- न पीछे प्लेट और न ही हाथों में कागजात
- बस शहर की सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे यमदूत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महानगर की सड़कों पर दौड़ रहे डग्गामार टेंपो कब किसके लिए जानलेवा बन जाएं, कुछ नहीं कहा जा सकता है। ऐसे टेंपो की संख्या सैकड़ों में है जिन पर न आगे और न पीछे की तरफ नंबर प्लेट लगी हुई है। आश्चर्य की बात तो ये है कि उनके पास फिटनेस, प्रदूषण और बीमे के कागज भी नहीं हैं। कुछ का तो रजिस्ट्रेशन भी खत्म हो चुका है। पुलिस इन टेंपो को हाथ तक नहीं लगाती है। न ही किसी चौराहे पर कभी रोककर इनकी चेकिंग की जाती है। अगर ये किसी के साथ हादसा कर भाग जाएं तो कोई इनका बाल-बांका नहीं कर सकता है।
पुलिस की निगाहों के सामने आम लोगों के जीवन के साथ ये डग्गामार टेपो खिलवाड़ कर रहे हैं। लावड़ कस्बे से बेगमपुल, पल्लवपुरम के रूट पर चलने वाले बिना नंबर प्लेट वाले टेंपो सबसे जाता लोगों की जान के लिए खतरा बन रहे हैं। ये टेंपो परिवहन विभाग में पंजीकृत किसी के नाम से हैं और इन्हें अवैध रूप से खरीद कर चला कोई रहा होता है। जो व्यक्ति इन्हें चला रहा होता है कानूनी तौर पर उसकी कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
मेरठ-दिल्ली रोड पर सकौती टांडा से बेगमब्रिज और लावड़-सोफीपुर से बेगमब्रिज तक प्रतिदिन हजारों की संख्या में आॅटो और ई-रिक्शा सड़कों पर तेजी से दौड़ रहे हैं, लेकिन इनमें से कई आॅटो और ई-रिक्शा पर आज भी नंबर प्लेट नहीं है। लोगों के लिए मुसीबत बन रहे ये आॅटो और ई-रिक्शा अवैध रूप से शहर और देहात में संचालित हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस इन अवैध तिपहिया वाहनों को पूरी तरह अनदेखा किये हैं। वहीं, बिना नंबर प्लेट के दौड़ते इन वाहनों की संख्या हजारों में है।
ट्रैफिक पुलिस सहित परिवहन विभाग भी इन अवैध वाहनों के संचालन पर चुप्पी साधे हुए हैं। शहर व देहात की सभी सड़कों पर बिना नंबर प्लेट के आॅटो और ई-रिक्शा बेतरतीब अवैध तरीके से सरपट दौड़ते नजर आयेंगे। शहर के मुख्य क्षेत्र हापुड़ अड्डा, गोलाकुआं, तेजगढ़ी चौराहा और कचहरी व मेट्रो प्लाजा से लेकर बाहरी क्षेत्रों में भी इन बिना नंबर के आॅटो और ई-रिक्शा की भरमार है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस इस तरह के वाहनों का संचालन बंद करने के बजाय इन्हें बखूबी सड़कों पर दौड़ने की अनुमति दिये हैं।
दुर्घटना हो जाये तो इसका जिम्मेदार कौन?
बिना नंबर प्लेट के सड़कों पर दौड़ रहे इन तिपहिया वाहनों का न ही रजिस्ट्रेशन है। अगर कोई सड़क दुर्घटना हो जाये तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। इसके बारे में किसी भी पुलिस अधिकारी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है, लेकिन शहर की सड़कों पर काफी तादाद में अवैध रूप से ई-रिक्शा और आॅटो दौड़ लगाते हुए लोगों के लिए जानजोखिम बने हैं।
ट्रैफिक पुलिस, परिवहन, प्रशासन जिम्मेदार है
शहर के भीतरी क्षेत्रों बागपत रोड, गोला कुआं, लिसाड़ी गेट, खैरनगर, घंटाघर, भूमिया का पुल इनमें 25 से 40 हजार तक अवैध आॅटो और ई-रिक्शा संचालित हैं। आरटीओ के पास अभी ऐसे आॅटो का रिकार्ड नहीं है। बिना प्रदूषण जांच के इस तरह के आॅटो और ई-रिक्शा की संख्या बढ़ी हैं। इस तरह के वाहनों के संचालन के लिए ट्रैफिक पुलिस परिवहन विभाग, प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है।