जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: तीन दशक लंबा समय है, मगर शताब्दी नगर योजना को लेकर किसानों और एमडीए के बीच चल रहा विवाद नहीं सुलझ रहा है। विवाद की वजह है 600 एकड़ भूमि। फिलहाल डीएम के. बालाजी ने एमडीए उपाध्यक्ष का चार्ज संभाला है, तो उनकी तरफ सभी की निगाहें लगी है कि किसानों व एमडीए के बीच जमीन का विवाद का कोई न कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा।
जमीन पर किसान कब्जा नहीं छोड़ रहे हैं, वहीं जमीन एमडीए ने प्लाट के रूप में आवंटित कर दी है। आवंटियों को जमीन पर एमडीए कब्जा नहीं दिला पा रहा है। आवंटी ‘रेरा’ में पहुंच गए हैं, मगर समाधान कुछ भी नहीं हो रहा है। इसी तरह का मामला यदि प्राइवेट बिल्डर का ‘रेरा’ में हुआ होता तो बिल्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अब तक जेल हो गई होती, मगर ये मामला मेरठ विकास प्राधिकरण से जुड़ा है, इसलिए सब माफ है।
जो आवंटी है, वो तीन दशक से प्लाट खरीदकर एमडीए के चक्कर लगा रहे हैं। जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई एमडीए में जमा करा दी, फिर भी घर का सपना अधूरा ही है। तीन दशक कम समय नहीं है, जो जवान थे, वो बुजुर्ग हो चुके हैं, फिर भी किराये के मकानों में रह रहे हैं। लंबे समय से किसान धरने पर बैठे हैं।
फिर भी कोई सुनवाई किसानों की नहीं हुई। प्रशासन का तर्क है कि कई बार किसान मुआवजा ले चुके हैं, अब और मुआवजा नहीं। यही वजह है कि तीन दशक से किसानों व प्रशासन के बीच जब भी जमीन पर कब्जा लेने की प्रक्रिया चलती है तो टकराव बन जाता है। आखिर इस टकराव को टालने के लिए डीएम के. बालाजी क्या कुछ प्लानिंग कर पाएंगे?
600 एकड़ जमीन पर किसान काबिज
1992 में मेरठ विकास प्राधिकरण ने शताब्दीनगर योजना अस्तित्व में आई थी। एमडीए ने कंचनपुर घोपला, जैनपुर, रिठानी, अछरौंडा आदि गांव की 1700 एकड़ जमीन किसानों से अधिग्रहित की थी। किसानों को मुआवजे की धनराशि भी दे दी गई। बावजूद इसके एमडीए अभी तक 11 एकड़ पर ही कब्जा कर पाया है।
600 एकड़ पर किसान और एमडीए में अभी भी विवाद चल रहा है। इस पर किसानों का तर्क है कि उन्हें बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाए। यह मुआवजा नई जमीन अधिग्रहण नीति से दिया जाए। क्योंकि जमीन पर किसानों ने दो दशक से कब्जा नहीं दिया है। जमीन पर किसान काबिज है।
किसान तीन साल से आंदोलित
शताब्दी नगर योजना के मुआवजे की मांग को लेकर किसान तीन साल से आंदोलित हैं। किसान टेंट लगाकर धरने पर बैठे हैं। किसानों के इस आंदोलन के दौरान कई मौके ऐसे भी आये है जब किसानों व प्रशासन के बीच टकराव की नौबत बन गई थी, लेकिन किसान झूके नहीं।
किसानों का तर्क है कि शताब्दीनगर योजना में एमडीए का प्रति मीटर जमीन का रेट 15 हजार रुपये मीटर है, जबकि किसान को 900 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से ही मुआवजा दिया गया है। किसान मानते है कि शताब्दीनगर योजना को विकसित करने में काफी पैसा खर्च हुआ है, लेकिन क्या किसान का मुआवजा प्रति मीटर 900 रुपये ही बैठता है।
किसानों के इस आंदोलन की अगुवाई करने वाले विजयपाल घोपला का कहना है कि नई जमीन अधिग्रहण नीति के तहत सर्किल रेट का दोगुना शहर में दिया जा रहा है,वहीं किसानों को चाहिए। यह मिलते ही किसान जमीन को कब्जा मुक्त कर देंगे। इसमें तनिक भी देर नहीं लगायेंगे, मगर इसमें प्रशासन पहल तो करें।
यह भी किसान नेता विजयपाल घोपला ने ऐलान किया है कि यदि नई जमीन अधिग्रहण नीति से मुआवजा नहीं तो जमीन पर कब्जा भी नहीं छोड़ेंगे।