अवहेलना का हवाला देकर उनका पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक का चालान करने की चेतावनी देता है।
बस यहीं से शुरु हो जाता है अवैध वसूली का असली खेल। वाहन चालक पर ट्रैफिक पुलिस जिस तरह का चालान करने के लिए कहती है। उसी तरह के चालान की एवज में उससे अवैध वसूली के रुप में रकम वसूली जाती है। रुपये लेते वक्त होमगार्ड या ट्रैफिक पुलिस हाथ पीछे कमर की ओर ले जाते हैं और बंद मुट्ठी में नोट थाम लेते हैं। उसके बाद वाहन चालक आराम से अपने वाहन पर बैठकर निकल जाता है। यह अवैध वसूली का खेल शहर के एक चेकिंग प्वाइंट पर नहीं खेला जाता।
यह खेल ट्रैफिक पुलिस शहर के अलग अलग क्षेत्रों में हर रोज नये प्वाइंट बनाकर शुरु करती है। चेकिंग के नाम पर ट्रैफिक पुलिस सैंकड़ों लोगों से रोज अवैध वसूली करती है। यही वजह है कि लोगों की जुबान पर एक ही बात रहती है कि ट्रैफिक पुलिस ने पकड़ लिया था। लेकिन रुपया लेकर छोड़ दिया। पुलिस अफसर वाहन चालकों से अवैध वसूली के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं। या ये कहते नजर आते हैं कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। अगर ऐसा हो रहा है तो पीड़ित हमें सूचित करे।