Sunday, January 5, 2025
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पुराना है शहर में धमाकों का सिलसिला

  • ज्यादातर वारदात स्क्रैप खरीदने वाले कबाड़ियों के यहां
  • शहर और देहात क्षेत्र में हो चुकी विस्फोट की कई घटनाओं के बाद खुफिया तंत्र होता है सक्रिय

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर में धमाकों के सिलसिले की यदि बात की जाए तो यह काफी पुराना है और बादस्तूर जारी भी है। लोहिया नगर धमाके की सुर्खिया अभी दिमाग में धुंधली भी नहीं पड़ी थी कि बुधवार को गंगानगर के अम्हेडा आदिपुर में स्क्रैप का काम कारोबार करने वाला कबाड़ी अपनी ही दुकान में हुए धमाके में उड़ गया। अब तक जितने धमाके हुए और जो पुलिस की लिखा पढ़ी में दर्ज हैं उनमें से ज्यादातर मामले स्क्रैप में विस्फोट के हैं।

कई लोगों की जान जाने के बाद इस सिलसिले को रोकने के लिए कोई ठोस पहल अभी नजर नहीं आ रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस स्क्रैप में धमाका होता है, उसको लेकर अक्सर यह कहा जाता है कि यह सेना द्वारा प्रयुक्त किया जाने वाला सामान था। यदि यह बात सही है तो फिर बड़ा सवाल यही कि जो सामान सेना द्वारा प्रयुक्त किया जाता है, वो गली कूचों या फिर भीड़ वाली बाजारों में दुकान लेकर बैठे कबाड़ियों के पास कैसे पहुंच जाता है।

सेना नहीं बेचती कबाड़ियों को

ऐसा नहीं कि सेना का स्क्रैप नहीं बेचा जाता है। सेना की तमाम यूनिटों में स्क्रैप निकलता भी है और उसको बेचा भी जाता है, लेकिन सेना द्वारा अपना स्क्रैप कभी भी गली कूचों या छोटे कबाड़ियों को नहीं बेचा जाता है। जानकारों की मानें तो सेना जो स्क्रेप बेचती है उसमें केवल बड़ी कंपनियां या ठेकेदार ही शामिल होते हैं। फिर जो छोटे कबाड़ियों के यहां स्क्रैप में होने वाले धमाकों में सेना के सामान की बात कहां से और कैसे आ जाती है।

अम्हेड़ा के कबाड़ी तक कैसे पहुंची बम नुमा चीज

बकौल जांच ऐजेन्सियां गंगा नगर के अम्हेड़ा आदिपुर में जिस तौसीफ नाम के जिस कबाड़ी की दुकान में विस्फोट हुआ है उसका कारण सेना द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली कोई बमनुमा वस्तु है। हालांकि इसको पहले राकेट लांचर कहकर प्रचारित किया गया था, लेकिन जितना छोटा उसका साइज है वो कम से कम राकेट लांचर की श्रेणी में नहीं आता। यहां यह संभव है कि लांचर से छोड़ी जाने वाली विस्फोटक लेकर जाने वाली कोई चीज हो सकती है जिसको सेना प्रयोग करती हो।

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लेकिन यह चीज अम्हेड़ा आदिपुर के इस छोटे कबाड़ी जिसकी धमाके में जान चली गयी उस तक कैसे पहुंच गयी, यह बात जांच का विषय है। जिस चीज में धमका हुआ है यदि वह सेना की है तो न तो कबाड़ी ने सेना से कोई स्क्रैप खरीदा होगा और न ही सेना के स्तर से तौसीफ सरीखे किसी छोटे कबाड़ी को यह सामान बेचा गया होगा। फिर कैसे यह वस्तु जिसको सेना द्वारा प्रयुक्त किए जाने की बात प्रथम दृष्टया जांच में कही जा रही है कैसे अम्हेडा आदिपुर के इस कबाड़ी तक पहुंच गयी है।

कब आएंगी जांच रिपोर्ट

मेरठ की बात की जाए तो स्क्रैप में धमाके की अम्हेडा आदिपुर की यह पहले कोई घटना नहीं है। इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जो जनपद के अलग-अलग थानों में लिखा पढ़ी में मौजूद हैं। जब भी स्क्रैप में धमाके सरीखी कोई वारदात होती है तो उसके बाद जांच की बात कही जाती है। पुलिस की जांच व फॉरेसिंक जांच इनमें अहम होती हैं। लेकिन इस प्रकार के धमाकों की जांच रिपोर्ट का हश्र क्या होता है, यह तो अफसर या फिर संबंधित विभाग जो जांच करता है, वही बता सकता है।

ये इलाके रहे हैं बदनाम

स्क्रैप के धमाकों की यदि बात की जाए तो मेरठ के कई ऐसे इलाके हैं जो खासे बदनाम रहे हैं। हालांंकि इनमें से कई ऐसे इलाके हैं जहां अब इस प्रकार की घटनाएं नहीं होतीं, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं नए इलाकों में खूब हो रही हैं। अम्हेड़ा आदिपुर भी ऐसा ही इलाका माना जा सकता है। इससे पहले लोहिया नगर भी इसी प्रकार के इलाके में शुमार किया जा सकता है जहां पहले कोई धमाके की घटना नहीं हुई है।

इसके इतर काफी पहले जो इलाके बदनाम रहे हैं, उनमें शहर कोतवाली का गुजरी बाजार और बाजार बजाजा, लिसाडीगेट क्षेत्र, देहलीगेट थाना क्षेत्र का दिल्ली रोड का वो इलाका जहां कूड़े के ढेÞर पर फेंके गए स्क्रैप में एक मासूम की जान चली गयी। इसके अलावा सबसे ज्यादा बदनाम इलाके की बात की जाए तो मवाना का सठला गांव का क्षेत्र भी इसी प्रकार के या कहें इसी तर्ज पर होने वाले धमाकों के लिऐ बदनाम रहा है। करीब तीन साल पूर्व सरधना में नहर से मिसाइल बरामद हुई थी जिसको पुलिस ने थाने में ही दबा दिया था।

