जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में शुक्रवार को गौ ऐप और गौमूत्र से हाइड्रोजन और फिर बिजली बनाने का डेमो दिया गया। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने ऐप को अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड भी किया। साथ ही परिसर में मौजूद एक गाय का चेहरा ऐप में फीड कर खुद भी डेमो किया। आने वाले दिनों में यह ऐप गायों को पहचान देगा। इस ऐप में गायों की पूरी कुंडली रहेगी।
वहीं, गौ मूत्र का इस्तेमाल हाइड्रोजन और फिर बिजली बनाने में किया जा सकेगा। गाय आधारित उन्नति यानी गौ ऐप को कुलपति प्रो प्रदीप कुमार मिश्र और आईआईएम अहमदाबाद के प्रो अमित गर्ग के मार्गदर्शन में इंडियन बायोगैस एसोसिएशन व टेक मशिनरी लैब ने मिलकर बनाया है। फिलहाल लखनऊ के कान्हा उपवन की कुछ गायों का डाटा इस ऐप में दर्ज है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विशेष सचिव शहरी विकास डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने गाय आधारित पूरी अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डाला। उन्होंने गौशाला प्रबंधन, गौशाला के आत्मनिर्भर बनाने पर अपना अनुभव साझा किया। इसके लिए उन्होंने फर्रूखाबाद में एक गौशाला का जिक्र किया और कहा कि आधुनिक शिक्षा पद्धति ने हमें हमारी जड़ों से दूर कर दिया है। भारतीय संस्कृति में गाय का बहुत महत्व रहा है। लेकिन आज स्थिति ये हो गयी कि गाय बेसहारा होकर घूम रही हैं। हमें फिर से गाय के महत्व को समझने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि गाय के जरिये हम न केवल खुद की स्थिति बदल सकते हैं बल्कि पर्यावरण को भी काफी फायदा होगा। उन्होंने गाय और गोशालाओं के लिए सरकार की ओर से चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी दी। इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अपर्णा बिष्ट यादव ने वर्तमान में गायों की दशा पर चिंता जाहिर की। कहा कि कभी माता के रूप में पूजी जाने वाली गाय आज पन्नी खाकर मर रही हैं। इस स्थिति को बदलने की जरूरत है। हमें अपनी संस्कृति की ओर लौटना पड़ेगा।