चिकित्सा जगत में पैरों की नीली व मकड़ीनुमा नसों को वेरीकोस वेन्स के नाम से जाना जाता है। यह विलासिता पूर्ण एवं आराम पसंद जीवनशैली की देन है। इसके उपचार में ढिलाई करने में शरीर पर आने वाली विपदा का खतरा बढ़ जाता है। आधुनिकता वेरिकोस वेन्स के रोगियों, इसके खतरों एवं इसको लेकर चिंता को बढ़ा रही है।
किन्हें होता है? : लम्बे समय तक खड़े रहकर या कुर्सी पर बैठकर काम करने वालों को वेरिकोस वेन्स की शिकायत धीरे-धीरे होती है। सिपाही, यातायात वाले, चौकीदार, सैनिक, गार्ड एवं द्वारपाल आदि इससे पीड़ित होते हैं। शोरूम, दुकान, होटल स्वागत कक्ष, पूछताछ या खिड़की पर काम करने वाले इसके शिकार होते हैं। आॅफिस में टेबल पर बैठकर एवं पैर लटकाकर घंटों काम करने वालों के सामने यह स्थिति आती है। लगातार लंबी ड्राइव करने वाले इससे परेशान होते हैं। वकील एवं शिक्षा पेशे वाले भी को वेरिकोस वेन्स होता है। ये सभी अपने कार्य, कर्तव्य एवं आदत के चलते जाने-अनजाने में धीरे-धीरे इससे पीड़ित हो जाते हैं।
कारण क्या है: शरीर में मांसपेशियों के माध्यम से आक्सीजन मिश्रित खून लगातार प्रवाहित होता रहता है। यह कोशिकाओं को आक्सीजन की पूर्ति करता है और साथ में सफाई करते जाता है। हृदय में शुद्ध रक्त अर्थात प्राणवायु आक्सीजन लेकर निकला खून शरीर का परिभ्रमण करते गंदा हो जाता है। शारीरिक सक्रियता के चलते यह लगातार साफ होता रहता है किंतु शरीर के अंगों के स्थिर होने के काण यह गति मंद हो जाती है। पैर लटकाकर या खड़े होकर लम्बे समय तक रहने वालों की धमनियों अर्थात पैरों की आरटरी में प्रवाहित होने वाला शुद्ध खून आक्सीजन की पूर्ति करने के कारण गंदा हो जाता है और पैर अर्थात टांगों की निष्क्रियता के कारण नसें मोटी होकर उभर जाती हैं। यही बाद में नीली, काली या मकड़ीनुमा हो जाती हैं। सुप्त वेन्स गंदे खून से मरने एवं भरने लगती है। फूलकर उभरी व मकड़ी जाले की तरह दिखने लगती है। यह वेरिकोस वेन्स की शुरूआत है। ऐसे व्यक्ति को नसों में दर्द एवं थकान का अनुभव होता है।
उपचार क्या है?
’ ऐसी स्थिर स्थिति में काम करने वाले समय समय पर वेस्कुलर सर्जन से पैरों की नसों की जांच कराएं।
’ सर्जरी एवं लेजर थेरेपी दोनों से इसका उपचार किया जाता है। दोनों के अपने-अपने लाभ है। इसका आरएफए उपचार भी किया जाता है।
’ ऐसा व्यक्ति दबाव पूर्ण विशेष जुराबे पहने। जुराबों के दबाव से वेरिकोस वेन्स विकसित नहीं हो पाती हैं।
’ बैठकर या खड़े होकर लम्बी ड्यूटी करने वाला हर एक घंटे बाद अपनी स्थिति बदलें। कुछ कदम चले।
’ दैनिक यथा शक्ति पदयात्रा करें।
’ पैरों का व्यायाम करें।
’ जागिंग या रस्सी कूदने को व्यायाम में स्थान दें।
’ साइकिल चलाएं।
’ सोते समय पैरों वाल भाग कुछ ऊपर रखें। पैरों के नीचे सिरहाने रख लें।
’ ऐसा व्यक्ति स्थिर रहने की दिनचर्या को पूरी तरह बदल दें।
’ वजन को नियंत्रित करें।
’ आरामपसंद दिनचर्या बदलें।