- एनजीटी के नियमों के अनुसार एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल वाहन नहीं दौड़ा सकते
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों के अनुसार, मेरठ व एनसीआर में 10 साल पुरानी डीजल बसें नहीं चल सकतीं, लेकिन संभागीय परिवहन विभाग की मिलीभगत से इस नियम की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। शहर में बड़ी संख्या में ऐसी डीजल बसें सड़कों पर दौड़ रही है। जिनके पास पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट नहीं है। यह बसें शहर की जनता को प्रदूषण परोस रहीं है।
शहर की सड़कों पर जहरीला धुआं छोड़ती बसों में से एक बस है यूपी-81बीटी-7333 जिस पर किसी की लगाम नहीं है। आरटीओ विभाग वैसे तो दावे करता है कि नियम विरुद्ध कोई भी वाहन सड़कों पर नहीं चल सकता, खासकर ऐसी बसें जो एनजीटी के नियमों को पूरा नहीं करती, लेकिन विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट के बिना डीजल की बसें दौड़ रहीं है। यह बसें सुबह सात बजे सड़कों पर उतर जाती है और पूरे दिन मेरठ व आसपास के जिलों तक सवारियां ढोती रहती है।
हालांकि कई ऐसे स्पॉट हैं, जहां संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारी ऐसे वाहनों की चेकिंग करते हैं, लेकिन उनकी नजर इन वाहनों पर नहीं पड़ती। ऐसा भी कहा जा सकता है कि उनकी नजरें इन वाहन स्वामियों पर काफी मेहरबान रहती है। अकेले मेरठ में ही 50 हजार से ज्यादा ऐसे वाहन है, जो एनजीटी के नियमों का पालन नहीं करते हैं। पांच साल पहले आरटीओ की ओर से एक नोटिस जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि यूएससी, यूएसएल, यूएसटी, यूएसडी, यूआरजे, यूटीजी, यूएचडी, यूपी-15 ए, बी, सी, डी, एफ, टी, एटी, बीटी व सीटी सीरीज वाले वाहन जो 10 साल उम्र पूरी कर चुके हैं।
उन्हें 30 दिन के भीतर एनसीआर क्षेत्र व यूपी के प्रतिबंधित जिलों को छोड़कर दूसरे जिलों के लिए एनओसी लेनी होगी, लेकिन अभी भी यह वाहन सड़कों पर लगातार दौड़ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिना पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट के दौड़ रहे वाहनों पर संभागीय परिवहन विभाग मेहरबान है। विभाग के ही जिम्मेदार लोग इन वाहनों को अवैध रूप से सड़कों पर दौड़ाने का काम कर रहे हैं। सवाल ये कि विभाग को इस तरह आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने का अधिकार किसने दिया। क्यों भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है।