जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भाटवाड़ा वाली मां दुर्गा का मंदिर भक्तों के अटूट विश्वास का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। कई 100 वर्ष पूर्व प्राचीन काल में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर से शुरू हुई भक्ति की धारा अखाडे वाले हनुमान जी एवं मां दुर्गा के साथ-साथ मां काली की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा के बाद से भक्तों के दिल में अपनी अलग पहचान रखता है। मंदिर में अपने आराध्य भगवान के दर्शन करने के लिए मेरठ ही नहीं वरन दूरदराज से भक्त दर्शन करने के लिए मां दुर्गा के मंदिर में आते हैं।
1974 में हुई थी मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना
मंदिर में बचपन से मां दुर्गा का सिंगार कर रहे मां के अन्नत भगत पंडित आरपी शर्मा ने बताया कि मां दुर्गा सभी भक्तों की मनोकमाना पूरी करती है। कई सौ वर्ष पहले इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। जिसके बाद अखाडे वाले हनुमान जी एवं वर्ष 1974 में मां दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना होने के बाद से ही वह मां दुर्गा का शृंगार करते हैं।
उन्होंने बताया कि पहले यहां पर सतमी, अष्ठमी व नवमी को मेला लगता था लेकिन अखाडे वाले स्थान पर कुछ साल पहले मां काली की मूर्ति की स्थापना होने के पश्चात अब नौ दिनों तक नवरात्र का मेला लगता है। साथ ही 10वीं के दिन मां दुर्गा की भारत में सबसे बड़ी दूसरी भव्य शोभायात्रा निकाली जाती हैं। 18 घंटे में पूरी होने वाली ये विशाल शोभायात्रा शहर ही नहीं देश के में भी प्रसिद्ध है।
शोभयात्रा के लिए मंदिर में ही बंगाल के कारीगर बनाते है मूर्ति
पंडित आरपी शर्मा ने बताया कि हर साल निकलने वाले मां दुर्गा की शोभायात्रा के लिए मंदिर प्रांगण में मूर्तिया बनायी जाती है। जिसके लिए बंगाल के कारीगर लगाए जाते हैं। शोभयात्रा संपन्न होने के बाद मूर्ति को एकादशी के दिन मां गंगा में विसर्जन कर दिया जाता है। अबकी बार भी शोभायात्रा निकालने की तैयारी की जा रही है। हालांकि कोविड-19 के कारण इसका शोभायात्रा के स्वरूप में बदलाव किया गया है। शासन की अनमुति एवं निर्देशों का पालन करते हुए शोभायात्रा निकाली जाएगी। बता दें कि मां दुर्गा की भक्ति जो भी भक्त सच्चे मन से करता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है।