- नगर निगम, एमडीए और ट्रैफिक पुलिस की मेहरबानी से अवैध दुकानों और फड़ से पटे फुटपाथ
- फुटपाथों पर स्थाई और अस्थाई रूप से सजी रहती हैं अवैध दुकानें
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पैदल चलने वाले राहगीरों के लिए बनाए गए फुटपाथों पर नगर निगम, एमडीए से लेकर ट्रैफिक पुलिस तक की मेहरबानी के चलते हर तरफ अवैध कब्जे हो चले हैं। जिन्हें हटवाने के लिए गंभीरता के साथ कोई अभियान अधिकारियों की ओर से नहीं चलाया जा रहा है।
हापुड़ अड्डा, बेगम पुल, घंटाघर, फुटबॉल चौक, कबाड़ी बाजार क्षेत्र, पुलिस चौकी, खैरनगर चौराहा, बुढ़ाना गेट चौराहा, इंदिरा चौक चौराहा, कचहरी क्षेत्र, बागपत रोड समेत महानगर के अधिकांश इलाकों की स्थिति यह है कि फुटपाथ पर स्थायी-अस्थायी रूप से कब्जे हो चुके हैं। जहां दुकानदारों ने अपने सामान को फैला रखा है।
नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इन फुटपाथों पर यहां-वहां रेहड़ी-ठेले वालों से लेकर फड़ वालों तक का कब्जा देखा जा सकता है। जीआईसी कॉलेज की बाउंड्री के बाहर अतिक्रमण की अलग ही कहानी देखने को मिलती है। नगर निगम, एमडीए, पुलिस विभाग की निगरानी में होने के बावजूद इस क्षेत्र में कई शोरूम तक बना लिए गए हैं।
हद तो यह है कि बिजली विभाग ने भी आंखें मूंदकर सभी नियमों की अनदेखी करके इन सभी अतिक्रमण करके बनाई गई दुकानों पर बिजली कनेक्शन दे रखे हैं। नागरिकों का कहना है कि अधिकारियों की मिलीभगत के चलते महानगर के सभी प्रमुख चौराहों और बाजारों में फुटपाथ नाम की कोई चीज बची नहीं है। इन सभी जगह पर स्थायी-अस्थायी रूप से अतिक्रमण किया जा चुका है।
अव्वल तो नगर के सभी प्रमुख बाजारों में मार्गों पर फुटपाथ बचे ही नहीं है। कहीं थोड़ी बहुत गुंजाइश दिखाई भी देती है, तो वहां क्षेत्र के दुकानदारों ने अपने दुपहिया-चौपहिया वाहन खड़े करके रास्तों को पूरी तरह अवरुद्ध करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। ऐसे में बाहर से आने वाले किसी खरीदार के लिए अपने वाहन को पार्क करने की भी कोई व्यवस्था नहीं हो पाती।
राहगीरों के लिए इन क्षेत्रों से वाहन लेकर गुजरना तो दूर, पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाता है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष विष्णु दत्त पाराशर का कहना है कि उनके स्तर से कई बार अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया जा चुका है।
व्यापार बंधु की बैठक में बार-बार यह मुद्दा जिलाधिकारी और सक्षम अधिकारियों के समक्ष निरंतर उठाया गया है, लेकिन आम जनता के लिए फुटपाथों को खाली कराने के लिए आज तक गंभीरता के साथ कोई अभियान नहीं चलाया जा सका है। कभी कभार खानापूर्ति के लिए अभियान चलाया जाता है, तो एक-दो दिन स्थिति जस की तस हो जाती है।