- नौचंदी मेला कमेटी 2016 से नहीं कर रही वक्फ कमेटी को भुगतान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: उत्तर भारत के प्रसिद्ध मेला नौचंदी के स्वरूप पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भविष्य में लगने वाले मेले का स्वरूप क्या और छोटा हो जाएगा इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। यदि पिछले सालों का आंकलन करें तो मेला सिमटने लगा है। वक्फ और मेला कमेटी के बीच के झगड़ÞÞों के चलते बाले मियां कब्रिस्तान में लगने वाला होटलों का बाजार सूना हो चुका है। अब एक बार फिर से मेले का स्वरुप छोटा होने की आशंका पैदा हो गई है। इसकी वजह वही वक्फ और मेला कमेटी के बीच चला आ रहा आर्थिक विवाद है।
इस मामले में वक्फ हजरत बाले मियां के मुतवल्ली एम. अशरफ मुफ्ती ने साफ कर दिया है कि यदि मेला कमेटी उनके पिछले सभी बकायों का भुगतान नहीं करेगी तो वो अगले साल मेले में अपनी वक्फ की जगह के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देंगे। इस संबध मे वक्फ कमेटी के मुतवल्ली मुफ्ती अशरफ ने मेला कमेटी को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है कि वर्ष 2016, 2017, 2019 व 2022 का वक्फ कमेटी का भुगतान अभी तक भी नहीं हुआ है।
मुतवल्ली ने मेरठ से लखनऊ तक लगाया दम, मामला फिर भी बेदम
मुतवल्ली मुफ्ती अशरफ ने वक्फ की जमीन के इस्तेमाल के संबध में मेला और वक्फ कमेटी के बीच 1992 में हुए एग्रीमेंट को लागू करवाने के लिए मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह व जिलाधिकारी दीपक मीणा से लेकर लखनऊ में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तक कई बार गुहार लगाई, लेकिन फाइल आज तक भी पेन्डिंग है।
हमारे साथ सौतेला व्यवहार क्यों: अशरफ
वक्फ के मुतवल्ली मुफ्ती अशरफ कहते हैं कि जब पहले ही नियम कायदे बना दिए गए हैं तो फिर हमारे साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों किया जाता है।
मुतवल्ली के अनुसार जिस प्रकार दुर्गा ट्रस्ट को अपनी जगह के इस्तेमाल की पूरी छूट मिली हुई है उसी प्रकार हमें भी हमारी जगह को हमारे हिसाब से इस्तेमाल की छूट दी जाए।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी वक्फ कमेटी
वक्फ कमेटी ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी मांगे न मानी गर्इं और 2016 से रुका उनके बकाए का शीघ्र भुगतान न किया गया तो वो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बकौल मुतवल्ली मेले में जिस प्लॉट पर झूले लगते हैं वो 7 बीघा है, इसका खसरा नम्बर 4241बी, 4242बी व 4243बी है।
यह वक्फ की जगह है। इसके अलावा चाट बाजार वाली जमीन का कुछ हिस्सा (लगभग एक हजार गज) भी वक्फ प्रॉपर्टी है। मुतवल्ली कहते हैं कि मेला कमेटी उनकी जगह का इस्तेमाल कर लाखों रुपए कमाती है लेकिन वक्फ कमेटी को इसमें एक फूटी कौड़ी नहीं मिलती।
क्या है 1992 में हुआ एग्रीमेंट?
- मेला कमेटी वक्फ की जमीन का इस्तेमाल वक्फ कमेटी की इजाजत के बिना नहीं करेगी
- वक्फ की जमीन पर जहां कब्रें बनी हुई हैं उस स्थान का इस्तेमाल भी मेला कमेटी नहीं करेगी
- मेला कमेटी जब दुकानों का किराया बढ़ाएगी तब 10 प्रतिशत किराया वक्फ की जमीन का भी बढ़ेगा