Wednesday, August 6, 2025
- Advertisement -

स्वाभिमानी


विख्यात दार्शनिक एरिक हौफर बचपन से ही मेहनती थे। वह कठिन से कठिन कार्य करने से भी नहीं घबराते थे। काम करते समय उन्हें इस बात की परवाह भी नहीं होती थी कि उन्होंने खाना खाया है अथवा नहीं। एक बार उनका काम छूट गया और उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई। अनेक प्रयासों के बाद भी उन्हें कहीं काम नहीं मिला। लेकिन किसी तरह पेट तो भरना ही था। तीन-चार दिन उन्हें भूखे रहते हुए हो गए। भूख से व्याकुल एरिक हौफर कुछ काम पाने की आस में घूम रहे थे। वह एक होटल वाले के पास गए। होटल वाला उन्हें पहचान गया। वह उनके लेखन से परिचित था। उसने उनके अनेक लेख पढ़े थे और उनका प्रशंसक भी था। उसने उनसे बड़े प्रेम से पूछा कि वह भोजन में क्या लेंगे? एरिक हौफर ने सहज होते हुए कहा, ‘मैं भूखा तो हूं और भोजन भी करना चाहता हूं, लेकिन उसके लिए मेरी एक शर्त है।’ यह सुनकर होटल मालिक बोला, ‘बताइए, मैं आपकी शर्त मानने के लिए तैयार हूं।’ हौफर बोले, ‘भोजन के बदले आप मुझसे कुछ काम अवश्य करवाएंगे। मैं नि:शुल्क भोजन नहीं करूंगा और इस समय मेरे पास पैसे नहीं हैं। इसलिए पैसे के बदले आप मेरी सेवा ले सकते हैं।’ होटल मालिक यह सुनकर हैरत में पड़ गया, पर वह क्या करता! वह पहले ही स्वीकार कर चुका था कि वह उनकी शर्त मानेगा। उसने उनकी बात का सम्मान किया। उसने हौफर को भरपेट खाना खिलाया। उसके बाद हौफर ने उस होटल में अन्य वेटरों की तरह कुछ देर तक मन लगाकर काम किया। इसके बाद वह होटल मालिक के प्रति आभार व्यक्त करके वहां से निकले। यह देखकर होटल मालिक भी एरिक हौफर के स्वाभिमान का कायल हो गया। एरिक हौफर ने अपने स्वाभिमान, कठोर श्रम और प्रखर बुद्धि के बल पर ही अपनी एक अलग पहचान बनाई।


spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

UP News: बिमल और शिखर पान मसाला Brand पर छापेमारी, करोड़ों की Tax चोरी का खुलासा

जनवाणी ब्यूरो | यूपी: उत्तर प्रदेश में शासन के निर्देश...

Putrada Ekadashi 2025: श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी आज, जानें व्रत का महत्व और पूजन विधि

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img