…तो क्या सदस्यों के दबाव के चलते लगानी पड़ी अवैध निर्माण पर रिपोर्ट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: करियप्पा रोड स्थित बंगला-159 सेंट मेरी के नक्शे पर मोहर को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। इसको लेकर बोर्ड के स्टाफ व अफसरों पर कुछ सदस्यों के भारी भरकम दबाव की बात कही जा रही है। वहीं, दूसरी ओर इसके इतर रेस रोड स्थित बंगला नंबर-212 और बीसी लाइन स्थित बंगला 151 का नक्शा सदस्यों के इशारे पर पेंड कराए जाने पर हैरानी जतायी जा रही है।
दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि यदि रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालय ने एनओसी जारी करने से पहले सेंट मेरी का भौतिक सत्यापन कर लिया तो एनओसी लटक भी सकती है। सेंट मेरी व कैंट बोर्ड के बीच साल 1996 से अदावत चली आ रही है। दरअसल सेंट मेरी में बड़े स्तर पर कैंट बोर्ड से अनुमति लिए बगैर ही निर्माण कर लिए गए।
इनका एक लंबा सिलसिला चला। यह बात अलग है कि सेंट मेरी में प्रभावशाली परिवारों व हाईप्रोफाइल अफसरों के बच्चों के पढ़ने व सेंट मेरी प्रशासन के हाई लेबर कनेक्शन होेने की वजह से कैंट बोर्ड के अफसर कभी भी सीधी टक्कर लेने की हिम्मत नहीं जुटा सके।
हालांकि इस सालों के दौरान कई बार ऐसे मौके भी आए जब टकराव के चरम आसार नजर आए, लेकिन ऐन मौके पर हालात मैनेज होते चले गए। उधर, सेंट मेरी प्रशासन समय समय पर स्कूल परिसर में किए गए अवैध निर्माणों को कंपाउंड कराने के लिए नक्शा कैंट बोर्ड में दाखिल करता रहा, लेकिन बात नहीं बनीं।
कैंट बोर्ड की ओर से अवैध निर्माणों को लेकर दर्जनों नोटिस सेंट मेरी प्रशासन को दिए गए। इंजीनियरिंग सेक्शन ने कई बार आरपार की ठान भी ली, लेकिन हमेशा कैंट बोर्ड के कुछ सदस्य इस कार्रवाई के खिलाफ दीवार साबित हुए।
जानकारों का कहना है कि नक्शा पास कराने के पीछे जो कुछ हुआ उसमें इंजीनियरिंग सेक्शन कायदे कानूनों को सामने रख कर किसी भी फैसले को अंजाम पर पहुंचाना चाहता था, लेकिन बोर्ड के कुछ सदस्य इस मामले में सेंट मेरी के पैरोकार साबित हुए।
उनकी पैरोकारी के चलते इंजीनियरिंग सेक्शन भी कुछ नहीं कर सका। बल्कि वो सब करा डाला जिसको करने से पहले अवैध निर्माण ध्वस्त किया जाना बेहद जरूरी था। कुछ सदस्यों की पैरवी ने बोर्ड बैठक में सेंट मेरी का नक्शा पास कराने पर मोहर लगवा दी।
हालांकि जनवाणी इसकी पुष्टि नहीं करता, लेकिन सुनने में आया है कि प्रत्येक सदस्य के लिए दो दो एडमिशन का कोटा तय किया गया है। बोर्ड से सेंट मेरी का नक्शा पास कर दिया गया है, लेकिन डीईओ कार्यालय से एनओसी अभी मिलनी बाकि है।
यदि वहां भी कैंट कार्यालय की तर्ज पर पैरवी की गयी तो ठीक अन्यथा एनओसी लटकने की भी आशंका जतायी जा रही है। डीईओ कार्यालय के एसडीओ से यदि मौके पर पहुंचकर अवैध निर्माण का निरीक्षण करा लिया गया और उस पर डीईओ के अफसरों की त्यौरियां चढ़ गयी तो एनओसी पर डीईओ की ना का बैरियर तय माना जा रहा है।
भगवाधारियों के नक्शों पर ना
सेंट मेरी के नक्शे के अलावा जो दो अन्य नक्शे बोर्ड में लगे थे उनमें रेस रोड 212 और बीसी लाइन 151 भी शामिल हैं। दोनों को एक बार फिर पेंड कर दिया गया।
हैरानी तो इस बात की है कि ये दोनों नक्शे संघ परिवार व भाजपा में अच्छी पेठ रखने वालों के हैं। दोनों की गिनती हाईप्रोफाइल भगवाधारियों में की जाती है।
कैंट बोर्ड में भी भगवाधारियों का वर्चस्व होने के बाद भी इन दोनों भगवानधारियों के बंगलों के नक्शे लटका दिए जाने पर हैरानी जरूर जतायी जा रही है।