- दो साल से अवैध रूप से चल रही पल्हैड़ा में शूटिंग रेंज
- शूटिंग छोड़ सिर्फ पैसा कमाने में लगे समाजवादी
- प्रशासन की शूटिंग रेंज पर मठाधीशों का कब्जा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पल्हैड़ा में चल रही शूटिंग रेंज इस समय अवैध रूप से चल रही है। जिस द्रोणाचार्य स्पोर्ट्स डेवलपमेंट सोसायटी को पांच साल की लीज पर दिया गया था। उसकी लीज समाप्त हुए दो साल हो चुके हैं और प्रशासन आज तक इसे खाली नहीं करा पाया है। हालात यह हो गए हैं कि समाजवादी पार्टी की सरकार में निजी हाथों में दी गई शूटिंग रेंज ने इंटरनेशनल शूटर तो पैदा नहीं किये, लेकिन तिजौरियां जरूर भर ली।
समाजवादी पार्टी की सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री मोहम्मद अब्बास ने तत्कालीन डीएम पंकज यादव पर दबाब डालकर प्रतिष्ठित पल्हैड़ा शूटिंग रेंज को द्रोणाचार्य स्पोटर्स डेवलपमेंट सोसायटी को पांच साल की लीज पर दिलवा दिया था। उस वक्त तय किया गया था कि द्रोणाचार्य सोसायटी शूटरों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिलवा कर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के शूटर बनाएगी। एकेडमी ने पहले दिन से शूटरों से तीन हजार रुपये प्रति माह लेने पर पूरा फोकस कर दिया।
सोसायटी ने यह भी तय किया था कि दस प्रतिभाशाली शूटरों को 50 फीसदी की छूट दी जाएगी। इसके लिये एमडीआरए की तरफ से दी गई सूची को जिलाधिकारी जारी करेंगे। हैरानी की बात यह है कि सोसायटी ने एक बार भी इस पर अमल नहीं किया। पांच साल तक इस एकेडमी ने एक भी नेशनल लेवल की प्रतियोगिताएं तक नहीं कराई। पंकज यादव के बाद कई जिलाधिकारी आए और ट्रांसफर होकर चले भी गए, लेकिन एक बार भी द्रोणाचार्य सोसायटी की बैठक तक आयोजित नहीं की गई।
निजी हाथों में आई रेंज ने प्रशासन को पूरी तरह से दरकिनार करके रख दिया था। फिलहाल इस रेंज पर वर्तमान में लगभग 50 से 60 खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं। यह खिलाड़ी बागपत और दिल्ली के अलावा आसपास के जनपदों से है। बाकायदा इन खिलाड़ियों से मोटी फीस भी वसूली जा रही है। सुबह और शाम में दोनों समय खिलाड़ी यहां अभ्यास भी कर रहे हैं और सरकार को एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिल रही है।
क्यों नहीं खाली कराई गई शूटिंग रेंज?
दरअसल, मोहम्मद अब्बास ने द्रोणाचार्य सोसायटी ने 50 हजार रुपये वार्षिक फीस देकर उभरती प्रतिभाओं को गिरवी में रख दिया था। इस सोसायटी को मोहम्मद फैसल चला रहे हैं। दो साल पहले द्रोणाचार्य सोसायटी के साथ की गई लीज समाप्त हो गई। पूर्व डीएम अनिल ढींगरा के समय समाप्त हुई लीज के नवीनीकरण की तरफ प्रशासन का ध्यान नहीं गया।
समाजवादी पार्टी की सरकार भी चली गई और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आ गई, लेकिन न तो पूर्व डीएम के. बालाजी और न ही दीपक मीणा के सामने असलहा बाबू ने नवीनीकरण की फाइल नहीं रखी। दो साल तक सरकार को राजस्व का चूना लगता रहा। आखिर इसके लिये कौन जिम्मेदार है? क्या इस लापरवाही पर प्रशासन कार्रवाई करेगा। यह यक्ष प्रश्न हैं, क्योंकि रेंज को अवैध रूप से चलाना अपने आपमें अपराध है। इस अवधि में जो फीस वसूली गई उसके लिये कौन जिम्मेदार है?
धोखे की बुनियाद पर लीज डीड
तत्कालीन डीएम पंकज यादव के समय में द्रोणाचार्य स्पोर्ट्स डेवलपमेंट सोसायटी की लीज डीड बनाते समय तय किया गया था कि इस लीज का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा और अवधि पूरी होने पर प्रक्रिया नये सिरे से पूरी की जाएगी। इस लीज डीड पर फर्जी तरीके से हेरफेर किया गया और इसमें नवीनीकरण की शर्त जोड़ दी गई।
लाइसेंस फीस फिर भी ट्रेनिंग की सुविधा नहीं
एमडीआरए हर नये लाइसेंस पर शुल्क वसूलता है। सात सालों में काफी सारे लाइसेंस बने और इनकी एवज में फीस वसूली गई, लेकिन इन लाइसेंसधारियों को प्रशिक्षण की सुविधा नहीं मिल रही। प्रशासने के शूटिंग रेंज पर मठाधीशों का कब्जा हो गया है।
ट्रैप शूटिंग रेंज कबाड़
जब से निजी हाथों में पल्हैड़ा शूटिंग रेंज आई है तभी से ट्रैप शूटिंग रेंज कबाड़ बन गई है। शूटरों को दिल्ली जाकर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है। द्रोणाचार्य सोसायटी में तो कुछ प्रभावशाली परिवारों ने शूटिंग रेंज में अपनी जगह तक बुक कर रखी है और दूसरा उसमें प्रैक्टिस तक नहीं कर सकता है।
सवाल यह उठ रहा है कि दो साल से सोसायटी जब सरकार को पैसा नहीं दे रही है और पूरी कमाई अपने पास रखे हुए है ऐसे में रेंज का विकास क्यों नहीं किया। शासन से इसके लिये बजट भी आया था। प्रशासन और समाजवादियों के कब्जे में आई शूटिंग रेंज को चलाने वाली सोसायटी अगर ध्यान देती तो इसके दिन बदल सकते थे।