- टेंडर प्रक्रिया में जांच के आदेश तकनीकी कमेटी गठित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लघु सिंचाई विभाग में तालाबों की खुदाई के टेंडर प्रक्रिया में किये जा रहे घालमेल को लेकर एक कमेटी जांच करेंगी। जांच तकनीकी पहलुओं की होगी। एक सप्ताह के भीतर इसकी जांच रिपोर्ट कमिश्नर कुमारी सेल्वा जे को भेजी जाएगी। दरसअल, कुछ समय से लघु सिंचाई विभाग में टेंडर प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। ये मामला लखनऊ तक पहुंच गया हैं। वहां से भी जांच के आदेश हुए हैं। इसी वजह से लघु सिंचाई विभाग में खलबली मची हुई हैं।
अब घपला तकनीकी बिड में कर दिया गया हैं, जिसको लेकर जांच बैठी हैं। संयुक्त विकास आयुक्त डा. आरके गौतम शिकायत के आधार पर टेंडर पूलिंग होना माना है, जिसकी जांच की बात कही हैं। उनका कहना है कि वित्तीय बिड खोले जाने से पहले तकनीकी बिड का सत्यापन कराना अति आवश्यक होता हैं। नियमों को दर-किनार कैसे किया? टेंडर में फर्जी एफडीआर चार अगस्त को बैंक से बनवाई गयी, जो 5 अगस्त को कैश करा ली गई।
ये तथ्य भी सामने आया हैं। संयुक्त विकास आयुक्त डा. आरके गौतम ने एक पत्र जारी करते हुए कहा है कि टेंडर कार्यों की जांच मंडलायुक्त द्वारा गठित तकनीकी जांच समिति के माध्यम से कराई जानी हैं। टेंडर जो हुए हैं, उनकी पत्रावलियां एवं संबंधित अभिलेख मांग लिये हैं, ताकि इसकी जल्द जांच कराई जा सके। कहा गया कि मंडलीय तकनीकी जांच समिति इनका परीक्षण/ सत्यापन करेगी, ताकि मंडलायुक्त को टेंडर के घालमेल को लेकर रिपोर्ट बनाकर भेजी जा सके।
संयुक्त विकास आयुक्त मेरठ मंडल मेरठ डा. आरके गौतम ने जो पत्र लिखा है उसमें स्पष्ट किया है कि इसकी जांच रिपोर्ट कमिश्नर को अवलोकनार्थ भेजी जा सके। यही नहीं, डीएम मेरठ और बागपत को भी इसकी सूचना दी गई हैं, क्योंकि वहां पर तालाबों की खुदाई के टेंडर हुए हैं। ये टेंडर प्रक्रिया लघु सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता के आॅफिस में हुए थे। टेंडर मेरठ और बागपत के हुए थे, इसमें घालमेल के आरोप लग रहे हैं।
अब टेंडरों से संबंधित पत्रवालियां तकनीकी जांच समिति ने मांग ली हैं। इसमें अब घालमेल करने वालों पर शिकंजा कसा जा सकता हैं। हिम्मत तो देखिये कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टोलरेंस नीति पर काम करने के लिए नसीहत दे रहे हैं, लेकिन अफसर है कि कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं। अफसरों के खिलाफ भी इसमें कार्रवाई हो सकती हैं क्योंकि सत्यापन हुए बिना है इसमें तकनीकी बिड कैसे खोल दी?
बूढ़ी गंगा पर अवैध कब्जों का ब्योरा तलब
महाभारतकालीन हस्तिनापुर की बूढ़ी गंगा पर धड़ाधड़ हो रहे अवैध कब्जों का मामला गर्मा गया है। इस मामले में शिकायत के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बूढ़ी गंगा पर हो रहे अवैध कब्जों का पूरा ब्योरा तलब कर लिया है। इसके लिए बाकायदा तीन सदस्यों की एक टीम गठित की गई है जो मौके पर जाकर पूरी रिपोर्ट तैयार करेगी। इस संबध में जानकारी देते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रियंक भारती ने बताया कि मवाना तहसील के अंतर्गत आने वाले इस पूरे मामले में एनजीटी ने चार सप्ताह में पूरी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए निर्देश दिए हैं।
इस बिन्दु पर भी रिपोर्ट मांगी गई है कि मुजफ्फरनगर से गढ़ तक जितने नाले हैं उनमें से कितने नालों का पानी बूढ़ी गंगा में समाहित होता है। डॉ. प्रियंक भारती के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश के अलावा जिलाधिकारी मेरठ को भी भेज दी गई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड व सिंचाई विभाग (मेरठ मंडल) को भी अवगत करा दिया गया है। हस्तिनापुर के महाभारतकालीन इतिहास को पुर्नजीवित करने के उद्देश्य से नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट गंभीर प्रयास कर रहा है और इसके प्रयास भी रंग ला रहे हैं।
गौरतलब है कि ट्रस्ट की ओर से बूढ़ी गंगा के जिस धारा प्रवाह को पुन: शुरू करने के प्रयास किए गए थे वो सफल रहे। सबसे पहले श्रमदान द्वारा इस कार्य का शुभारम्भ किया गया था। इसके बाद बूढ़ी गंगा का द्रौपदी घाट के समीप का प्रवाह भी शुरू हो गया था। डॉ. प्रियंक भारती के अनुसार यदि हस्तिनापुर का गौरव और वैभव हम उसे लौटाने में सफल होते हैं तो यह हम जनपदवासियों का सौभाग्य होगा।