Thursday, December 5, 2024
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डेंगू से बचाव की आशा किरण है एंटीडेंगू मच्छर

Nazariya 22


rajendra kumar sharmaदुनिया के देशों के लिए इसे शुभ समाचार माना जा सकता है कि डेंगू से बचाव के लिए इस साल डेंगू मच्छर का खात्मा करने वाले एंटीडेंगू मच्छर को दुनिया के करीब 14 देशों में छोड़े जाने का निर्णय किया गया है। देश दुनिया में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोगशाला में एंटीडेंगू मच्छर का सफल प्रयोग किया जा चुका है और ब्राजील में बड़ा केंद्र बनाते हुए बोल्वाशिया मच्छर का उत्पादन आरंभ कर दिया गया है। हालांकि किन-किन 14 देशों में एंटी डेंगू मच्छरों को छोड़ा जाएगा यह निर्णय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अभी किया जाना है। एक मोटे अनुमान के अनुसार दुनिया के 129 देशों या यों कहें कि दुनिया की आधी आबादी क्षेत्र में डेंगू अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। देश-दुनिया की सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने डेंगू बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। दरअसल डेंगू की गंभीरता को देखते हुए ही गैर सरकारी वर्ल्ड मास्कीटों प्रोग्राम के तहत एंटीडेंगू मच्छर विकसित किया गया है। 2023 में इंडोनेशिया में इनका प्रयोग किया जा चुका है और इनके प्रभाव से 95 प्रतिशत तक सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। दरअसल वैज्ञानिकों ने इन मच्छर में एक बैक्टिरिया वोल्वाशिया पापीएंटिस डाला गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे बीमारी वाले मच्छरों को वायरस फैलाने से रोकने में सफल होंगे। अब तक के परीक्षणों में यह खरे भी उतरे हैं। डेंगू की भयावहता को इसी से समझा जा सकता है कि 16 मई को भारत में राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाने लगा है। इस दिवस के आयोजन के माध्यम से लोगों में अवेयरनेस जागृत की जाती है। दरअसल डेंगू एडीज एजिप्टी प्रजाती की मादा मच्छर के कारण तेजी से फैलता है। बरसात के दिनों में यह मच्छर तेजी से फैलता है। जमा पानी और गंदगी आदि में डेंगू मच्छर तेजी से बढ़ते हैं। जुलाई से सितंबर, अक्टूबर तक डेंगू का प्रकोप अधिक रहता है। खास यह कि शुरूआती दो तीन दिन तक तो जांच में पता ही नहीं चलता है। माना यह जाता है कि डेंगू में 3 से 7 दिन अधिक गंभीर होते हैं। प्लेटलेट्स में तेजी से गिरावट होती है।

यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन की पिछले साल जारी रिपोर्ट अतिशयोक्तिपूर्ण माने तब भी इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि डेंगू आज और आने वाले समय के लिए दुनिया के देशों के लिए गंभीर समस्या बनता जा रहा है। डेंगू दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से दुनिया के देशों को अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है। ड्ब्लूएचओ की ही माने तो आज दुनिया की आधी अबादी डेंगू संभावित क्षेत्र के दायरे में आ गई है। डेंगू की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि गत साल पेरु के अधिकांश इलाकों में डेंगू के कारण इमरजेंसी लगाई जा चुकी है तो अमेरिका जैसा विकसित देश भी इसके दायरें से बाहर नहीं है। अमेरिका, अफ्रीका, एशिया के 100 से ज्यादा देश सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में हैं। दरअसल डेंगू एडीज प्रजाति के मच्छर से फैलता है। डेंगू के मच्छर के बारे में यह माना जाता है कि नमी बाले क्षेत्र खासतौर से पानी एकत्रित होने वाले स्थानों पर यह तेजी से फैलता है। सुबह के समय यह अधिक सक्रिय रहता है। यह भी माना जाता है कि डेंगू होने का दो तीन दिन के बुखार में जांच के दौरान तो पता ही नहीं चलता वहीं तीन चार दिन तक लगातार बुखार के बाद जांच कराने पर डेंगू का पता चलता है। यह भी सही है कि डेंगूं से प्रभावित लोग एक से दो सप्ताह में ठीक भी हो जाते हैं। पर कमजोर इम्यूनिटी वाले या डेंगू के गंभीर होने की स्थिति में तेजी से प्लेटरेट्स कम होने लगती हैं और यहां तक कि शरीर के दूसरे ओरगन्स को प्रभावित कर मौत का कारण भी बन जाते है।

देश दुनिया के लोगों को कोरोना ने बहुत कुछ सिखाया है। घर की चार दीवारी में कैद होने से लेकर सब कुछ बंद होने के हालात से दो चार हो चुके हैं। अपनों को अपने सामने ही जाते हुए देखा है तो प्लेग को छोड़ दिया जाये तो संभवत: यह पहला मौका होगा जब सब कुछ चाहते हुए भी कोरोना काल में अपनों को अंतिम विदाई तक भी सही ढंग से दे नही पाये हैं। कोरोना की त्रासदी से अभी उभर भी नहीं पाये कि जानलेवा बीमारियों के नित नए वेरियंट सामने आ रहे हैं। इनके पीछे पिछड़ों देशों के सामने गरीबी एक कारण है तो दूसरी और जलवायु परिवर्तन के कारण डेंगू जैसे रोग तेजी से फैल रहे हैं। अत्यधिक बारिश, बाढ़, अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक सर्दी यहां तक की बेमौसम की बरसात जैसे हालात और आए दिन आने वाले समुद्री तूफान चिंता के कारण बनते जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के चार अरब लोग डेंगू संभावित क्षेत्र में है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक कार्यक्रम प्रमुख डॉ. रमन वेलायुधन का मानना है कि 2000 की तुलना में 2022 तक डेंगू से प्रभावित लोगों का आंकड़े में आठ गुणा तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। यदि हम हमारे देश भारत की ही बात करें तो 2018 में 101192 मामलें सामने आये थे वहीं 2023 में नवंबर तक डेंगू के 234427 मामले सामने आएं। यदि 2020 के साल को छोड़ दिया जाए तो भारत में डेंगू के मामले लगातार बढ़ ही रहे हैं। कमोबेस यही हालात दुनिया के दूसरे देशों में देखने को मिल रहा है। आशा की जानी चाहिए कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जल्दी ही एंटी डेंगू मच्छर छोड़े जाने के औपचारिक दिशा निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। डेंगू के ईलाज और बचाव पर अरबों रुपये की व्यय होने वाली राशि में से कुछ राशि का उपयोग यदि एंटीडेंगू मच्छर तैयार कर उन्हें फैलाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में किया जाना चाहिए।


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