- निपटने में बेबस नजर आता है एलएलआरएम प्रशासन
- अनेक बार प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को कराया है अवगत
- भीतरी स्टाफ के कुछ लोगों के संरक्षण में फल-फूल रहे मेडिकल के दलाल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एलएलआरएम मेडिकल में इन दिनों दलालों का गुंडाराज कायम है। नजर बचते और मौका मिलते ही ये दलाल मेडिकल से उठाकर मरीज को किसी भी प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर पटक देते हैं, जहां प्राइवेट डाक्टर इलाज के नाम पर मरीज का मनमाना दोहन करते हैं। ऐसा नहीं कि मेडिकल प्रशासन कुछ कर नहीं रहा है। बल्कि वास्तविकता तो यह है कि मेडिकल प्राचार्य खुद ऐसे लोगों की सुरागकशी में लगे हैं
जिनका संरक्षण इन दलालों को हासिल है, लेकिन फिलहाल तो मेडिकल परिसर खासतौर से इमरजेंसी के आसपास ये दलाल सक्रिय देखे जा सकते हैं। इनके पास एम्बुलेंस समेत वो सारे तामझाम होते हैं जो किसी भी मरीज को झांसे में फांसने के लिए जरूरी है, लेकिन यह भी कटू सत्य है कि इन दलालों के पनपने के पीछे असली वजह मेडिकल खासतौर से इमरजेंसी में जिनकी ड्यटी लगती है, मरीज को अटैंड करने में उनकी ओर से की जाने वाली हीलाहवाली है।
वेस्ट यूपी का सबसे प्रतिष्ठत माना जाने वाला एलएलआरएम मेडिकल कालेज व सरदार वल्लभ भाई अस्पताल दलालों के आगे बेबस नजर आता है। मेडिकल इमरजेंसी के भीतर और बाहर दलालों का निरंकुश शासन हैं। ऐसे भी दलाल बताए जाते हैं जो खुद को मेडिकल का स्टाफ बताते हैं और मेडिकल जैसे सरकारी चिकित्सा प्रतिष्ठान की खामियां गिनाकर मरीज व उसके तीमारदारों का पीछा तब तक नहीं छोड़ते जब तक मरीज को किसी प्राइवेट अस्पताल में नहीं पहुंचा देते। इन तमाम दलालों के शहर के नर्सिंगहोमों से तार जुड़े होते हैं।
जहां ये कमीशन बेस पर मेडिकल से मरीजों को ले जाकर भर्ती कराते हैं। दलालों का राज इस कदर फैला हुआ है कि अस्पताल के इमरजेंसी में आने वाला हर मरीज उनका निशाना बनता है। दलाल मरीजों को अपनी एंबुलेंस में उन प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया जाता है जहां से उनका कमीशन फिक्स होता है। हर रोज मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी में करीब 40-50 मरीज आते हैं। इनमें से मुश्किल से दस मरीजों को ही भर्ती किया जाता है।
दलाल इस तरह से मरीज को घेर लेते हैं कि उनके चंगुल से निकल पाना मरीज और उसके तीमारदार के लिए मुश्किल हो जाता है। इनकी बातचीत और मेडिकल कर्मचारियों की लापरवाही मरीज के तीमारदारों का दिमाग बदल देती है। उनके मन में ये डर पैदा किया जाता है कि मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने का उनका फैसला मरीज का जान ले सकती है। आरोप है कि ये दलाल प्राइवेट अस्पतालों से बिल का 20 से 25 फीसदी तक कमीशन लेते हैं।
मेडिकल स्टाफ भी कम कसूरवार नहीं
इमरजेंसी के आसपास दलालों के कब्जे के लिए स्टाफ भी कम कसूरवार नहीं। दरअसल हो यह रहा है कि सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों की लेट लतीफी की आदत भी दलालों को पनपने का पूरा मौका दे रही है। इमरजेंसी में जो सेवाएं अचानक लाए जाने वाले मरीजों को मिलनी चाहिए आमतौर पर वह नहीं मिल पातीं। संविदा पर होने की वजह से डाक्टर भी मर्जी के मालिक होते हैं। ऐसे डाक्टरों को नौकरी की भी कोई चिंता नहीं होती। मेडिकल प्रशासन की मजबूरी यह है कि स्टाफ की कमी के चलते संविदा पर भर्ती इन डाक्टरों के नाज ओ नखरे उठाने को मजबूर है। बाकि स्टाफ का भी यही हाल है। इसी का फायदा दलाल उठाते हैं।
- केस-1
मेडिकल इमरजेंसी के बाहर दलालों का जमावड़ा है। इसी साल 15 जुलाई को 13 दिन के नवजात को यहां भर्ती कराने आए परिजनों को दलाल जबरन निजी अस्पताल ले गए। जहां उपचार के बाद बीते बुधवार को बच्चे की मौत हो गई थी। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा हुआ था और बात एडीजी व एसएसपी तक पहुंच गयी थी। दलाल बताए जाने वाले दो लोग गिरफ्तार भी किए गए थे। पीड़ित परिवार का आरोप था कि मेडिकल इमरजेंसी के बाहर मौजूद दलालों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया और जबरन निजी अस्पताल ले गए।
- केस-2
ऐसे ही एक अन्य मामले में मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के बाहर शबाना नाम की महिला को लाया गया। शबाना खाना बनाते समय जल गई थीं। उनकी हालत ज्यादा बुरी नहीं थी, मगर झुलसने की वजह से उन्हें असहनीय दर्द हो रहा था। मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के बाहर आॅटो खड़ा कर दिया गया। शबाना का पति इम्तियाज दौड़ता हुआ अंदर पहुंचा और वहां बैठी नर्स को सारा हाल बताते हुए उससे हाथ जोड़कर अपनी पत्नी को देखने के लिए कहा।
नर्स ने कहा डॉक्टर साहब अभी आकर देखेंगे। 15 मिनट तक इंतजार करने के बाद इम्तियाज फिर इमरजेंसी में गया और दोबारा अपनी पत्नी को देखने और उसे भर्ती करने की गुहार लगाई। कुछ समय और गुजर गया मगर कोई डॉक्टर नहीं आया। इतनी ही देर में उस परिवार को दलालों ने घेर लिया। उन्हें समझाया कि यहां तो इलाज में बहुत लापरवाही होती है और तुम्हारे मरीज की हालत तो बहुत खराब है।
अगर जल्दी ही इसे भर्ती नहीं किया गया तो वो मर जाएगी। यहां टाइम खराब करने से कोई फायदा नहीं है। यहां पास में ही एक अच्छा हॉस्पिटल है। देर मत करो और मरीज को वहां ले चलो। इतनी बात पर इम्तियाज तैयार हो गए और उस दलाल के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल में चले गए।
- स्टाफ में कोई हुआ तो सख्त कार्रवाई
इमरजेंसी के आसपास दलालों को लेकर कई बार सुनने में आया है। इसको लेकर मेडिकल प्रशासन सख्त है। यदि मेडिकल के स्टाफ में कोई दलालों का संरक्षण दे रहा है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। -डा. आरसी गुप्ता, एलएलआरएम मेडिकल, प्राचार्य