Friday, December 27, 2024
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छुपी प्रतिभा को गढ़ने की कला स्पेशल एजुकेटर का कॅरियर

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प्रसिद्ध अमेरिकी गायक और गीत लेखक सटेवी वंडर ने एक बार कहा था, ‘केवल इस वजह से कि एक आदमी अपनी आंखों के इस्तेमाल से वंचित है, तो इसका अर्थ कदापि यह नहीं है कि उसके पास भविष्य को देखने की क्षमता नहीं है।’ विज्ञान और तकनीकी के विकास के साथ शारीरिक और मानसिक अक्षमता अब जीवन में आगे बढ़ने के लिए किसी बाधा के रूप में शुमार नहीं होता है। स्पेशल एजुकेशन में प्रशिक्षित उम्मीदवार उन हजारों लोगों के लिए उम्मीदों की किरण हैं जो उनके जीवन में उजाला ला सकते हैं। यही कारण है कि एक स्पेशल एजुकेटर के रूप में भविष्य की उड़ान अपार संभावनाओं से भरा हुआ है।

वर्ष 2007 में आमिर खान के द्वारा निर्मित और निर्देशित हिन्दी फिल्म ‘तारे जमीन पर’ काफी हिट हुई थी। इस फिल्म को वर्ष 2008 में सर्वोत्तम फिल्म के लिए फिल्मफेयर का अवॉर्ड भी मिला था। मुख्य रूप से यह फिल्म 8 वर्ष के एक लड़के जिसका आॅनस्क्रीन नाम ईशान अवस्थी है और जिसके किरदार को दर्शील सफारी ने बेहद जीवंत रुप में अदा किया था के जीवन पर केंद्रित है। इस फिल्म में ईशान अवस्थी डिस्लेक्सिया (सुनने, अक्षरों को पहचानने, तेजी से पढ़ने और लिखने से संबंधित अयोग्यता, इसे पहले ‘शब्द नेत्रहीनता’ भी कहा जाता था) से ग्रसित है।

ईशान के जीवन में अपनी स्नेहपूर्ण शिक्षण कला और देखभाल से आमिर खान के रूप में आर्ट शिक्षक राम शंकर निकुंभ ने जो परिवर्तन लाया, यही चमत्कार इस फिल्म की कहानी का प्लॉट है। इस फिल्म में जिस प्रकार से डिस्लेक्सिया से ग्रसित एक बच्चे के स्वाभाविक हुनर को निखारने का कार्य एक शिक्षक के द्वारा किया गया है उसे ही स्पेशल एजुकेटर कहा जाता है।

भारत सरकार के मिनिस्ट्री आॅफ स्टेटिस्टिक्स और प्रोग्राम इम्प्लिमेन्टेशन के 2011 की जनगणना के आंकड़े के अनुसार देश में विभिन्न प्रकार के दिव्यांगों की संख्या 26.8 मिलियन है जो पूरी जनसंख्या का प्राय: 2.2 प्रतिशत है। इन्हें डिफ्रन्टली एब्लड भी कहे जाते हैं। ये दिव्यांग बच्चे ‘चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड्स’ के नाम से भी जाने जाते हैं। विभिन्न मानसिक और शारीरिक अक्षमताओं से ग्रसित बच्चों को शिक्षित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण और टीचिंग मेथडॉलजी की जरूरत होती है जिसे स्पेशल एजुकेटर प्रदान करते हैं। समय के साथ इस प्रकार के शिक्षकों की मांग में काफी वृद्धि हो रही है।

आवश्यक कौशल

स्पेशल एजुकेशन का डोमेन केयर, कंसर्न और मानवीय अनुभूति के समझ की होती है जिसके लिए अगाध धैर्य की आवश्यकता होती है। कॅरियर और जॉब्स के अन्य डोमैन से अलग स्पेशल एजुकेशन के इस क्षेत्र में सफलता के लिए एक उम्मीदवार में निम्न कौशल का होना अनिवार्य माना जाता है-

अगाध धैर्य और उदारता, मानवीय गुण, चाइल्ड साइकॉलजी की गहरी समझ, क्रिटिकल थिंकिंग की क्षमता (तर्क और परिस्थितियों के आधार पर समस्याओं के समाधान निकालने की क्षमता), उत्कृष्ट कम्युनिकेशन स्किल, प्रेरित करने की विलक्षण क्षमता, उत्कृष्ट लीडरशिप क्वालिटी, रचनात्मकता और आशावाद, जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करने की क्षमता आदि।

