कुछ दिनों से दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ एक पोस्टर अभियान चलाया जा रहा है जिसमे लिखा है, ‘मोदी जी आप ने मेरे बच्चों की वैक्सीन विदेशों को क्यों दी’ ? इस अभियान के विरुद्ध मोदी सरकार द्वारा उन लोगों की गिरफ्तारियां की जा रही हैं, जो इस गतिविधि में शामिल हैं। सरकार द्वारा लोगों की गिरफ्तारियों के विरुद्ध कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया किया कि मोदी जी हमें गिरफ्तार करो, ऐसे में यह सवाल उठता है कि वैक्सीन मैत्री पहल क्या थी? क्यों वैक्सीन मैत्री नीति का विरोध किया जा रहा है? असल में वैक्सीन मैत्री पहल को मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी और अदूरदर्शी नीति का द्योतक कहा जा सकता है, जिसके विषय में 17 मार्च 2021 को संसद को अवगत कराते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैक्सीन मैत्री पहल को विस्तार से बताया था। सदन में बोलते हुए विदेश मंत्री महोदय ने पूर्व में भारत द्वारा विदेशों को हाइड्रोक्लोरोक्वीन, पैरासिटामॉल एवं अन्य दवाओं के साथ-साथ मास्क, पीपीइ किट और डायग्नोस्टिक किट आदि को 150 देशों को उपलब्ध कराने की उपलब्धि को गर्व से बताया।
इसी श्रृंखला में आगे बढ़ते हुए मोदी सरकार द्वारा वैश्विक पटल पर अपनी छवि को स्थापित करने के लिए वैक्सीन मैत्री पहल की शुरुआत की गई और वैक्सीन मैत्री पहल को विस्तार से बताते हुए विदेश मंत्री महोदय ने कहा कि भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ वैक्सीन मैत्री पहल की शुरुआत की है जिसके अन्तर्गत मालदीप, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के साथ मॉरीशस और सेशेल्स को वैक्सीन की खुराक दी है। अभी तक हमने 72 देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई है।
वास्तव में वैक्सीन मैत्री पहल की शुरुआत 20 जनवरी, 2021 को ही हो गई थी, जिसमें भारत द्वारा नेबर्स फर्स्ट (पड़ोसी प्रथम) की नीति को अपनाते हुए मालदीप और भूटान को पहले दो देशों के रूप में चुना जिसके तहत 20 जनवरी की सुबह डेढ़ लाख टीके की खुराक भूटान पहुंची वहीं दोपहर बाद एक लाख खुराक मालदीप पहुंची। इसी दिन से भारत ने कोविड-19 से जुड़ी हुई अपनी आवश्यक जीवन रक्षक वैक्सीन को विदेशी राष्ट्रों को भेजना प्रारम्भ किया। वैक्सीन मैत्री पहल के अन्तर्गत कुल 6.6 करोड़ वैक्सीन की खुराक विदेशी राष्ट्रों को भेजी गईं। जब भारत में कोरोना महामारी की स्थिति भयावह होने लगी तो 30 मार्च 2021 को वैक्सीन मैत्री पहल को स्थगित कर दिया गया। मोदी सरकार के अदूरदर्शी एवं महत्वाकांक्षी नीति का दुष्परिणाम यह हुआ कि जब देश में वैक्सीन की आवश्यक आवश्यकता महसूस होने लगी तो सरकार द्वारा राज्यों के कोटे की वैक्सीन में काफी कटौती की गई। कई राज्यों में अप्रैल के अन्तिम सप्ताह और मई के प्रारम्भ में वैक्सीन की कमी के चलते वैक्सीनेशन अभियान को स्थगित करना पड़ा और इस प्रकार वैक्सीन की आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने से लोगों को लंबी-लंबी कतारों में खड़ा रहने के पश्चात वैक्सीनेशन सेंटरों से खाली हाथ लौटना पड़ा।
