जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अफसरों को ऐसे विकास के दावे नहीं चाहिए, जिनमें बातें तो बड़ी की जाएं, लेकिन शहर के लोगों की छोटी-छोटी मुसीबतों की अनदेखी की जाए। शहर के विकास के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये के खर्च की बात करने वाले अफसरों की बातें और दावें दोनों ही हवाई नजर आते हैं। महानगर का मुख्य मार्ग बच्चापार्क से बेगमपुल तक की बात करें तो यहां के डिवाइडर और रोड पर लोहे की जालियां लगवाई गयी थीं। ये बीते एक साल से ज्यादा का अरसा होने को आया, टूटे पड़े हैं। शहर के विकास के नाम पर लाखों खर्च करने की बात करने वाले अफसरों की शहर के विकास को लेकर वो कितने गंभीर और सजग है, उसकी यह वानगी भर है।
बेगमपुल से लेकर बच्चापार्क तक का रास्ता यह एक बहुत छोटा-सा हिस्सा है। इस हिस्से को ही देख लें तो अफसरों के विकास के लिए किये जाने वाले कार्यों की पोल खुल जाती है। बेगमपुल से लेकर सोतीगंज वाले चौराहे तक करीब दो साल पहले डिवाइडर के सौंदर्यीकरण का कार्य नगर निगम ने कराया था, उसके बाद आकर कभी झांककर भी नहीं देखा कि जो चीजें लगायी गयी थी कहां गयीं। सोतीगंज चौराहे से आगे गंगाप्लाजा के सामने से नगर निगम का कोई डिवाडर ही या तो चोरी कर ले गय या उसको डेमेज कर दिया। डिवाडर पर लोहे के जालियां लगायी गयी थीं उनके अब केवल अवशेष रह गए हैं और अवशेष भी ऐसे जो मिट्टी में मिला दिए गए हैं। गंगा प्लाजा के सामने व्यापारियों ने जिस स्थान पर डिवाइडर के ऊपर लोहे की जाली लगाई थी, वहां पर प्लास्टिक का तार बांध दिया है।जीआईसी के सामने और भी बुरा हाल है। वहां लोग सड़क के इस पार से उस पार जाने के लिए बजाय घूमकर डिवाइडर से दो पाहिया और चार पहिया वाहनों को कूद देते हैं। यहां डिवाइडर पूरी तरह से सड़क से मिल गया है। लोहे की जालियां तो वहां से गायब हैं। इस रोड पर डिवाइडर की यह देशा बच्चापार्क चौराहे तक देखने को मिलेगी।
चोरी हो गया डिवाइडर
नगर निगम ने बच्चापार्क से बेगमपुल तक जो डिवाइडर लाखों खर्च कर बनवाया था, उसका लोहे का जाल चोरी हो गया। चोरी होना अलग बात है और चोरी से निगम अफसरों को बेखबर होना अलग बात है। केवल डिवाइडर ही नहीं बनवाया उसका सौंदर्यीकरण भी कराया गया था। इस पर ठीकठाक खर्चा किया गया। लेकिन जितना भी पैसा इस काम पर सरकारी खजाने से खर्च किया गया वो सब बेकार हो गया। जिन जालियों के टूटने की बात बतायी जा रही है उनकी वजह से आए दिन यहां हादसे होते हैं। दरअसल ये लोहे के जाली व जंगली टूटकर सड़क की ओर झुक गए हैं। जीआईसी के सामने पथ प्रकाश व्यवस्था के लिए लगाया गया बिजली का खंभा भी डिवाइडर पर ही बेहद खतरनाक तरीके से पड़ा है। इनकी चपेट में आकर यहां से गुजरने वाली गाड़ियां अक्सर हादसों का शिकार होती हैं। जो लोग कभी कभार यहां से होकर निकलते हैं वो अक्सर इन टूटे रेलिंग के सरियों की वजह से दुर्घटना ग्रस्त होते हैं।
दिनभर गुजरते हैं, फिर भी सब बेखबर
बच्चापार्क से लेकर बेगमपुल तक का हिस्सा ऐसा है जहां से सिस्टम के उच्च पदस्थ अधिकारी, मेरठ विकास प्राधिकरण और नगर निगम के तमाम अफसरों की गाड़ियां अक्सर गुजरती हुई देखी जाती हैं, लेकिन शहर के विकास के नाम पर लाखों लाख करोड़ खर्च करने की प्लानिंग करने वाले इन अफसरों को इस छोटी, लेकिन मुख्य सड़क के डिवाइडर की बदहाली नजर नहीं आती है। जनप्रतिनिधियों को भी इसकी परवाह नजर नहीं आती।