जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ: सूबे की राजधानी में अवैध निर्माण पर लगाम नहीं लग पा रहा है और लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस की नीति को बट्टा लगा रहे हैं। यह सब तब हो रहा है जब हाल ही में विभाग को एक बार नहीं कई बार माननीय उच्च न्यायालय से अवैध निर्माण के मामलों में कड़ी फटकार भी सुननी पड़ी है । लेकिन यह फटकार प्राधिकरण के अधिकारियों के कानों तक पहुंचती हैं पर उनकी कार्यशैली में इसका कोई असर नहीं दिखता है। जिसका एक उदाहरण है पूरे लखनऊ में तेजी से होता अवैध निर्माण ।
प्रदेश को एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रदेश के मुखिया लगातार प्रयासरत हैं और इसके लिए शहरों का नियमानुसार सुव्यवस्थित होना बहुत जरूरी होता है । इस बात का जिक्र हाल ही में लखनऊ में आयोजित हुए अर्बन एनक्लेव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करा था । उन्होंने अर्बन एनक्लेव में अवैध तरीके से विकसित हो रही कालोनियों और खड़ी हो रही इमारतों पर अधिकारियों को रोक लगाने के निर्देश अपने दिए वक्तव्य के जरिए दिया था । प्रदेश के प्रत्येक शहर को ठीक से विकसित करने की जिम्मेदारी जिन अफसरों पर है शायद उन्होंने ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तभी तो कागजों पर तो शहर में अनियोजित विकास पर खूब कार्रवाई करी जिसका एक लंबा चौड़ा खाका भी प्रस्तुत किया जाता है । राजधानी में ही लखनऊ विकास प्राधिकरण अनियोजित कालोनियों और इमारतों पर लगाम नहीं लगा पा रहा है । कागजों पर तो एलडीए के अधिकारियों ने खूब तीर चलाए पर धरातल पर शहर में अवैध निर्माण नहीं रुक रहे । राजधानी में किसी भी इलाके में चले जाइए नियमों और मानकों को मुंह चिढ़ाती इमारतो का निर्माण होता दिख जायेगा लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों को ये अवैध निर्माण नहीं दिखाई पड़ते । पिछले कुछ सालो में लखनऊ में अवैध इमारतों में कई आम जनमानस हादसा होने के कारण आपने जान गवा बैठे जिसका ताजा उदाहरण होटल लेवाना है लेकिन अभी भी एलडीए के जिम्मेदारों ने इस तरीके की अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने की जगह उन्हें संरक्षण देकर बनवाने में लगे है जिसका उदाहरण जोन 4 में देखा जा सकता है ।
जोन 4 के मड़ियांव थाना क्षेत्र में पुरनिया चौराहे से मड़ियाव थाना जाने वाले मार्ग पर पहले से ही अवैध रूप से बने वागा हॉस्पिटल के ठीक बगल में एलडीए के नियमों और मानको दरकिनार करते हुए एक और अवैध ईमारत का निर्माण किया जा रहा है । विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक इस अवैध इमारत में भी अस्पताल खोला जाएगा और इसके लिए संबंधित जिम्मेदारों ने निर्माणाधीन भवन के स्वामी से मोटा नजराना लेकर इस अवैध निर्माण को जमकर संरक्षण दिया और चार तल की इमारत खड़ी हो गई जिसमे बेसमेंट भी शामिल है। एक तरफ एलडीए से उच्च न्यायालय में अवैध निर्माणों पर कार्यवाही करने का दावा करने वाली रिपोर्ट पेश की गई और दूसरी तरफ धरातल पर धड़ल्ले से एलडीए के जिम्मेदारों की मिलीभगत से नोटों के दम पर भवन मालिक ने अवैध निर्माण जारी रखा और अभी भी निर्माण कार्य जारी है। ऐसे में सवाल ये उठता है जब एलडीए के जिम्मेदार मुख्य मार्गों पर होने वाले इस तरीके के अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने के विपरीत उन्हें संरक्षण दे रहे हैं तो राजधानी के बुनियादी ढांचे की दुर्दशा भविष्य में क्या होने वाली है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।