Saturday, July 6, 2024
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शहर गंदा है, ये जवाबदेही आखिर किसकी ?

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  • सफाई को लेकर खड़े हुए सवाल, जवाब निगम अफसरों के पास नहीं

जनवाणी संवाददाता|

मेरठ: शहर के माथे पर लगा गंदगी का तमगा कैसे साफ होगा? सफाई को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनका जवाब नगर निगम अफसरों के पास भी नहीं है।

केंद्र और यूपी, दोनों ही स्थानों पर भाजपा की सरकार है। फिर भी सफाई के नाम पर खानापूर्ति क्यों की जा रही हैं? क्या नगर निगम अफसर बेलगाम हो गए हैं? सुबह और शाम को दोनों समय शहर की सफाई होनी चाहिए, जिसकी चेकिंग करने के लिए नगरायुक्त निकले ही नहीं।

ऐसे में शहर कैसे साफ हो जाएगा। कैंप कार्यालय पर बैठकर ही नगर निगम आफिस को नगरायुक्त संचालित कर रहे हैं। आफिस जाने से परहेज करते हैं। ग्राउंड स्तर पर सफाई कर्मियों की चेकिंग नहीं होती।

दरअसल, पड़ोसी जनपद गाजियाबाद से भी सीख नहीं ली। गाजियाबाद साफ-सुथरे शहरों की श्रेणी में आ गया और मेरठ गंदे शहरों में शुमार हो गया। यह गंदगी का तमगा भी क्रांतिधरा को मिल गया। शहर के माथे पर लगे गंदगी के तमंगे को किस साबुन से साफ किया जाएगा?

यह भी अभी नगर निगम ने प्लानिंग नहीं की है। नौकरशाह जवाबदेही से कैसे बच रहे हैं? नगरायुक्त नगर निगम के मुखिया है, उन्हें सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार करना चाहिए कि शहर सफाई के मामले में पिछड़ने की वजह नगर निगम अफसर है। क्योंकि सफाई कर्मी ग्राउंड स्तर पर सफाई करने जाते भी है या फिर नहीं?

इसकी चेकिंग की ही नहीं जाती है! सिर्फ नगर स्वास्थ्य अधिकारी के ऊपर पूरा छोड़ देना, कौन सी समझदारी है? शहर में भाजपा के एमपी राजेन्द्र अग्रवाल है।

साफ-सफाई को लेकर जनप्रतिनिधियों को भी समीक्षा करने तक की फुर्सत नहीं है। आखिर शहर की स्वच्छता के बारे में जनप्रतिनिधि क्यों विचार नहीं कर रहे हैं? शहर की सफाई की हालात ऐसी हैं कि सड़कों से गंदगी तक नहीं उठती, जबकि नियम यह है कि सुबह और शाम दो शिफ्टों में शहर की सड़कों की सफाई की जानी चाहिए, मगर एक समय पर भी शहर की सफाई नहीं की जा रही है।

आखिर इसके लिए जवाबदेही किसकी है? यह सरकार को तय करना होगा। नगर आयुक्त समेत तमाम अधिकारियों की फौज नगर निगम में बैठती है, लेकिन सफाई के सवाल पर सब गुड़ गोबर हो रहा है। इसको लेकर लगता है शासन भी गंभीर नहीं है। नगर आयुक्त की जवाबदेही कौन तय करेगा?

कमिश्नर अनिता सी मेश्राम एक दिन नगर निगम में सफाई के सवाल पर निरीक्षण करने पहुंची थी। तब थोड़ी सक्रियता सामने दिखाई दी, मगर बाकी दिन फिर से नगर निगम निगम के अधिकारी पुराने ढर्रे पर आ गए थे।

यदि कमिश्नर समेत तमाम अधिकारियों का सफाई को लेकर फोकस रहा होता तो शायद गंदगी का यह तमगा शहर को नहीं मिलता। शहर के ऊपर लगा गंदगी का तमगा कैसे हटेगा? इसको लेकर अब भी नगर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं है। साफ सफाई जो होनी चाहिए वह नहीं की जा रही है।