स्पेशल एजुकेटर का जॉब प्रोफाइल

स्पेशल नीड्स वाले बच्चों की शिक्षा के लिए एक स्पेशल एजुकेटर की मुख्य जिम्मेदारी ऐसे बच्चों को विशेष प्रकार की शिक्षण विधियों और पाठ्यक्रम के साथ शिक्षित करना होता है। स्पेशल एज्यूकेटर की मुख्य जिम्मेदारियां निम्नांकित होती हैं-

स्टूडेंट्स की प्रतिभा और अयोग्यता का बारीकी से अध्ययन करना और एक दोषरहित शिक्षण विधि की योजना बनाना, क्लास रूम में स्टूडेंट्स के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक संकटों का समाधान करना, स्टूडेंट्स की जरूरत के मुताबिक स्टडी मटेरियल्स तैयार करना, स्टूडेंट्स के परफॉरमेंस के आधार पर नेक्स्ट लेवल के क्लास और लर्निंग के लिए योजना बनाना, स्टूडेंट्स के लर्निंग और बिहैवियर पैटर्न में सुधार से उनके पेरेंट्स को अवगत कराना, स्टूडेंट्स की लर्निंग डेवलपमेंट का ध्यान रखना, स्टूडेंट्स के मेंटल स्टैटस का ध्यान रखना और उसके अनुरूप सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाना।

शुरुआत कहां से करें

स्पेशल एजुकेशन का क्षेत्र पेशेन्स और पर्सवीरन्स का होता है। हाल के वर्षों में इस डोमेन में कॅरियर के लिए उम्मीदवारों के रुझान में काफी वृद्धि हुई है। स्पेशल एजुकेटर के रूप में कॅरियर के इच्छुक स्टूडेंट्स के लिए रास्ते किसी भी स्ट्रीम में बारहवीं पास करने के बाद से खुल जाते हैं। बारहवीं के बाद स्टूडेंट स्पेशल एजुकेशन में डिप्लोमा (डीएड, डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन) कर सकते हैं। इस डिप्लोमा कोर्स में एड्मिशन प्लस टू में मार्क्स के आधार पर या एंट्रेंस टेस्ट में प्राप्त क्वालिफाइंग मार्क्स के आधार पर होता है।

प्लस टू पास करने के बाद स्पेशल एजुकेशन में बैचलर आॅफ एजुकेशन (बीएड) डिग्री के लिए विभिन्न यूनिवर्सिटी के द्वारा एंट्रेंस टेस्ट कंडक्ट कराए जाते हैं। स्पेशल एजुकेशन प्रोग्राम में बैचलर आॅफ एजुकेशन की डिग्री प्राप्त करने के बाद इसमें पोस्टग्रेजुएट की डिग्री के लिए दाखिला लिया जा सकता है।

स्पेशल एजुकेशन कोर्स सर्टिफिकेट्स, डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर और पीएचडी लेवल पर उपलब्ध हैं और जिसके लिए न्यूनतम एलिजबिलिटी दसवीं क्लास पास है। इस डोमैन में विभिन्न कोर्स निम्नांकित हैं-

इनग्रैटेड कोर्स (बीए+बीएड स्पेशल एजुकेशन, बीएससी+बीएड स्पेशल एजुकेशन), डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन (विज्वल इम्पेयरमेंट, डीफ ब्लाइन्ड हियरिंग इम्पेयरमेंट, मेंटल रीटाडेर्शन), अंडरग्रेजुएट स्पेशल एजुकेशन कोर्स, स्पेशल एजुकेशन में बैचलर कोर्स एंट्रेंस इग्जैमिनैशन या मेरिट बेस्ड होता है। इस कोर्स के लिए न्यूनतम अर्हता ग्रेजुएशन की डिग्री होती है।

