Friday, May 16, 2025
- Advertisement -

डॉ. एएन खोसला की स्मृति में आयोजित किया दूसरा एंडाउमेंट लेक्चर

जनवाणी ब्यूरो |

रुड़की: आईआईटी के जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग द्वारा तत्कालीन रुड़की विश्वविद्यालय के पहले भारतीय कुलपति तथा सुप्रसिद्ध इंजीनियर व राजनेता डॉ. एएन खोसला की स्मृति में दूसरा एंडाउमेंट लेक्चर आयोजित किया गया।

समारोह में बतौर मुख्य वक्ता इंजीनियर एम गोपालकृष्णन ने हिस्सा लिया और उन्होंने “भारत में वॉटर गवेर्नेंस सिस्टम के लिए नई दृष्टि” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। गोपालकृष्णन ने अवगत कराया कि भारत की जनसंख्या 2050 तक लगभग 150 करोड़ से 180 करोड़ हो जाएगी।

जिनके भरण-पोषण के लिए लगभग 450-500 मिलियन टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। अपने पावर प्रजेंटेंशन के माध्यम से उन्होंने बताया कि 2010 में भारत की कुल जल खपत 813 बिलियन क्यूबिक मीटर थी, जो संभवतः 2050 में 1447 बिलियन क्यूबिक मीटर तक बढ़ जाएगी। केवल सिंचाई क्षेत्र के लिए लगभग 1072 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता होगी।

इसके लिए उन्होंने समन्वित जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन की आवश्यकता पर बल देते हुए बताया कि जल शक्ति के सर्वमान्य समन्वित प्रयास के साथ ही इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। श्री गोपाल कृष्णन ने विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से वॉटर गवेर्नेंस की नई दृष्टि का उल्लेख किया जो निस्संदेह वॉटर सेक्टर में काम करने वालों को लाभान्वित करेगा।

इससे पहले, जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर आशीष पांडे ने स्वागत संबोधन और मुख्य वक्ता का परिचय दिया। प्रो. पांडे ने कहा कि इंजीनियर गोपालकृष्णन का वॉटर सेक्टर में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने इंडियन वॉटर रिसोर्स सोसाइटी के अध्यक्ष और आईसीआईडी के मानद महासचिव के रूप में भी काम किया है।

आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग के प्रमुख एम. एल. कंसल ने डॉ. एएन खोसला द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए महत्वपूर्ण योगदानों से अवगत करवाया। प्रो. कंसल ने कहा कि एक शिक्षाविद् के रूप में, डॉ. खोसला दो विशेष इंजीनियरिंग विभागों के संस्थापक थे। उनके द्वारा स्थापित विभाग ‘द वाटर रिसोर्स डेवलपमेंट ट्रेनिंग सेंटर’ और ‘स्कूल ऑफ़ रिसर्च एंड ट्रेनिंग इन अर्थक्वेक इंजीनियरिंग’ ने तत्कालीन रुड़की विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

समापन संबोधन आईआईटी रुड़की के उप-निदेशक प्रो. एम. परिदा ने दिया। उन्होंने कहा कि वॉटर सेक्टर की समस्याएं बहुत संवेदनशील हैं इसलिए इसे अधिक सावधानी से हल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में 33 लाख किलोमीटर सड़क मार्ग का नेटवर्क है, जिसमें 1.3 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग है तथा देश में बहुत बड़ा रेल नेटवर्क भी है परन्तु अच्छी बात है कि इन विषयों पर कोई विवाद नहीं है।

यद्यपि जलमार्ग भी परिवहन के लिए इस्तेमाल किया जाता है परन्तु जल का उपयोग पीने व अन्य कार्यों के अतिरिक्त बड़े पैमाने पर खेती के लिए किया जाता है, इसलिए जल क्षेत्र पर जनता का दबाव बढ़ जाता है, इसलिए जल से जुड़े विवाद को अधिक कुशलता के साथ निपटाना महत्वपूर्ण होता है।

समारोह का समापन जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर दीपक खरे के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर जल संसाधन विभाग के तरफ से प्रो. एसके मिश्रा, प्रो. काशी विश्वनाथ,प्रो. बसंत यादव समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थी जुड़े रहे।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी व्रत कब? जानें तिथि और नियम

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Dipika Kakar: खतरनाक बीमारी की चपेट में आईं दीपिका कक्कड़, शोएब ने जताई चिंता

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img