हर मौसम में हमें अपना खान पान मौसम अनुसार बदलना चाहिए। अगर हम जीवन में मौसम के अनुसार बदलाव नहीं लाएंगे तो हमारा स्वास्थ्य बिगड़ने लगेगा। अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए जीवन शैली व खानपान में बदलाव लाना जरूरी है। तभी हम फिट एंड फाइन रहेंगे। आइए जानें गर्मियों में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और कैसे करें उनका समाधान।
लू लगना
अंग्रेजी में लू लगने को हीटस्ट्रोक कहते हैं। जब हवा में इतनी गर्मी हो कि बाहर निकलते ही गर्म थपेड़े शरीर पर पड़ें, ऐसे मौैसम में हीटस्ट्रोक होने से अवसर बढ़ जाते हैं। ऐसी अवस्था में रोगी को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता पड़ती है। थोड़ी सी लापरवाही जान के लिए खतरा बन सकती है। कभी कभी ज्यादा गर्मी से गर्मी को नियंत्रित करने का सिस्टम शरीर में बिगड़ जाता है तो शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। इससे हीट स्ट्रोक हो सकता है। अधिक तापमान बढ़ने से अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।
क्या हैं लक्षण : पल्स रेट तेज होना, चेहरा लाल होना, सिरदर्द, चक्कर आना, बेहोश होना, शरीर में पानी की कमी इसके लक्षण हैं। शरीर का इतना गर्म होना जैसे बुखार हो और थमार्मीटर लगाने पर तापमान 102-103 डिग्री आना आदि।
क्या हैं उपाय : भीषण गर्मी में बाहर मजबूरी होने पर ही निकलें। अगर जाना भी पड़े तो सूती पतले, हल्के रंग वाले वस्त्र पहनें। सिर व चेहरा ढककर बाहर जाएं। छाता लेकर और चश्मा लगाकर बाहर निकलें। पानी साथ लेकर चलें और थोड़ा थोड़ा पानी थोड़े अंतराल में लेते रहें। फालतू में अपने आपको न थकाएं।
पानी की कमी होना (डीहाइड्रेशन)
गर्मी अधिक होने पर अगर पानी की मात्रा कम ली जाए तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है जो स्वास्थ्य हेतु बहुत हानिकारक हो सकता है।
क्या हैं लक्षण : मितली होना, हल्का सिरदर्द, मुंह सूखना, त्वचा का खुश्क लेना, पेशाब कम आना, भूख कम लगना आदि।
क्या हैं उपाय : दिनभर में 10-12 गिलास पानी अवश्य पिएं। छाछ, मिल्क शेक, नींबू पानी, नारियल पानी भी ले सकते हैं। गर्मियों में खीरा, ककड़ी, टमाटर, नींबू, तरबूज और खरबूजे का भरपूर सेवन करें। चाय-काफी का सेवन कम कर दें। बच्चों और बूढ़ों को बार-बार पानी पिलाते रहें। एसिडिटी बनाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। दिन में एक बार ग्लूकोज पानी के साथ लें। यदि साधारण पानी पीने का मन न हो तो उसमें शर्बत और चुटकी भर नमक मिलाकर लें।
गैस्ट्रिक समस्या होने पर
गर्मियों में गैस्ट्रिक समस्या आम बात है। इस मौसम में जीवाणु आसानी से पनपते हैं। गैस्ट्रिक की समस्या खराब पानी और खाने से होती है क्योंकि इस मौसम में खाना जल्दी खराब होता है। इन दिनों मच्छर-मक्खियां अधिक होते हैं जो खाने पर बैठकर रोग फैलाते हैं।
क्या हैं लक्षण : उल्टी होना, बेचैनी, पेटदर्द, हल्का बुखार, गला सूखना, कमजोरी आदि होना।
क्या हैं उपाय : शारीरिक सफाई पर पूरा ध्यान दें, कटे खुले फल न खाएं, खाना ताजा खाएं, सब्जियां फल अच्छे से धोकर पकाएं और खाएं। बाहर का खाना मजबूरी होने पर पूरा पका वाला खाएं। स्टीम्ड और कच्चा न खाएं।
आंखों की समस्या
गर्मी अधिक होने पर आंखों में जलन, खुजली, लाल होना आम समस्या है। मानसून में कंजक्टिवाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है। आंखों में अधिक जलन और खुजली आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है। तेज धूप, अधिक गर्मी और सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों को नुकसान पहुंचाती हैं जिनका प्रभाव रेटिना पर पड़ सकता है।
क्या हैं लक्षण : आंखों में सूजन, खुजली, लाल होना, आंखों का खुश्क होना या गाढ़ा तरल निकलना इसके लक्षण हैं।
क्या हैं उपाय : बाहर जाते समय सनग्लासेस जरूर पहनें, छाता लेकर जाएं, बाहर से घर वापिस आने पर ठंडे पानी से चेहरा और आंखें धोएं। आंखों को आराम देने के लिए गुलाबजल में रूई के फाहे भिगोकर आंखों पर रखें, खीरे के ठंडे स्लाइस आंखों पर रखें। कंजक्टिवाइटिस होने पर अपने हाथ बार-बार धोएं, अपना रूमाल, चश्मा, तौलिया, चादर किसी के साथ शेयर न करें।
इसके अतिरिक्त गर्मियों में फूड पाइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए बाहर के खाने विशेषकर दही, सलाद व कटे फल से बचें। बाहर जाते समय घर का साफ पानी लेकर जाएं, बाहर का दूषित पानी जान्डिस, टायफायड जैसी बीमारी दे सकता है। गर्मियों में दिन में दो बार स्नान करें। पानी में व्हाइट बिनेगर या गुलाबजल मिलाकर स्नान करें। नहाने के बाद शरीर पर मेडिकेटेड टेलकम पाउडर लगाएं ताकि शरीर में दुर्गन्ध न आए।
इनका भी रखें ध्यान
हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
कपड़े हमेशा सूती या लिनेन के पहनें ताकि पसीना आसानी से सूख सके।
खाना भूख से कम खाएं।
खाना ताजा खाएं। खाने को ढककर रखें। जो खाना बच जाए, तुरंत फ्रिज में रखें।
धूप के समय बाहर जाने से बचें। अगर जाना भी हो तो भूखे पेट न निकलें। लू का खतरा बढ़ सकता हे।
अधिक ठंडे पेय न पिएं, न ही अधिक ठंडा पानी पिएं।
एसी, कूलर से निकलकर एकदम बाहर धूप में न जाएं। ऐसा करने से तबियत खराब हो सकती है। शरीर के तापमान को सामान्य होने दें।
प्रात: जल्दी उठकर सैर, व्यायाम, योग प्राणायाम जो भी सुविधानुसार हो, करें। (स्वास्थ्य दर्पण)