केंद्र सरकार के वैक्सीनेशन की अव्यवस्थित रणनीति के फलस्वरूप कई राज्यों ने विदेशी कंपनियों से टेंडर प्रक्रिया के तहत वैक्सीन मंगाने की पहल की है। केंद्र सरकार द्वारा जिस अदूरदर्शिता का परिचय अपनी वैश्विक छवि को बनाने के लिए किया गया वह भी क्षणिक रहा, कोरोना महामारी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया भर के देशों को वैक्सीन देने का काम किया उसको लेकर कनाडा में उनकी जमकर तारीफ हुई और ग्रेटर टोरेंटो में सड़कों के किनारे पोस्टर लगे जिसमे मोदी जी को धन्यवाद किया गया, इसी प्रकार ब्राजील के राष्ट्रपति ने हनुमान जी की एक तस्वीर शेयर की जिसमे उन्हें संजीवनी बूटी लेकर जाते हुए दिखाया गया है और साथ ही उन्होंने मोदी जी को हिंदी में धन्यवाद लिखकर अपना आभार जताया। इन शब्दों से केंद्र सरकार ने विश्व पटल पर अपनी ऐतिहासिक छवि को लेकर खूब बाहवाही बटोरी लेकिन कुछ दिनों के भीतर जीवन रक्षक दवाओं से लेकर आॅक्सीजन और वैक्सीन की किल्लत झेलते हुए भारत की जो तस्वीरें विदेशी मीडिया ने प्रस्तुत कीं उससे 20 साल से स्थापित अंतर्राष्ट्रीय छवि को गहरा धक्का पहुंचा है।
फ्रांस की व्यंगात्मक पत्रिका शार्ली हेब्दो ने भारत में कोरोना संकट में व्यवस्था की नाकामी को लेकर तंज कसते हुए एक कार्टून छापा है। इस कार्टून में तंज है कि भारत में करोड़ों देवी-देवता हैं लेकिन कोई आॅक्सीजन की कमी को पूरा नहीं कर पा रहा है। दुनिया भर के प्रसिद्ध अखबारों मसलन न्यूयार्क टाइम्स, द गार्जियन, लेमोंडे, स्टेट टाइम्स आदि समाचार पत्रों ने मोदी सरकार की अयोग्यता को रेखांकित किया है। भारत सरकार द्वारा विश्व पटल पर जिस छवि को स्थापित करने के लिए भारतीय लोगों के अधिकार की वैक्सीन को क्षणिक वाहवाही के लिए दांव पर लगाया गया वह भी स्थायी न रह सकी। 17 मार्च 2021 को सदन में जिस वैक्सीन मैत्री पहल की कामयाबी को बताते हुए विदेश मंत्री ने तालियां बटोरीं थीं वे कुछ दिनों बाद ही राष्ट्रव्यापी करुण क्रंदन में परिवर्तित हो गर्इं। सरकार की गलत नीतियों के चलते आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कोरोना महामारी से लगभग तीन लाख लोगों की जान जा चुकी हैं। अपने देशवासियों के हितों और अधिकारों को पहली बार अपनी वैश्विक छवि को स्थापित करने की झूठी महत्वाकांक्षा के चलते जो सौदा किया गया उसका खामियाजा आज पूरे देश को उठाना पड़ रहा है।
इतिहास के पन्ने इस बात का सवाल आने वाले दिनों के लिए लिख छोड़ रहे हैं कि भारत की ऐसी दुर्दशा और बिलखती हुई तस्वीरों के लिए उत्तरदायी कौन है? दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके कहा है कि वैक्सीन मैत्री योजना के तहत 6.6 करोड़ वैक्सीन की खुराक दूसरे देशों को न गर्इं होतीं तो जिस दर से वैक्सीनेशन चल रहा था, उस हिसाब से पूरे देश में एक महीने तक वैक्सीनेशन किया जा सकता था। सरकार द्वारा भारत में कोरोना महामारी के घातक दुष्प्रभाव को नजरअंदाज करते हुए भारत में लोगों की सुरक्षा की दृष्टिकोण से जीवन रक्षक दवाओं, वैक्सीन और आॅक्सीजन की पर्याप्त मात्रा का भंडारण नही किया गया और इसके विपरीत इनका बड़े पैमाने पर निर्यात गया जिससे देश में हालत चिंताजनक हुए और आज देश को अपनों के शवों के आकड़े गिनने पड़ रहे हैं जो वर्तमान सरकार की अदूरदर्शी महत्वाकांक्षा के फलस्वरूप वैक्सीन मैत्री पहल के दुष्परिणामों को रेखांकित करता है।