जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: यौन उत्पीड़न को लेकर हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रोक लगा दी है। देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने मामले के आरोपी को नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में यूथ बार एसोसिएशन आफ इंडिया ने याचिका दाखिल कर चुनौती दी है।
A Bench headed by the Chief Justice of India SA Bobde also issues notice to the accused in the case, seeking his response in two weeks. https://t.co/RACAoDiQDZ
— ANI (@ANI) January 27, 2021
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने अपने फैसले में कहा था कि किसी नाबालिग के कपड़े उतारे बिना उसके वक्षस्थल को छूना यौन हमला नहीं कहा जा सकता। यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है।
इस तरह के कृत्य को बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत यौन हमले के रूप में नहीं ठहराया जा सकता। यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है। हाईकोर्ट के इस फैसले पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई थी और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी।
Breaking: Supreme Court stays Bombay High Court order acquitting accused in POCSO Act which had said skin to skin contact necessary for sexual assault under POCSO Act.#SupremeCourt #BombayHighCourt pic.twitter.com/iG1ksvlKro
— Bar & Bench (@barandbench) January 27, 2021
यह मामला एक नाबालिग पीड़िता से जुड़ा हुआ है। एक 12 वर्षीय बालिका के साथ यौन उत्पीड़न मामले में 39 वर्षीय व्यक्ति को सत्र अदालत ने दोषी करार दिया था। दोषी को 3 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई थी। घटना दिसंबर 2016 में हुई थी, जिसके बारे में बताया गया कि आरोपी लड़की को कुछ खिलाने के लालच के बहाने अपने घर ले गया था, जहां उसके वक्षस्थल को छुआ।