पोस्ट ग्रेजुएट स्पेशल एजुकेशन कोर्स

स्पेशल एजुकेशन में पोस्टग्रेजुएट डिग्री के लिए न्यूनतम अर्हता ग्रैजूएशन डिग्री की है। इस स्तर पर कोर्स के कई स्पेशलाइजैशंस हैं। वैसे दसवीं और बारहवीं पास करने के बाद स्पेशल एजुकेशन में सर्टिफिकेट कोर्स भी किए जा सकते हैं। ये सर्टिफिकेट कोर्स आॅटिजम स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर, टीच चिल्ड्रन विद लर्निंग डिसएबिलिटीज, वर्किंग विद स्टूडेंट्स विद स्पेशल एजुकेशनल नीड्स इत्यादि स्पेशलजैशन के साथ किया जा सकता है। ये सर्टिफिकेट कोर्स आॅनलाइन और आॅफलाइन दोनों माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।

इंदिरा गांधी नैशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) के द्वारा स्पेशल एजुकेशन में डिप्लोमा और पोस्टग्रेजुएट डिग्री डिस्टेंस माध्यम से भी किया जा सकता है। इस कोर्स में एडमिशन के लिए इग्नू के द्वारा आयोजित एंट्रेंस इग्जैमिनैशन में क्वालफाइ करना जरूरी होता है। इग्नू के द्वारा बीएड स्पेशल एजुकेशन (स्पेशलजैशन इन हियरिंग इम्पेयरमेंट, विजुअल इम्पेयरमेंट और मेंटल रीटाडैर्शन) में कराया जाता है। इसके बाद एमएड स्पेशल एजुकेशन का कोर्स भी कराया जाता है।

इग्नू के द्वारा अर्ली चाइल्ड्हुड स्पेशल एजुकेशन एनबलिंग इन्क्लुजन इन मेंटल रीटाडैर्शन भी कराया जाता है। इसके अतिरिक्त 1986 में स्थापित रीहैबिलटैशन कौंसिल आॅफ इंडिया जिसका उद्देश्य अक्षम, असुविधाओं से वंचित और स्पेशल एजुकेशन के जरुरतमन्द लोगों के लिए टैनिंग प्रोग्राम को संचालित करना होता है के द्वारा भी स्पेशल एजुकेशन कोर्स प्रदान किया जाता है।

इसके द्वारा विजुअल इम्पेयरमेंट, हियरिंग इम्पेयरमेंट, साइन लैंग्वेज, इनटेलेक्चूअल डिसबिलिटी, लर्निंग डिसबिलिटी, लोकोमोटर और सेरेबरल पालसी, आॅटिजम और स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर, रीहैबिलटैशन थेरेपी और अन्य कई क्षेत्रों में डिप्लोमा, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्स प्रदान किए जाते हैं।

अध्ययन के प्रमुख संस्थान

ऐमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा
यूनिवर्सिटी आॅफ मुंबई
जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
मध्यप्रदेश भोज विश्वविद्यालय, भोपाल
जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता
टाटा इंस्टिट्यूट आॅफ सोशल साइंसेज, मुंबई
गुवाहाटी यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी
आॅल इंडिया इंस्टिट्यूट आॅफ स्पीच एण्ड हेयरिंग, मैसूर
नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर दि मेंटेली हैन्डीकैप्ड, सिकन्दराबाद
अष्टावक्र इंस्टिट्यूट आॅफ रिहैबिलिटैशन साइंस एण्ड रिसर्च, दिल्ली

अवसर किस रूप में उपलब्ध हैं

रीडिंग स्पेशलिस्ट, लेखक, करीकुलम मैनेजर, इंस्ट्रक्शनल डिजाइनर्स, रिक्रिएशन कोआॅर्डिनेटर्स, काउंसेलर्स स्पेशल एज्युकैटर्स, आक्यूपैशनल थेरपिस्ट।

अवसर कहां उपलब्ध हैं

थेरपी सेंटर, स्पीच थेरपिस्ट, साइकॉलजिस्ट और फिजिओथेरपिस्ट सेंटर
इन्क्लूसिव स्कूल (ऐसे स्कूल जिसमें सामान्य और स्पेशल एजुकेशन की जरूरत अर्थात दिव्यांग विद्यार्थियों के साथ शिक्षा पाते हैं), रीहैबिलिटैशन सेंटर, स्कूल फॉर दि चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड्स, स्पेशल एजुकेशन कॉलेज और विश्वविद्यालय, हॉस्पिटल्स, कंसल्टंसी

श्रीप्रकाश शर्मा


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