बाजारों में भीड़ अपार, महिलाओं के लिए सुविधाएं लाचार
सांसद, मेयर जैसे बड़े पदों पर महिलाएं रहने के बावजूद किसी ने नहीं दिया ध्यान
बाजार आने वाली कस्टमर्स के अलावा काम करने वाली महिलाओं को भी भारी दिक्कत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकार द्वारा महिलाओं की सुविधा के लिए साल 2017 में सार्वजनिक स्थल पर पिंक टॉयलेट योजना का अनावरण किया गया था। जिससे महिलाओं को खुले में शौच जाने की दिक्कत से निजात मिल सके। बावजूद इसके मेरठ जैसे विकसित जिले में जहां सांसद, महापौर तथा पार्षद जैसे पदों पर महिलाएं आसीन रही हैं। उसके बावजूद किसी का भी ध्यान इस आवश्यकता की और नहीं जाता।
कहां जाएं महिलाएं?
पिंक टॉयलेट तो दूर की बात है, शहर के कई बाजार ऐसे हैं जहां पर शौचालय तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। शहर के प्रमुख बाजारों में एक-दो शौचालय हैं। इसके अलावा शहर के अन्य बाजारों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध ही नहीं है, जैसे वैली बाजार, सराफा बाजार व घंटाघर बाजार आदि। यह हाल तो तब है जब यहां हजारों की तादाद में या तो महिलाएं काम करती हैं या खरीदारी करने आती हैं। शौचालय की सुविधा न होने से उनको परेशानी उठानी पड़ती है। बता दें सराफा बाजार में लगभग 500 से 600 दुकानें हैं जिनकी कारीगरी और नक्काशी न केवल मेरठ बल्कि विदेशों तक अपना लोहा बनवा रही है। वैली बाजार में 250 से 300 दुकानें है। ऐसे में न केवल कस्टमर्स बल्कि यहां काम करने वाली महिलाओं को भी टॉयलेट के लिए काफी दूर जाना पड़ता है।
पिछड़ रहा घंटाघर बाजार
जहां रोज हजारों की संख्या में महिलाएं खरीदारी करने आती है। वहीं, मेरठ का दिल कहे जाने वाला घंटाघर बाजार की सुई समय तो सही बताती है। मगर आज के समय के साथ कदमताल मिलाकर चलने में असमर्थ है। दरअसल, आज भी यह पुराने बाजार आज लय ताल के साथ चलने में बहुत पिछड़े हुए है। आलम ये है कि इन बाजारों में आने वाले ग्राहक, दुकानदार चाहे पुरुष हो या महिला शौच जाने को दरबदर भटकने पर मजबूर हैं।
शहर के लिए शर्मनाक बात
सराफा बाजार में एक भी शौचालय की सुविधा नहीं है। आलम ये है कि हाल ही में एक प्रसिद्ध टीवी एंकर जब सराफा बाजार आई तो उन्होंने कुछ भी खाने-पीने को लेने से यह कहकर मनाकर दिया कि बाजार में शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में उनको दिक्कत होती है। यह मेरठ के लिये शर्मनाक बात है।
-विजय आनंद अग्रवाल, महामंत्री मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन।
नहीं निकलता समाधान
वैली बाजार में एक भी मुख्य शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। जिस कारण पुरुषों तक को भी कई बार खुले में शौच जाने में शर्म आती है। इस संदर्भ में नगर निगम को अवगत करा चुके हैं, पर नगर निगम बाजार में उचित जगह न होने की बात कहकर टाल देता है। जिस कारण समस्या का कोई भी समाधान नहीं निकलता है। -मोहम्मद वसीम, अध्यक्ष, वैली बाजार व्यापार संघ।
कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं
घंटाघर बाजार में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। जिस कारण से न केवल घंटाघर के व्यापारी बल्कि वैली बाजार व सराफा बाजार तक के व्यापारी घंटाघर स्थित जैन धर्मशाला में शौचालय जाने को मजबूर हैं।
-नवीन सिंघल, महामंत्री घंटाघर व्यापार संघ
बाजार में सिर्फ परेशानी
अक्सर घंटाघर व वैली बाजार खरीदारी करने आती हैं। यहां न तो शौचालय है और न ही आसपास कोई जगह, जहां पर शौच जा सकें। जिस कारण बहुत परेशानी होती है। -पूनम, ग्राहक
500 से 600 सराफा बाजार में लगभग दुकानें
6000 से ऊपर कस्टमर्स आते हैं लगभग
250 से 300 वैली बाजार में लगभग दुकानें
3000 से ऊपर कस्टमर्स आते हैं लगभग