- 26 सितंबर से शुरू हो रहे हैं नवरात्र, अक्टूबर को मनाया जाएगा दशहरा
- कलश स्थापना के लिए ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा मानी जाती है सबसे शुभ
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सनातन परंपरा में शक्ति की आराधना का एक अलग ही महत्व है। ये भी खास बात है कि शक्ति का स्त्रोत देवी को माना गया है। इसे ही देवी पराशक्ति, प्रकृति, जगतमाता, जगजननी और अंबा कहकर पुकारा गया है। देवताओं के तेज और त्रिदेवियों की ज्योति से उत्पन्न देवी दुर्गा का स्वरूप ही शक्ति का आकृति स्वरूप है। इसी साकार शक्ति की पूजा का पर्व नवरात्रि है, जिसे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।
शक्ति का ये पर्व बाहरी उल्लास के साथ मनुष्य की भीतरी आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति को जगाने का जरिया भी है। मातृ शक्ति को समर्पित नवरात्र के दिनों में मां आदि शक्ति और उनके नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। इस साल शरद नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इसके ठीक पहले श्राद्ध पक्ष मनाया जा रहा है और इसके खत्म होते ही माता की आराधना का पर्व शुरू होगा।
नौ दिन तक चलने वाला यह महापर्व पांच अक्टूबर को विजय दशमी के साथ ही संपन्न होगा। नवरात्र के हर दिन माता के अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। माता के ये सभी नौ स्वरूप कल्याणकारी व परोपकार की भावना को दर्शाते हैं। इन नौ दिन में भक्त माता की उपासना में लीन रहते हुए व्रत और उपवास करते हैं। नवरात्र के पहले दिन पूजा अनुष्ठान के साथ माता की प्रतिमा और कलश की स्थापना की जाती है।
नवरात्रि में ऐसे करें घट स्थापना
- कलश स्थापना के लिए ईशान कोण यानी कि उत्तर-पूर्व दिशा सबसे शुभ मानी जाती है।
- पूजाघर की इस दिशा में गंगाजल छिड़ककर चौकी रखें और इस पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- अब मिट्टी के बर्तन में पवित्र मिट्टी रखें और जौ के बीज बो दें।
- अब एक तांबे या फिर मिट्टी के कलश में गंगाजल भरें और इसमें अक्षत, सुपारी, सिक्का, एक जोड़ी लौंग और दूर्वा घास डाल दें।
- कलश के मुख पर कलावा बांध दें और एक नारियल में लाल चुनरी लपेटकर कलावे से बांध दें और कलश में आम के पत्ते लगाकर उसके ऊपर नारियल रख दें।
- अब जौ वाले बर्तन के ऊपर कलश रखें और मां दुर्गा के दाई तरफ कलश की स्थापना कर दें।
- कलश स्थापित करने के बाद मां दुर्गा की पूजा करें।
इस बार है दुर्लभ संयोग
सनातन पंचांग के मुताबिक इस बार नवरात्र में नक्षत्रों का बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस बार नवरात्र की शुरुआत शुक्ल और ब्रह्म योग से हो रही है। 25 सितंबर को सुबह 9 बजकर 6 बजे से 26 सितंबर को सुबह 8 बजकर 6 बजे तक शुक्ल योग बन रहा है, जबकि 26 सितंबर को सुबह 8 बजकर 6 बजे से 27 सितंबर को सुबह 6 बजकर 44 मिनट तक ब्रह्म योग बना रहेगा।