अम्हेड़ा में कबाड़ी की दुकान में विस्फोट खुफिया तंत्र की नाकामी

गंगानगर थाना क्षेत्र के अम्हेड़ा में कबाड़ी की दुकान में हुये विस्फोट की घटना के बाद लोगों में पुलिस-प्रशासन के खुफिया महकमें को लेकर तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। लोगों को कहते सुना गया कि शहर व देहात क्षेत्र में एक के बाद एक बड़ी घटनाएं हो रही हैं। आखिर पुलिस-प्रशासन का वह खुफिया तंत्र कहां हैं, जोकि इस तरह की घटनाओं को लेकर पहले से अलर्ट दिखाई नहीं देता।

वर्तमान समय में जहां एक तरफ पुलिस महकमें का आईटी सेल मजबूत हुआ है। और सीसीटीवी कैमरों की मदद से घटना के बाद खुलासे पर कार्य करता है। वहीं, दूसरी तरफ लोगों के बीच संवाद स्थापित करके इस तरह की घटना होने से पूर्व विशेष चेकिंग अभियान चलाकर या सटीक मुखबिरी पर छापेमार कार्रवाई कर विस्फोटक सामंग्री को जब्त क्यों नहीं कर पा रहा है।

अम्हेड़ा में कबाड़ी की दुकान में विस्फोट जैसी बड़ी घटना के बाद मौके पर सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। इस दौरान तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। जिसके मन में इस बड़ी घटना को लेकर जैसे विचार आ रहे थे, उनको एक-दूसरे से साझा कर रहे थे। इसमें स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस जगह यह घटना हुई यह एक अतिसंवेदनशील क्षेत्र में आता है। घटना स्थल से करीब एक किमी दूरी पर सैन्य क्षेत्र लगता है।

सैन्य क्षेत्र के निकट इस तरह की घटना अपने आपमें एक बड़ी घटना माना जायेगा। इस क्षेत्र में कबाड़ी की दुकान में चोरी के सामान आदि की खरीद तो नहीं हो रही या फिर नशे आदि का कारोबार तो नहीं फल-फूल रहा, उसके लिए शायद कभी खुफिया तंत्र ने इस तरफ ध्यान दिया हो। यदि इस तरफ ध्यान दिया होता तो कबाड़ी आदि की दुकानों पर जो स्क्रैप बेचा जाता है, उसमें कुछ चोरी का सामान की तो बिक्री आदि नहीं हो रही या फिर इस तरह का कोई विस्फोटक सामान तो किसी कबाड़ी के यहां नहीं हैं।

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लोगों का कहना था कि वर्तमान में पुलिस प्रशासन का जहां एक तरफ आईटीसेल मजबूत हुआ है और सीसीटीवी कैमरों की मदद से घटना के कुछ समय बाद ही खुलासा कर दिया जाता है। यदि खुफिया तंत्र मजबूत होकर लोगों के बीच संवाद स्थापित करे और घटना से पूर्व ही अलर्ट रहकर मजबूत मुखबिरी से इस तरह की घटनाओं को होने से भी रोक सकता है। उसके लिए पुलिस प्रशासन को अपना खुफिया तंत्र मजबूत करना होगा। लगातार इस तरह की घटनाएं पुलिस महकमें के खुफिया तंत्र की बड़ी नाकामी साबित होती है।

बड़ी घटनाओं के बाद भी सबक नहीं ले रहे अवैध धंधों से जुड़े लोग

शहर में एक के बाद एक बड़ी घटना हो रही है। लोगों का कहना है कि उसके बावजूद अवैध कारोबार से जुडेÞ लोग सबक नहीं ले रहे हैं। उनको खुद पता होता है कि वह जिस कारोबार से जुड़े हैं, वह कितना खतरनाक हैं। जिसमें उनकी जान के साथ दूसरों की जान को भी खतरा बन सकता है, लेकिन उसके बाद भी वह अवैध कारोबार से तोबा करने को तैयार नहीं हैं। विस्फोटक सामग्री तैयार करने (पटाखा आदि) तैयार करते समय उन्हें खुद तो कम से कम पता होता है कि उनके द्वारा जो सामग्री तैयार की जा रही है, वह कितनी घातक साबित हो सकती है। उधर, कबाड़ी के द्वारा जो सामान लोहे का स्क्रैप आदि खरीदा जाता है,

वह यदि कम रेट पर खरीदा जाता है तो वह चोरी का तो नहीं। वहीं विस्फोटक सामग्री खरीदारी करते समय खुद पता होता है कि वह क्या खरीद रहा है, लेकिन उनकी थोड़ी सी लापरवाही से जहां उनकी जान जा सकती है तो वहीं दूसरों की जान पर भी बन आती है। हाल ही में लोहिया नगर में हुई तेज धमाके की घटना में पांच लोगों की जान जाने का मामला हो या फिर गंगानगर के अम्हेड़ा में कबाड़ी के यहां हुई विस्फोट की घटना हों, यदि देखा जाए तो यह सब अवैध कारोबार से जुड़े होना साफ दिखाई देता है, लेकिन कुछ लोगों के अवैध कारोबार के कारण जहां उनकी जान पर बन आती है तो निर्दोष लोगों की जान तक चली जाती है, जिनका इस तरह के कारोबार से कोई नाता नहीं हैं।

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