स्पोर्ट्स में खेल के अलावा आप मेडिसिन में भी करियर बना सकते हैं। स्पोर्ट्स मेडिसिन में करियर के लिए सुनहरा अवसर है। खेलकूद और अभ्यास के दौरान चोट लग जाती है। चोटिल खिलाड़ियों की देखभाल और उपचार स्पोर्ट्स मेडिसिन के तहत आता है। स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट को खिलाड़ियों को जरूरत पड़ने पर उपचार देना होता है और सावधानी के उपाय बताने होते हैं। देश-दुनिया में खेल की संस्कृति तेजी से फैल रही है।
खेलकूद और अभ्यास को बढ़ावा मिलने के साथ स्पोर्ट्स मेडिसिन में करियर की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। अगर आप फिटनेस और मेडिसिन में दिलचस्पी लेते हैं तो यहां सुनहरा भविष्य आपका इंतजार कर रहा है।
संभावनाएं
खेलकूद की दुनिया में काफी प्रतिस्पर्धा है। खिलाड़ियों को हमेशा फिट रहना होता है। ऐसे में खिलाड़ियों की जिंदगी में स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट की अहमियत और जरूरत बढ़ जाती है। खिलाड़ी को खेल की दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए इस तरह के स्पेशलिस्ट की सहायता और मार्गदर्शन जरूरी होता है। साथ ही किसी तरह की चोट लगने पर स्पेशलिस्ट उनको उस स्थिति से उबरने में मदद करते हैं।
योग्यता
स्पोर्ट्स मेडिसिन मेडिकल साइंस की एक काफी स्पेशलाइज्ड ब्रांच है। एमबीबीएस डिग्री के बाद ही आप इस फील्ड में करियर बना सकते हैं। अगर आप स्पोर्ट्स मेडिसिन फील्ड में डिप्लोमा कोर्स करना चाहते हैं तो पहले आपको आॅल इंडिया स्पोर्ट्स मेडिसिन पोस्ट ग्रैजुएट एंट्रेंस टेस्ट देना होगा। एंट्रेंस टेस्ट में पास होने के बाद आपको इंटरव्यू देना होगा। ये दोनों राउंड क्लियर करने के बाद ही आपका ऐडमिशन हो पाएगा।
जॉब प्रोफाइल
स्पोर्ट्स मेडिसिन फिजिशियन मुख्य रूप से खिलाड़ियों को चोट से उबरने में मदद करता है। किसी खेल से पहले वह खिलाड़ी के फिटनेस लेवल की भी जांच करता है। डॉक्टर की भूमिका सिर्फ खेल से संबंधित चोट तक ही सीमित नहीं होती है। खिलाड़ी अगर दमा या मनोचिकित्सीय समस्याओं से जूझ रहा है तो डॉक्टर को उन चीजों के उपचार भी ध्यान देना होता है। काउंसिलर, कंसल्टेंट्स और परफॉर्मेंस एजुकेटर के तौर पर भी स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट्स अपनी सेवा दे सकता है। स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट के ज्ञान और मार्गदर्शन की मदद से खिलाड़ियों के फिटनेस और परफॉर्मेंस में बढ़ोतरी हो सकती है।
वेतन
स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट्स की सैलरी उनके रोल्स, अनुभव और जॉब के लोकेशन के मुताबिक अलग-अलग होती है। खिलाड़ियों को हमेशा फिट रहना होता है जिसमें उनकी मदद स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट करते हैं। ऐसे में स्पोर्ट्स मेडिसिन प्रैक्टिशनर की अच्छी कमाई होती है। भारत में उनकी शुरूआती सैलरी 40 हजार रुपये प्रति महीने है। ज्यादा अनुभव के साथ यह बढ़कर 1 लाख रुपये महीने हो सकती है। एक एक्सपर्ट 3 लाख रुपये महीने तक भी कमा सकता है।
ये संस्थान आॅफर करते हैं कोर्स
अगर आप इस फील्ड में स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं तो नेताजी सुभाष नैशनल इंस्टिट्यूट आॅफ स्पोर्ट्स की फैकल्टी आॅफ स्पोर्ट्स साइंसेज से स्पोर्ट्स मेडिसिन में 2 साल का पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा कर सकते हैं। यह डिप्लोमा बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आॅफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट से संबद्ध है और मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया से मान्यता प्राप्त है।
बेंगलुरु स्थित हॉस्पिटल फॉर आॅथोर्पीडिक्स, स्पोर्ट्स मेडिसिन, अर्थराइटिस और ऐक्सिडेंट ट्रॉमा में पोस्ट एमबीबीएस बेसिक कोर्स आॅफर किया जाता है और आॅथोर्पीडिक सर्जन के लिए एडवांस कोर्स कराया जाता है।
गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर स्पोर्ट्स मेडिसिन में एमडी और पीएचडी प्रोग्राम आॅफर करती है।
आप आॅल इंडिया इंस्टिट्यूट आॅफ हाइजीन ऐंड पब्लिक हेल्थ, कोलकाता या श्री रामचंद्र यूनिवर्सिटी, चेन्नई से आप एमडी कोर्स कर सकते हैं।
फीचर डेस्क