Friday, July 11, 2025
- Advertisement -

धन-समृद्धि प्राप्ति के लिए है शनि जयंती

Sanskar 7


ज्योतिष के अनुसार, इस समय शनि स्वराशि कुंभ में विराजमान है, जिससे शश राजयोग निर्माण हो रहा है। शश राजयोग के निर्माण से व्यक्ति को मान-सम्मान और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।जैसा कि इस व्रत के नाम और कथा से ही ज्ञात होता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देने का संदेश देता है। इससे ज्ञात होता है कि पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है।

हिंदू धर्म में शनि जयंती बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन भक्ति भाव से मनाई जाती हैं। शनि देव के अवतरण दिवस को ही उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। शनि देव अन्य ग्रहों से बहुत अलग हैं, क्योंकि उन्हें शुभ ग्रह नहीं माना जाता है। शनि देव को धर्म के अनुसार न्याय का देवता कहा जाता है और इस बार शनि जयंती 2023 में 19 मई को मनाई जाएगी। शनि जयंती को लोग धार्मिक रूप से मनाते हैं तथा इस त्योहार में वे भगवान शनि की पूजा करते हैं।

इस दिन लोग भगवान शनि को विभिन्न वस्तुएं अर्पित करते हैं। साथ ही इस त्योहार के दौरान कुछ लोग व्रत भी रखते हैं और भगवान शनि की उपासना करते हैं। शनि दोष से मुक्ति और धन-समृद्धि प्राप्त करने लिए यह खास दिन है। शनि जिन्हें कर्मफलदाता माना जाता है, दंडाधिकारी कहा जाता है, न्यायप्रिय माना जाता है। जो अपनी दृष्टि से राजा को भी रंक बना सकते हैं। हिंदू धर्म में शनि देवता भी हैं और नवग्रहों में प्रमुख ग्रह भी जिन्हें ज्योतिषशास्त्र में बहुत अधिक महत्व मिला है।

शनिदेव को सूर्य का पुत्र माना जाता है। मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या को ही सूर्यदेव एवं छाया (संवर्णा) की संतान के रूप में शनि का जन्म हुआ। शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए ये दिन खास माना जाता है। मान्यता है इस दिन शनि देव की विधि विधान पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या के बुरे प्रभावों से राहत भी मिल जाती है।

इस दिन शनि देव के साथ-साथ हनुमान भगवान की पूजा भी की जाती है।श्री हनुमान जी ने रावण की कैद से शनिदेव को मुक्त कराया था, इसलिए शनिदेव के कथनानुसार, जो भी भक्त श्री हनुमान जी की पूजा करते हैं, वे भक्त शनि देव के अति प्रिय और विशेष कृपा पात्र होते हैं।

शनि जयंती का महत्व क्या है

शनि को आकाशीय गति के अनुसार सबसे धीमा चलने वाला ग्रह माना जाता है। इसलिए, ज्योतिषीय रूप से इस चीज का एक महत्वपूर्ण और विशाल महत्व यह है कि यह ग्रह कहां स्थित है? आमतौर पर शनि को एक ऐसे ग्रह के रूप में माना जाता है जिसका मूल निवासियों के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इस तरह से लोग इससे डरते हैं।लेकिन तथ्य यह है कि यह धीमी गति से चलने वाला ग्रह कर्म का ग्रह है।

यह केवल उन लोगों को सफलता प्रदान करता है, जिन्होंने कड़ी मेहनत, अनुशासन और ईमानदारी के प्रयासों से अपने जीवन में तपस्या और संघर्ष किया है। क्या कोई व्यक्ति धन्य होगा या बुरे भाग्य का शिकार होगा, यह पिछले और वर्तमान जीवन में किए गए उसके कर्मों पर निर्भर करता है।धर्म के अनुसार शनि देव को न्याय का देवता माना जाता हैं, क्योंकि वह मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। ऐसा माना जाता है कि सभी व्यक्ति अपने जीवनकाल में एक बार शनिदेव की साढ़े साती से गुजरते हैं और यही वह समय होता है जब वे अपने जीवन के सबसे जटिल संघर्षों का अनुभव करते हैं।

यदि आपके कर्म अच्छे हैं, तो भगवान शनि इस अवधि में आपको आशीर्वाद प्रदान करेंगे, जिससे आपको सफलता मिलेगी और इस तरह की पीड़ा और कष्टों से छुटकारा मिलेगा। इसलिए, शनि को प्रसन्न करने के लिए शनि जंयती के दिन शनिदेव की विशेष पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं ताकि इनका बुरा प्रभाव कम हो जाये। साढ़े साती का सामना करने वाले लोगों को शनि देवता की नियमित रूप से प्रार्थना करनी चाहिए। शनि जयंती के दिन उपवास करके और भगवान शनि के मंदिरों में जाकर, भक्तों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

इस दिन को शनि की साढ़े साती और ढैय्या के उपाय के लिए खास माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन शनि की सच्चे मन से अराधना करने के साथ कुछ विशेष उपाय करते हैं उन पर शनि की बुरी दृष्टि नहीं पड़ती। इस खास दिन पर शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए सच्चे मन से शनि चालीसा का पाठ करें। हो सके तो शनि जयंती पर व्रत रखें और दान करें। इस दिन शनि देव से संबंधित चीजों का दान बेहद शुभ फलदायी माना जाता है।

शनि जयंती के दिन जरूरतमंद लोगों को तेल, काला तिल, काली उड़द दाल, काले कपड़े, लोहा, काला कंबल, चमड़े के जूते आदि का दान करना शुभ माना जाता है।शनि देव की पूजा करने से जातक को धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।शनि जयंती के दिन ही वट सावित्री व्रत भी मनाया जाएगा। यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है।

ज्योतिष के अनुसार, इस समय शनि स्वराशि कुंभ में विराजमान है, जिससे शश राजयोग निर्माण हो रहा है। शश राजयोग के निर्माण से व्यक्ति को मान-सम्मान और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।जैसा कि इस व्रत के नाम और कथा से ही ज्ञात होता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देने का संदेश देता है। इससे ज्ञात होता है कि पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है।

डॉ.पवन शर्मा


janwani address 5

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

July 2025 का नया Pixel Drop Update जारी, Pixel 9 Pro Users को मुफ्त Google AI Pro प्लान, Veo 3 तक पहुंच और कई...

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपक हार्दिक स्वागत और...

PM Modi पांच देशों की यात्रा के बाद स्वदेश लौटे, चार देशों से मिला सर्वोच्च नागरिक सम्मान

जनवाणी ब्यूरो |नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ऐतिहासिक...
spot_imgspot_img