Saturday, April 20, 2024
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शांतिप्रियता

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AMRITWANI


इंग्लैंड के सर वाल्टर रैले तलवारबाजी के लिए प्रसिद्ध थे। उनके सरल स्वभाव और सहजता की भी खूब प्रशंसा होती थी। उनकी ख्याति महारानी के कानों तक भी पहुंच चुकी थी। वह भी उनके प्रति श्रद्धा-भावना रखती थीं। उन दिनों यूरोप में द्वंद्व युद्ध का प्रचलन था।

तलवारों से आमने-सामने द्वंद्व होता था और लाखों लोग उस लड़ाई को देखने के लिए जमा होते थे। एक बार एक युवक ने सर रैले को चुनौती देते हुए कहा, सुना है कि आपकी तलवारबाजी का जवाब नहीं। यदि आप ऐसा मानते हैं तो कृपया मेरे साथ युद्ध करके दिखाएं।

युवक की बात सुनकर सर रैले बोले, युवक, महज मनोरंजन के लिए युद्ध करना समझदारी नहीं है। युद्ध से शांतिप्रियता अधिक अच्छी है। इसलिए व्यक्ति को शांति और सुखपूर्वक जीवन जीने में विश्वास करना चाहिए। सर रैले की बात सुनकर युवक व्यंग्य से मुस्कुरा कर बोला, आपमें हिम्मत ही नहीं है कि मुझसे तलवार लेकर भिड़ सकें।

इसके बाद युवक ने सर रैले के मुंह पर थूक दिया। यह देखकर सब ओर अफरातफरी मच गई और लोग युवक को पकड़ने के लिए दौड़े। सर रैले ने सहजता से रूमाल निकालकर थूक पोंछा और युवक से बोले, यदि थूक पोंछने जितनी सरलता से मैं मनोरंजन के लिए की गई मानव हत्या का पाप पोंछने की ताकत रखता तो मैं तुम्हारे साथ तलवार लेकर भिड़ने में देरी नहीं करता।

यह सुनते ही युवक के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह वहीं जमीन पर गिर पड़ा और सर रैले के पैर पकड़ कर गिड़गिड़ाते हुए बोला, सर, आप महान हैं। आपकी सहनशीलता, करुणा, दया और न्यायप्रियता का जवाब नहीं। इसके बाद से वह युवक सर रैले का भक्त बन गया।


SAMVAD

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