Monday, April 28, 2025
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इंटरनेशनल कोर्ट में इजराइल के विरूद्ध इस भारतीय जज ने सुना दिया बड़ा फैसला, देखिए पूरी साइड स्टोरी

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। इंटरनेशनल कोर्ट में एक भारतीय जज ने इजराइल के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इजराइल को फौरन राफा में मिलिट्री ऑपरेशन रोकने का आदेश दिया है। आइए जानते हैं पूरी रिपोर्ट…

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस की जिस बेंच ने इजराइल के खिलाफ फैसला सुनाया है उसमें भारतीय जज जस्टिस दलवीर भंडारी भी शामिल थे। वह इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ (ICJ) में भारत की अगुवाई कर रहे हैं।

यह पहला मौका नहीं है जब जस्टिस दलवीर भंडारी चर्चा में हैं। इससे पहले जस्टिस भंडारी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव केस में ऐतिहासिक फैसला दिया था। आईसीजे ने पाकिस्तान को विएना कन्वेंशन के उल्लंघन का दोषी माना था।

जानिए कौन हैं जस्टिस दलवीर भंडारी?

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जस्टिस दलवीर भंडारी का जन्म 1 अक्टूबर 1947 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ। उन्होंने लॉ में ग्रेजुएशन के बाद अमेरिका की नॉर्थ-वेस्टर्न यूनिवर्सिटी से कानून में मास्टर्स की डिग्री ली। इसके बाद कुछ दिनों तक शिकागो की अदालत में प्रैक्टिस करते रहे। अमेरिका से लौटे तो साल 1973 से 1976 तक राजस्थान हाई कोर्ट में वकालत की। इस दौरान वह जोधपुर यूनिवर्सिटी में पार्ट टाइम लॉ पढ़ाते भी थे।

1977 में दिल्ली में शुरू की वकालत

जस्टिस भंडारी साल 1977 में दिल्ली आ गए और यहां सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। यहां उनकी गिनती टॉप एडवोकेट में होती थी। यहीं से साल 1991 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाया गया। फिर साल 2004 में वह महाराष्ट्र और गोवा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। यहां उन्होंने लीगल ऐड से लेकर लीगल लिटरेसी की दिशा में तमाम काम किए और काफी सुर्खियां बटोरी।

सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति

साल 2005 में जस्टिस भंडारी को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। उच्चतम न्यायालय में रहते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। जस्टिस भंडारी ने एक महत्वपूर्ण जजमेंट में कहा विवाह का असाध्य रूप से टूटना तलाक का आधार बन सकता है। उन्होंने पीडीएस के तहत गरीबों को मिलने वाले राशन पर भी चर्चित जजमेंट दिया। कहा कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को ज्यादा मात्रा में राशन मिलना चाहिए। इसके अलावा फुटपाथ पर रहने वाले लोगों के लिए नाइट शेल्टर जैसे कई और महत्वपूर्ण फैसले सुनाए।

जानिए कैसे बने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के जज?

जस्टिस भंडारी करीब 7 साल सुप्रीम कोर्ट में रहे और साल 2012 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यहीं से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में पहली बार जज नियुक्त हुए। साल 2012 में जब भारत ने जस्टिस भंडारी को पहली बार ICJ के लिए नामित किया तो संयुक्त राष्ट्र संघ में उनके पक्ष में 122 वोट पड़े। जबकि उनके प्रतिद्वंदी को सिर्फ 58 वोट मिले थे।

साल 2017 में मिला दूसरा टर्म

जस्टिस भंडारी का कार्यकाल साल 2017 में खत्म हो गया। इसके बाद भारत में उन्हें दोबारा नामित किया। इस बार भी 193 देश में से 183 देशों ने उनके पक्ष में मतदान किया। ब्रिटेन के उनके प्रतिद्वंदी सर क्रिस्टोफर खुद दौड़ से बाहर हो गए।

वकीलों के परिवार से ताल्लुक

जस्टिस दलवीर भंडारी वकीलों के परिवार से आते हैं। उनके पिता महावीर चंद्र भंडारी देश के दिग्गज वकीलों में से एक थे। उनके दादा बीसी भंडारी भी अपने जमाने के मशहूर वकील थे। राजस्थान हाई कोर्ट में उनका खूब नाम था।

पद्मभूषण से हो चुके हैं सम्मानित

जस्टिस दलवीर भंडारी को सरकार पद्म भूषण से भी सम्मानित कर चुकी है। साल 2014 में उन्हें यह पुरस्कार मिला था। इसी साल उन्हें प्रथम जस्टिस नागेंद्र सिंह इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा तमाम राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं उन्हें कई पुरस्कार दे चुकी हैं।

जानिए ICJ में इजराइल के खिलाफ क्या केस?

दक्षिण अफ्रीका ने इजराइल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अर्जी डाली थी। आरोप लगा था कि इजराइली सेना फिलिस्तीन में नरसंहार कर रही है। ICJ ने 13-2 के बहुमत से इजराइल के खिलाफ फैसला सुनाया। कहा कि इजराइल को फौरन ऐसी कार्रवाई बंद करनी चाहिए, जिससे फिलिस्तीन की जनता को कोई नुकसान पहुंच रहा है।

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