Friday, May 2, 2025
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सेल्फी की सनक करा दी फजीहत

Ravivani 32


लगता है रील्स के निर्माण ने देश में कुटीर उद्योग की शक्ल ले ली है. बेरोज़गारी की दर इतनी विकराल है कि युवाओं को सोशल मीडिया पर पॉपुलर होने में ही समाधान नज़र आने लगा है. यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो युवाओं को अपनी क्रिएटिविटी रील्स में दिखाने का मौका देते हैं. इन युवाओं को भी लगता है कि ये रास्ता आज़माने से नेम, फेम तो मिलेगा ही पैसे को लेकर भी आत्मनिर्भर हो जाएंगे. बस एक वीडियो के वायरल होने की दरकार है. इसी चक्कर में ये युवा ‘कुछ भी करेगा’ वाला फंडा अपना लेते हैं. कहीं भी रील्स बनाने के लिए शुरू हो जाते हैं. भरे ट्रैफिक के बीच, ऐतिहासिक स्थलों, मेट्रो, एयरपोर्ट जैसे पब्लिक प्लेसेज के साथ ये धार्मिक जगहों की मर्यादा का भी ध्यान नहीं रखते. इन्हें लगता है कि कोई सेलेब्रिटी भी इनके साथ रील्स या सेल्फी के फ्रेम में होगा तो सोशल मीडिया पर हिट होने की गारंटी की तरह काम करेगा. ऐसे में फिल्म स्टार्स, क्रिकेटर्स जैसे सेलेब्रिटी को भी कई बार मुश्किल हालात का सामना करना पड़ जाता है.

पिछले कुछ दिनों में मुंबई में ऐसी दो घटनाएं हुई जिनमें मामला पुलिस तक पहुंच गया. पहली घटना क्रिकेटर पृथ्वी शॉ के साथ हुई. पृथ्वी शॉ एक रैस्टोरैंट में डिनर के लिए गए थे. वहां सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर सपना गिल भी अपने दोस्तों के साथ मौजूद थीं. सपना गिल ने पृथ्वी शॉ के साथ सेल्फी लेने की कोशिश की तो पहले क्रिकेटर ने मना नहीं किया. लेकिन जब सपना ने अपने दोस्तों के साथ ज़्यादा ही लिबर्टी लेने की कोशिश की तो पृथ्वी शॉ ने उन्हें ऐसा न करने के लिए कहा. कथित तौर पर सपना को ये नागवार गुज़रा.

सपना ने बेसबॉल बैट से पृथ्वी पर हमला करने की कोशिश की लेकिन पृथ्वी ने समय रहते बैट छीन लिया. पुलिस केस हुआ. सपना को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. हालांकि सपना को जल्दी ज़मानत मिल गई. रिहाई के बाद सपना ने पृथ्वी शॉप पर छेड़छाड़ का आरोप भी लगाया. मशहूर प्लेबैक सिंगर सोनू निगम को भी कुछ दिन पहले किसी की सेल्फी की सनक में दुश्वारी का सामना करना पड़ा. सोनू चैंबूर में एक कंसर्ट में हिस्सा ले रहे थे. वहां शिवसेना (उद्धव ठाकरे) विधायक प्रकाश फतेरपेकर का बेटा स्वप्निल साथियों के साथ आया. उसने गेटक्रैश के साथ सोनू और उनकी टीम के मेंबर्स के साथ हाथापाई की. सोनू को भी धक्का दिया, जिससे वो सीढ़ी पर गिर गए. इस मामले में भी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज़ हुई. आख़िर सेल्फी सनकियों को ये भी समझना चाहिए कि सेलेब्रिटीज भी हाड-मांस के इनसान हैं और उनकी सुरक्षा भी कुछ मायने रखती है.

दादा साहेब फाल्के नाम का बेजा इस्तेमाल

धुंडीराज गोविंद फाल्के यानि दादा साहेब फाल्के जिन्हें भारतीय सिनेमा के पितामह के तौर पर जाना जाता है. 1913 में उन्होंने पहली भारतीय मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र का निर्माण किया. दादा साहेब की सौवीं जयंती पर 1969 में भारत सरकार ने दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना की जो फिल्म जगत के लिए विशिष्ट योगदान देने वाली हस्तियों को दिया जाता है. इस पुरस्कार पुरस्कार के तहत एक ‘स्वर्ण कमल’, 10 लाख रुपए , एक प्रमाण पत्र, रेशम की एक पट्टिका और एक शॉल दिए जाते हैं. भारत के राष्ट्रपति के हाथों दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलना किसी भी विभूति के लिए असीम गौरव की बात है. 1969 से अब तक 52 फिल्मी हस्तियों को ये सम्मान दिया जा चुका है. आखिरी बार 2020 में अभिनेत्री आशा पारिख को इस सम्मान से नवाज़ा गया. इस सम्मान का स्तर कितना ऊंचा है, ये इसी से अंदाज़ लगाया जा सकता है कि दिलीप कुमार, लता मंगेशकर, राज कपूर, शिवाजी गणेशन, सत्यजीत रे, देव आनंद, अमिताभ बच्चन, आशा भोंसले आदि जैसे शिखर नामों को इससे नवाज़ा गया.

लेकिन देखा ये जा रहा है कि दादा साहेब पुरस्कार के नाम पर ही कुछ गैर आधिकारिक लोगों ने अवार्ड बांटने की दुकानें खोल ली हैं. ये थोक के भाव में हर साल ऐरे गैरे नत्थू खैरों को बांट दिए जाते हैं. हाल में चर्चित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्माता निर्देशक ने जब एक ट्वीट में फिल्म को दादा साहेब फाल्के अवार्ड 2023 मिलने का ऐलान किया तो सभी का ध्यान इस और गया. दरअसल ये भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला सम्मान नहीं था. ‘द कश्मीर फाइल्स’ को दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल पुरस्कार मिला था. 20 फरवरी को मुंबई में हुए समारोह में 19 कैटेगरी में ये अवार्ड बांटे गए. दादा साहेब की याद को सही सम्मान देना है तो भारत सरकार को उनके नाम पर चल रही सभी फ़र्ज़ी अवार्ड बंद कराने के लिए कदम उठाना चाहिए. ये नकली अवार्ड न सिर्फ दादा साहेब बल्कि उन सभी सिनेमा विभूतियों का भी अपमान है जिन्हें भारत सरकार असली दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है.

स्लॉग ओवर

मक्खन और उसकी पत्नी मक्खनी शॉपिंग के लिए मॉल में गए. भीड़ होने की वजह से मॉल में मक्खन और मक्खनी बिछुड़ गए. इस पर मक्खन ने एक सुंदर महिला के पास जाकर कुछ देर उससे बात करने का अनुरोध किया. महिला ने नाराज़गी से कहा- “ए मिस्टर क्या मतलब है आपका?” मक्खन का इस पर जवाब था- “नाराज़ मत होइए बहन, दरअसल मेरी पत्नी मॉल में बिछुड़ गई है. उसे ढूंढने का यही तरीका है, मैं जब किसी महिला से बात करता हूं, वो कहीं भी हो झट से आ धमकती है.”

(लेखक आजतक के पूर्व न्यूज़ एडिटर और देशनामा यूट्यूब चैनल के संचालक हैं)


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