- जिला अस्पताल में भर्ती सुरक्षा गार्ड दो दिन बाद आया होश में
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: टीपीनगर थानांतर्गत कमला नगर में रहने वाले ट्रांसपोर्टर और पूर्व सभासद प्रदीप गुप्ता उर्फ पिंकी के घर में चार साल से सिक्योरिटी गार्ड की भूमिका निभा रहा मनोज दो दिन बाद होश में आ गया। जिला अस्पताल के मेल वार्ड में भर्ती मनोज ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि घटना वाले दिन पौने चार बजे के करीब नेपाली नौकर वीर बहादुर मकान के ऊपरी हिस्से से नीचे आया
और पूछा कि काम वाली नौकरानी कब आएगी। गार्ड मनोज ने जबाब दिया कि तुमको नौकरानी से क्या मतलब है जब आना होगा आएगी। इसके बाद वीर बहादुर ने घर से लाये गए खीर और पराठे के साथ चाय पीने को कहा। जैसे ही चाय पी और थोड़ी देर बाद चक्कर आने लगा और इसके बाद का उसे पता नहीं।
जिला अस्पताल के मेल वार्ड में मनोज दो दिन तक मदहोशी में पड़ा हुआ था और कुछ भी बोल नहीं पा रहा था। मंगलवार की सुबह साढ़े ग्यारह बजे के करीब होश में आते ही पुलिस की टीम ने उस पर सवालों की झड़ी लगा दी। मनोज ने बताया कि नेपाली नौकर को आठ-दस दिन पहले ही रखा गया था।
वो ऊपर के हिस्से में ही ज्यादा रहता था। जब मालिक प्रदीप दिल्ली जाने लगे तो हम दोनों के अलावा एक अन्य गार्ड को जिम्मेदारी सौंप कर गए थे। पुलिस ने मनोज से पूछा कि क्या उसने नेपाली नौकर के दोस्तों को देखा था तो उसने कहा कि उसके सामने कोई भी घर में नहीं आया था। शुगर का मरीज होने के कारण मनोज को दो दिन तक पता ही नहीं चला कि वो कहां पड़ा हुआ है। उसकी पत्नी भी वहीं मौजूद थी।
एक दर्जन लोगों को पूछताछ के बाद छोड़ा
करोड़ों की चोरी के मामले में पुलिस हर उस शख्स को उठाकर पूछताछ कर रही है, जिसकी छवि जरा भी संदिग्ध है। पुलिस ने इस सिलसिले में एक महिला समेत एक दर्जन लोगों को पूछताछ के लिये उठाया और उनसे सघनता से पूछताछ की। इन लोगों से पुलिस को चोरी के मामले में कोई खास जानकारी नहीं मिली है।
पकड़े गए लोगों में ठेला चलाने वाले, घर में काम करने वाली महिला, गलियों में आवारा घूमने वाले शामिल थे। सीओ ब्रह्मपुरी ब्रजेश सिंह ने बताया कि पूछताछ के बाद लोगों को छोड़ दिया गया है। जरूरत पड़ने पर इन लोगों को दोबारा बुलाया जाएगा।
नौकर भेजने वाले दो एजेंट पुलिस के शिकंजे में
ट्रांसपोर्टर प्रदीप गुप्ता के घर नेपाली नौकर भेजने वाले एजेंट अमन सिद्धु को पुलिस अभी क्लीन चिट देने के मूड में नहीं है। पुलिस का मानना है कि अगर एजेंट नौकर का पूरी तरह से सत्यापन करने के बाद उसे भेजता तो यह समस्या न आती, लेकिन एजेंट ने अपने लाभ के लिये इसे दरकिनार कर दिया था। पुलिस ने दिल्ली में भी नेपाली नौकरों को भेजने वाली एक एजेंसी के एजेंट को भी हिरासत में लिया है और उससे पूछताछ कर रही है।
शहर में जितने भी घरों में नेपाली नौकर काम कर रहे हैं उनमें अधिकांश में एजेंसियों ने नौकरों का पूरी तरह से सत्यापन नहीं करवाया हुआ है। इन एजेसिंयों का एक ही काम है कि नौकर उपलब्ध कराने के बाद एक महीने का वेतन लेने के बाद टाटा-बाय-बाय कर देते हैं। इसके बाद मालिक पूरी तरह से नौकर पर निर्भर हो जाता है। पुलिस ने अमन सिद्धु को जब हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि वो तो 40 से अधिक लोगों के घरों में इसी तरह से नौकरों को भेज चुका है।
जब पुलिस ने इसकी पड़ताल की तो पता लगा कि सिद्धु ने अधिकांश नौकरों का सत्यापन तक नहीं किया था। सवाल यह उठ रहा है कि एजेंट ने ऐसा क्यों किया कि बिना किसी जांच पड़ताल के नेपाली नौकर को प्रदीप गुप्ता के घर भिजवा दिया। क्या एजेंट ने नौकर का आधार कार्ड का वेरीफिकेशन करवाया था। जब पुलिस दिल्ली में वीर बहादुर की तलाश में गई तो वहां नेपाली नौकरों को भेजने वाले एक एजेंट का पता लगा। बताया जा रहा है कि मेरठ के एजेंट का उससे संपर्क था। पुलिस उसे भी दिल्ली से पूछताछ के लिये लेकर आ गई है और पूछताछ कर रही है।