लापरवाह अफसरों के होंगे तबादले: डा. सोमेंद्र

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भाजपा विधायक डा. सोमेंद्र तोमर

मेरठ दक्षिण के भाजपा विधायक डा. सोमेंद्र तोमर ने कहा कि शहर की सफाई और विकास को लेकर जो अधिकारी गंभीर नहीं है, उनके तबादले की मांग की जाएगी। यहां काम करने वाले अधिकारियों की जरूरत है। इसमें जिन अफसरों की घोर लापरवाही रही है। फिर सीवर सिस्टम खराब है, जो अमृता योजना से काम चलेगा, जिसके बाद बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा। लंबे समय से सीवर सिस्टम की आवश्यकता थी, जो दूर की जा रही है।

क्लीन सिटी और ग्रीन सिटी कहने से नहीं बनेगा: शाहिद मंजूर

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पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर

पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर का कहना है कि भाजपा के नेता झूठ बोलना बंद कर दे तो सब समाधान हो जाएगा। मैं पूछना चाहता हूं क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिन 100 शहरों को स्मार्ट बनाने का ऐलान किया था, वो बने हैं? यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन वर्ष के दौरान शहर की सफाई तक बेहतर नहीं करा पाए। स्मार्ट सिटी बनेगा, यह झूठा वायदा जनता से किया है। शहर में विकास सिफर है, सड़के टूटी पड़ी है। गलियों में जलभराव है। शहर तो दूर उस गांव का भी विकास नहीं हुआ।

नगरायुक्त को निकलना होगा घर से: रफीक अंसारी

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सपा विधायक रफीक अंसारी

शहर सपा विधायक रफीक अंसारी ने कहा कि मेयर व नगरायुक्त के बीच तालमेल का भी अभाव है, जिससे काम बाधित हो रहा है। नगरायुक्त के अधिकार ज्यादा है, मेयर के पास अधिकार ही नहीं है। ऐसे में नगरायुक्त कैंप आफिस से ही पूरा सिस्टम चला रहे हैं, जो संभव नहीं है। सुबह छह बजे नगरायुक्त को कम से कम शहर के दस वर्ड़ो में सफाई की चेकिंग करनी चाहिए, तभी तो पता चलेगा कि सफाई कर्मचारी ड्यूटी पर आते ही नहीं है। सब घालमेल कागजों में चल रहा है।

कूड़े का प्रबंधन अति आवश्यक: विजय आनंद
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विजय आनंद

पूर्व पार्षद एवं मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद ने कहा कि मैनवल पावर से काम नहीं चलेगा। नवीनतम तकनीकी का प्रयोग करना होगा। मशीन निगम खरीदता है, मगर वो चलती नहीं है। बड़े शहरों में दो वक्त सफाई होती है, फिर मेरठ में क्यों नहीं? क्या कभी इस पर ध्यान दिया। मेरठ को अच्छे नगरायुक्त की आवश्यकता है। प्लास्टिक के कूड़ेदान शहर भर में लगे थे, क्या कहीं दिखते हैं? इस तरह से पैसे की भी बर्बादी हो रही है। कूड़ा प्रबंधन बेहद आवश्यक है।

शहर की सफाई में जनता भी भागीदारी निभाए: संत कुमार
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संत कुमार

सोना-चांदी व्यापार संघ के अध्यक्ष संत कुमार वर्मा ने कहा कि शहर के लिए यह खबर शर्मसार कर देने वाली है कि हमारा शहर गंदगी के मामले में सातवें स्थान पर है। गंदगी के इस दाग को साफ करने के लिए जनता को भी नगर निगम के अफसरों का सहयोग करना चाहिए। कूड़ा प्रबंधन होना चाहिए, जिसमें कमेटी बनाई जाए। इस कमेटी में नगर निगम के पार्षदों के अलावा शहर के उन लोगों को भी शामिल किया जाए,जो शहर की सफाई कराने मे योगदान दे सकेंगे।

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