- रजवाहों की सफाई न होने से किसानों को उठानी पड़ रही परेशानी
- सफाई के नाम पर हर साल जारी होता है पैसा
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: क्षेत्र में रजवाहों की सफाई के नाम पर खेल हो रहा है। कागजों में रजवाहों और माइनरों की खूब सफाई हो रही है। मगर धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। कई रजवाहों व माइनरों की सालों से सफाई नहीं हुई है तो कई में टेल तक पानी ही नहीं पहुंच रहा है। सिंचाई विभाग की ढिलाई और सफाई के अभाव में माइनर नाले में तब्दील हो रहे हैं।
फैक्ट्री और डेयरियों के दूषित पानी ने माइनर को नाला बना दिया है। जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।
सरधना क्षेत्र में खेतों की सिंचाई के लिए कई रजवाहे और माइनर हैं। ताकि किसान अपने खेतों की ठीक से सिंचाई कर सके। मगर इसके बाद भी किसानों को इंजन का सहारा लेना पड़ता है। क्योंकि रजवाहों और माइनर की सफाई कागजों में होती है। जिसके चलते यह गंदगी से अट जाते हैं और टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है।
कागजों में रजवाहों और माइनर की धारा अविरल बह रही है। मगर धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। तहसील से चंद कदम की दूरी पर स्थित नवाबगढ़ी माइनर अपने अस्तीत्व के लिए तड़प रहा है। यह माइनर झिटकरी से शुरू होकर नवाबगढ़ी, सरधना और मंढियाई जाता है। करीब 7.4 किमी का यह माइनर नाले में तब्दील हो चुका है। क्योंकि इस माइनर में फैक्ट्री और डेयरियों का दूषित पानी डाला जा रहा है।
सालों से इस माइनर की सफाई नहीं हुई है। जिसके चलते इसमें बड़ी झाड़ फूंस उग आई है। देखने में लगता है कि कोई गंदा नाला झाड़ से पटा हुआ है। कागजों में इस माइनर की सफाई हो रही है और यह माइनर अच्छे से पर्वाह कर रहा है। इस माइनर से जुुड़े सैकड़ों किसान सिंचाई के पानी के लिए परेशान है। वैसे तो यह किसान सिंचाई विभाग को सालाना कर अदा कर रहे हैं।
मगर इसके बाद भी खेतों व बागवान की सिंचाई के लिए इन्हें इंजन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। यदि सफाई के नाम पर हो रहे इस खेल की धरातल पर ठीक से जांच हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। पता चल जाएगा कि किसानों को लेकर सरकार की गंभीरता को सिंचाई विभाग कितनी ईमानदारी से समझ रहा है। इस संबंध में जिलेदार विनय कुमार त्यागी का कहना है कि रजवाहों की नियमित सफाई होती है। माइनर में गोबर बहाने वाले डेयरी संचालकों को नोटिस जारी किए गए हैं।
डेयरी संचालकों को सिर्फ नोटिस
माइनर में गोबर बहाने वाले डेयरी संचालकों पर कार्रवाई के नाम पर सिंचाई विभाग खानापूर्ति करके बैठ जाता है। महज कागजों का पेट भरा जाता है। डेयरी संचालकों को नोटिस जारी किए जाते हैं। इससे आगे कोई कार्रवाई नहीं होती है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मानें तो करीब डेढ़ माह पूर्व भी माइनर में गोबर बहाने वाले डेयरी संचालकों को नोटिस जारी किए गए हैं।
किसानों की क्या गलती है?
इस पूरे खेल के बीच नुकसान सिर्फ और सिर्फ किसानों को ही हो रहा है। क्योंकि वह रजवाहे से पानी लेने के नाम पर सालाना कर भी जमा कर रहे हैं और मजबूरन इंजन में डीजल फूंककर खेतों की सिंचाई कर रहे हैं। जिससे किसानों पर दोगुना भार पड़ रहा है।