- शुभकामनाएं देने के लिए युवाओं ने शुरू की ग्रीटिंग कार्ड की खरीदारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नए साल 2022 के लिए शहर की स्टेशनरी की दुकानों में कैलेंडर, पंचांग, ग्रीटिंग व डायरियों की बिक्री अच्छी खासी होने लगी है। नए साल के पहले डायरी व पंचांग लेने का दौर शुरू हो गया है। वैसे तो बाजार में कई प्रकार की डायरी और पंचांग दुकानों में उपलब्ध हैं। पंचांग में देव पंचांग, बाबूलाल चतुर्वेदी,युग दर्शन, लालाराम स्वरुप रामनारायण कैलेंडर दुकानों में पहुंच गए है। जिसकी कीमत 25 से लेकर 65 रुपये तक है।
पंचांगों में विभिन्नता का मुख्य कारण पंडितों द्वारा बताई गई जानकारियां है। कुछ में विस्तार से हिन्दू धर्म, पर्व, राशि, फलादेश तथा मुहूर्त को दर्शाया गया है। न्यू ईयर के स्वागत के लिए आरचीज गैलरी, स्टेशनरी आदि के दुकान संचालकों ने अपनी-अपनी दुकानों को ग्रीटिंग एवं गिफ्ट से सजा रखा है।
अब पहले की तरह ग्रीटिंग एवं गिफ्ट का चलन कम हो चुका हैं। वर्षों पहले तक ग्रीटिंग का चलन अधिक था। प्रतिवर्ष इसकी खपत लाखों में होती थी, लेकिन अब ग्रीटिंग गिनती के ही बिक रहे हैं। मगर उसके बावजूद युवाओं में पपअप, फोल्डिंग, लिप्स ग्रीटिंग, फ्लावर ग्रीटिंग, टैडी ग्रीटिंग, हार्टबिट ग्रीटिंग की अधिक मांग है।
इन ग्रीटिंग पर लिखे हुए स्लोगन लोगों को ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं। वहीं गिफ्ट में भी कई प्रकार के आइटम युवाओं की पसंद हैं। आर्चीज गैलरी के संचालक पुनीत बताते है कि ग्रीटिंग कार्ड एवं गिफ्ट की बिक्री शहर में सबसे अधिक 30 दिसंबर से एक जनवरी के दौरान अधिक होती है। न्यू ईयर पर विशेषकर कपल सेट,पोल स्टोन, हार्ट, ताजमहल, ओम शांति ओम तथा लाइटिंग वाले गिफ्ट की अधिक मांग रहती है।
शहर में तैयारियां जोरों पर
कोरोना की थर्ड वेब को लेकर वैसे तो लोगों के मन में भय बना हुआ हैं, नए साल के जश्न के लिए युवा तैयार है। डांस फ्लोर पर थिरकते कदम,टकराते जाम, रेस्टोरेंट में भीड़ और गिफ्ट्स बाजार में भरमार। यह नजारा जिले में 31 दिसंबर की रात देखा जाएगा। कोविड को ध्यान में रखकर नए साल के स्वागत के लिए शहर में तैयारियां जोरों पर हैं। वेस्टर्न कल्चर के बढ़ते प्रभाव के बीच नए साल की पार्टी युवाओं में शगल बनती जा रही है।
2022 के स्वागत के लिए लोगों में कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखाई दे रहा है। अभी 17 दिन शेष बचे हैं और इसके स्वागत के लिए तैयारियां शुरू हो गई। युवाओं के बदलते लाइफ स्टाइल व पश्चिमी सभ्यता के बढ़ते प्रभाव के चलते अब नए साल पर खुले हाथों से रुपये खर्च किए जाने लगे हैं। लोग साल में एक बार आने वाले इस अवसर पर इंज्वाय की अभी से प्लानिंग करने में जुट गए हैं।