जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: दिसंबर माह के पहले सप्ताह में प्रस्तावित कैंट बोर्ड की बैठक में टोल के ठेके पर मुहर लगनी तय मानी जा रही है। हालांकि बोर्ड बैठक से पहले उपाध्यक्ष खेमा अलग-थलग पड़ गया है। बोर्ड के सदस्य ही नहीं बल्कि कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग भी उपाध्यक्ष खेमे के रवैये से नाराज दिखाई देता है।
वहीं, दूसरी ओर उपाध्यक्ष खेमे का टोेल प्वाइंटों के मुददे पर एकाएक यूटर्न जानकार कैंट बोर्ड चुनाव की मजबूरी बता रहे हैं। उनका कहना है कि टिकट मांगने वालों की कतार में उपाध्यक्ष भी शामिल हैं। टोल प्वाइंटों पर पिछले दिनों उनके बयान को कुछ लोग टिकट की राजनीति से जोड़कर दे रहे हैं।
हालांकि इस बयान के बाद महसूस की जा रही नाराजगी के चलते उपाध्यक्ष का अधिकृत बयान जनवाणी को नहीं मिला है ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके, लेकिन तमाम लोगों की राय में उनका बयान टिकट की उम्मीद को लेकर यूटर्न माना जा रहा है। दरअसल, टोल प्वाइंटों को लेकर इससे पूर्व कैंट विधायक की कोशिशों के खिलाफ टकराव नजर आता था।
विधायक की कोशिश तीन प्वाइंट कम कराने की रही है, लेकिन राजस्व मामलों के चलते कैंट बोर्ड अफसरों तथा स्टाफ खासकर वो स्टाफ जो पूरी तरह से इस मदद में मिलने वाली रकम के बाद बांटी जाने वाले वेतन पर आश्रित रहता है। तब उपाध्यक्ष भी कैंट राजस्व व राजस्व से होने वाले विकास की बात को जोरशोर से रखते थे, लेकिन एकाएक रवैये में बदलाव के पीछे कुछ लोग उपाध्यक्ष के टिकट की राजनीति तथा खुद को विधायक के खेमे में दिखाने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।
तकनीकी अड़चने भी कम नहीं
टोल प्वाइंटों पर उपाध्यक्ष के बयान के बाद जानकारों इसको जल्दबाजी में दिया गया बयान मान रहे हैं उनका कहना कहा है कि तकनीकि अड़चने कम नहीं हैं। दरअसल जिस प्वाइंटों पर ठेका दिए जाना है उसकी निविदाएं आमंत्रित किए जाने के अलावा खोली भी जा चुकी हैं। निविदाएं खोले जाने के बाद अंतिम प्रक्रिया कैंट बोर्ड बैठक में इस पर मोहर लगनी भर होती है। बाकी जहां तक एग्रीमेंट की शर्तों की बात है तो वह भी लगभग तय हैं।
नहीं हो सका उपाध्यक्ष से संपर्क
इस मुद्दे पर जो स्थिति बनी हैं उन पर उपाध्यक्ष विपिन सोढ़ी का पक्ष जानने का काफी प्रयास किया गया। कई बार कोशिश किए जाने के बाद भी उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क नहीं हो सका। माना जा रहा है कि नेटवर्क समस्या की वजह से बात नहीं हो सकी।