- संबंधित कालेजों से मास्टर डाटा न मिलने से विद्यार्थियों की बढ़ेगी मुश्किले
- विवि समेत सभी कालेजों से करीब डेढ़ लाख विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने मंडल के उन सभी कालेजों को की सूचनी जारी कर बताया कि परास्नातक की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति का मास्टर डाटा जिन कालेजों से प्राप्त नहीं हुआ है। विवि ने उनकी सूची वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। फिलहाल, आगामी दिनों में जिन कालेजों का मास्टर डाटा विवि में नहीं पहुंचा है उससे संबंधित कालेज के विद्यार्थियों को कुछ समस्या का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल, विवि वंचित मास्टर डाटा को विवि में समय रहते जमा कराने की हिदायत दी है।
विवि से संबंधित कालेजों के प्राचार्य, प्रचार्या आदि को सूचना जारी करते हुए बताया कि बागपत, बड़ौत, बुलंदशहर एवं गौतमबुद्धनगर के कुछ कालेजों से परास्नातक के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति का मास्टर विवि में जमा करने की तिथि 16 जनवरी रखी गई थी। लेकिन, उक्त जनपदों के कुछ कालेजों ने न तो मास्टर डाटा विवि को भेजा है और न ही जिन कालेजों ने मास्टर डाटा विवि भेजा है वह समय रहते डाटा का विवि से सत्यापन करा ले। बताया कि सभी कालेजों से करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी ऐसे है। जिनका जिनमें से कुछ विद्यार्थियों का डाटा तो मिल गया है।
लेकिन, जिन विद्यार्थियों का डाटा नहीं भेजा गया है। ऐेसे विद्यार्थियों को शासन द्वारा बढ़ाई जाने वाली तिथि तक भेजना अनिवार्य होगा। क्योंकि कालेजों द्वारा समय पर डाटा उपलब्ध न करने के कारण विद्यार्थियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। नोडल अधिकारी एसपी सिंह ने सभी कालेजों को हिदायत देते हुए कहा है कि जिन कालेजों का डाटा विवि को उपलब्ध नहीं होगा। उसके लिए संबंधित कालेज स्वयं जिम्मेदार होगा। क्योंकि शासन द्वारा फिलहाल डाटा लोक करने की अंतिम खत्म हो गई है।
मुआवजा नहीं मिलने पर रैपिड रेल का निर्माण रुकवाया
परतापुर: बराल परतापुर के खसरा नंबर 337 के स्वामी शिवानी बंसल अर्पित जैन, कामिल, विनय खन्ना, राजेंद्र मल्होत्रा, विनोद चड्डा, अशोक चड्डा, नरेश कुमार, राजीव चड्डा व पंकज नारंग ने बताया कि रैपिड रेल की निर्माणाधीन कंपनी ने मेरठ एडीएम फाइनेंस को मुआवजा राशि दे दी थी, लेकिन एडीएम फाइनेंस की तरफ से हम लोगों को मुआवजा अभी तक नहीं मिल सका। बताया कि मुआवजा न मिलने की शिकायत चार महीने पहले कमिश्नर से की गई थी, लेकिन उसके बावजूद मुआवजा नहीं मिला। उक्तजनों का कहना है कि जब तक जमीन का मुआवजा नहीं मिलेगा। तब तक रैपिड रेल का निर्माण कार्य नहीं होने देंगे और अपनी जमीन पर गाड़ियां खड़ी करने का काम करेंगे।