- बारिश ने एक बार फिर से लोगों को आफत में डाल दिया
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: बारिश ने एक बार फिर से लोगों को आफत में डाल दिया। सुबह बारिश हल्की फुल्की हुई, लेकिन सुबह 11 बजे के बाद बारिश फिर से तेज हो गई। जिसके चलते बारिश ने जलभराव कर दिया। दिन में उमस ने लोगों को पसीना-पसीना कर दिया। जिसके चलते लोग दिक्कतों से जूझते हुए नजर आए। गुरुवार को दिन में बारिश 50.2 मिमी है। जबकि रात में बारिश 3.5 मिमी दर्ज हुई। राजकीय मौसम वैधशाला पर दिन का अधिकतम तापमान 34.5 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 26.5 दर्ज किया गया। अधिकतम आर्द्रता 92 एवं न्यूनतम आर्द्रता 70 दर्ज की गई। मौसम वैज्ञानिक डा. यूपी शाही के अनुसार अभी मौसम ऐसा ही बना रहेगा। जिसके चलते बारिश होगी और जलभराव की दिक्कत होगी।
दो घंटे में 50 मिमी हुई बारिश
गुरुवार को बारिश शहर में तेज हुई। देहात में हल्की हुई। मोदीपुरम में बारिश का रुख हल्का रहा, लेकिन मेरठ में बारिश दो घंटे में ही 50 मिमी दर्ज हुई। जिसके चलते लोग जलभराव होने से दिक्कत में आ गए।
फसलों को होगा लाभ
बारिश के होने से फसलों को लाभ होगा। यह बारिश बेहद लाभदायक है। किसानों के लिए यह बारिश वरदान साबित होगी। कृषि यूनिवर्सिटी के प्रो. डा. आरएस सेंगर का कहना है कि यह बारिश फसलों के लिए वरदान है। खासकर बेल की फसल के लिए बेहद अच्छी है। किसान अपनी फसल को समय से सिंचाई करे।
इमरजेंसी के सामने भारी जलभराव
इमरजेंसी में 24 घंटे मरीजों का आनाजाना लगा रहता है, लेकिन इमरजेंसी के ठीक सामने ही भारी जलभराव हो गया। इस वजह से मेडिकल की पुरानी बिल्डिंग के वार्डों में भर्ती मरीजों के तीमारदारों को भी खासी परेशानी हुई। वहीं, एक सप्ताह पहले हुई पहली बरसात में भी इसी तरह के हालात बन गए थे। तब मेडिकल प्रशासन ने दावा किया था कि कैंपस के डेÑेनेज सिस्टम को साफ कराया जा रहा है जिसके बाद आगे जलभराव नही होगा, लेकिन गुरुवार को दोपहर हुई बरसात ने इन दावों की पोल खोलकर रख दी। मेडिकल में जलभराव की वजह संक्रमण फैलने का लगातार खतरा बना हुआ है। वहीं, इमरजेंसी के सामने भरा बरसात का पानी शाम तक भी नहीं उतरा नहीं था। इस वजह से यहां मच्छरों के पनपने का भी खतरा बढ़ गया है।
वैज्ञानिक गतिविधि से लगाया पता, 45 मिनट में हुई 40 एमएम बारिश
मेरठ: नानक चंद एग्लो संस्कृत इंटर कालेज में गुरुवार को दोपहर में आई तेज बारिश का आनंद लेने के साथ ही छात्रों ने विज्ञान गुरु दीपक शर्मा से बारिश के मापने के सूत्र को भी समझा। जिसमें पता चला कि 45 मिनट में 40 एमएम वर्षा हुई है। कालेज प्रिंसिपल आभा शर्मा ने बताया कि दोपहर 12.30 बजे बारिश शुरू होने के साथ ही कक्षा छह के छात्र प्रत्यांश और साथी छात्रों ने मैदान के बीच में एक मग 13.5 सेंटीमीटर रख दिया। सवा एक बजे बारिश रुकने पर सारा पानी लेकर प्रत्यांश विज्ञान गुरू दीपक शर्मा के पास चले गये। दीपक शर्मा ने 13.5 सेमी व्यास वाले मेजरिंग सिलेंडर से पानी की ऊंचाई जोकि 7 का मापन किया और इसे मग के व्यास से भाग देते हुए बारिश की मात्रा आंकी, जोकि 40 एमएम थी। इस अवसर पर दीपक शर्मा ने कहा कि विज्ञान की गतिविधियों से ज्ञान तो अर्जन होता ही है। इस मौके पर प्रधानाचार्य आभा शर्मा, मोहन लाल भी आदि मौजूद रहे।
सर्वाधिक रही इस बार जून माह में गर्मी
मोदीपुरम: देश में ही नहीं विदेशों में भी इस बार लोग बढ़ते तापमान के कारण परेशान रहे और करोड़ों लोगों ने भीषण गर्मी को जून का महीना अब तक का सबसे गर्म महीना कहा जाता है और यदि इसी तरह से प्रदूषण बढ़ता रहा तो आने वाले वर्षों में तापमान और अधिक बढ़ेगा और लोगों को इससे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए अभी से सतर्क हो जाने की आवश्यकता है। तभी हम अपने आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रख सकेंगे।
कृषि विश्वविधालय के प्रोफेसर आरएस सेंगर ने बताया कि यह लगातार 12 महीना भी रहा। जब वैश्विक तापमान पूर्व औद्योगिक औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिग्रहण सबसे बड़ी बात यह रही यह हाल तब रहा। जबकि पेरिस में 2015 में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में विश्व भर के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक कल से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
सबसे अधिक वन जून में सूखे
यूरोपीय संघ की जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विसेज ने भी 8 जुलाई 2024 की पुष्टि करते हुए बताया कि बीता जून का महीना अब तक सबसे गर्म महीना रहा। इस दौरान औसत वायु तापमान 16.66 डिग्री सेल्सियस रहा। जो वर्ष 1991 से 2020 के महीने के औसत से 0.67 डिग्री सेल्सियस अधिक और जून 2023 में पिछले उच्चतम तापमान से 0.14 डिग्री सेल्सियस अधिक था। पिछले वर्ष जून से लेकर अब तक हर महीना सबसे गर्म दर्ज किया गया है।
ग्रीनहाउस गैसों मुख्य रूप से कार्बन डाइआॅक्साइड और मीथेन की तेजी से बढ़ती आर्द्रता के कारण पृथ्वी की वैश्विक सतह पर तापमान 1850 से 1900 के औसत तुलना में पहले ही लगभग 1.02 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इस तापमान में वृद्धि को दुनिया भर में सूखा पड़ने वनों में आग लगे और बाढ़ की रिकॉर्ड घटनाओं की वजह माना जाता है। जून में दुनिया की समुद्री सतह भी इस महीने में अब तक सबसे अधिक गर्म दर्ज की गई थी।