- आरटीओ अफसरों का योगी सरकार को हर माह करोड़ोें के राजस्व का फटका
- भ्रष्टाचारी अधिकारियों की कारगुजारियों का लंबा है सिलसिला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों के खात्मे की हुंकार और सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रदेश के तमाम आला अफसरों की मौजूदगी में दो बार बेहद तल्ख लहजे स्कूलों से बच्चों को लाने ले जाने वाले डग्गामार वाहनों के खिलाफ संगठित कार्रवाई के निर्देश के बावजूद मेरठ में आरटीओ (संभागीय परिवहन विभाग) के पीटीओ (पैसेंजर टैक्स आॅफिसर) प्रीति पांडे सरीखे अधिकारी का भ्रष्टाचार को खुला बढ़ावा सीधे-सीधे पीएम व सीएम के आदेशों के अवहेलना है। पीएम व सीएम की हिदायत के बावजूद भ्रष्टाचार को लेकर इनकी कारगुजारी का बात की जाए तो उसका सिलसिला काफी लंबा है।
दिन निकलने के साथ ही भ्रष्टाचार की शुरुआत
शहर में अल सुबह र्इंट, सीमेंट, अवैध खनन कर लायी गयी मिट्टी से ओवर लोड ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐसे वाहन शामली-सरधना रोड वाया कंकरखेड़ा होते हुए पूरे शहर में कौने-कौने तक जा पहुंचते हैं। जनवाणी की टीम ने भूनी टोल पर एक सर्वे किया, जिसमें महज चार घंटे की भीतर 92 अवैध ओवर लोडेड टैÑक्टर-ट्रॉली वहां से होकर गुजरीं। इनमें से किसी को ना तो रोड टैक्स से कोई वास्ता था, ना इस बात से कि ड्राइविंग सीट पर जो बैठा है, वह बालिग है या नाबालिग है। उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस है या नहीं।
इसके अलावा इस बात से भी कोई वास्ता नहीं कि जो टैÑक्टर-ट्रॉली र्इंट व सीमेंट से ओवरलोड कर रोड पर दौड़ाई जा रही है, वह सरकार से केवल कृषि कार्य के लिए स्वीकृत हैं। उसके व्यवसायिक प्रयोग की सख्त मनाही है, लेकिन इन तमाम बातों से कोई सरोकार इसलिए नहीं है, क्योंकि उनके पास तीन हजार रुपये प्रति माह वाला पीटीओ का टोकन है। संवाददाता ने भूनी चौराहे से गुजरने वाले कई टैÑक्टर-ट्रॉली के चालकों से बात की तो उन्होंने अपनी पहचान छिपाते हुए खुलासा किया कि उनके पास एक टोकन है जो तीन हजार रुपए में आरटीओ दफ्तर की पीटीओ के साथ सरकारी गाड़ी में चलने वाले स्टॉफ से आसानी से मिल जाता है।
एक अन्य चालक ने खुलासा कि कई बार किसी टैÑक्टर-ट्रॉली चालक को टोकन की जानकारी नहीं होती है ऐसे चालकों को पीटीओ प्रीति पांडे की गाड़ी रास्ते में दबोच लेती है। इन्हें आरटीओ आॅफिस ले जाया जाता है। वहां चालान किया जाता है। इस चालान को लेकर प्रवर्तन दल खुद अपनी पीठ थमथपाता है। जैसे बहुत बड़ा काम कर लिया हो। इसके बाद भ्रष्टाचार का पार्ट टू शुरू होता है जिसको रास्ते से पकड़ कर लाया जाता है, उसको बताया जाता है कि इस प्रकार टैÑक्टर-ट्राली चलाओगे तो हर बार पकड़े जाओगे, क्योंकि मेडम की नजर से कोई नहीं बच सकता। इसलिए यदि टैÑक्टर-ट्रॉली में र्इंटों व मिट्टी की अवैध ढुलाई करनी है
तो सिर्फ तीन हजार रुपये पीटीओ को थमाओ, टोकन लो और फिर आराम से ढुलाई करो, पूरे शहर में किसी भी इलाके में जाओ कोई रोकटोक नहीं और ना ही किसी चालान का डर रहेगा। इस बात की पुष्टि कई टैÑक्टर चालकों ने संवाददाता से की। उन्होंने यहां तक कहा कि किसी को भी यदि टोकन चाहिए तो वो खुद साथ जाकर पीटीओ प्रीति शुक्ला या फिर उनके स्टॉफ से ऐसा टोकन दिला सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वो प्रति दिन सुबह करीब पांच बजे भूनी टोल से गुजरते हैं।
भूनी टोल पर जो संवाददाता ने देखा और सुना वो आरटीओ दफ्तर की पीटीओ प्रीति शुक्ला के भ्रष्टाचार की वानिगी भर है। भ्रष्टाचार की अभी कई परतें खुलनी बाकी हैं। इसके अलावा यह भी कि जो देखने सुनने को मिला, यदि शासन व प्रशासन की कोई जांच एजेन्सी चाहे तो भूनी टोल के सीसीटीवी से इसकी जांच कर सकते हैं। एक ही झटके में भ्रष्टाचार के काले कारनामों का पुलिंदा हाथ में आ जाएगा। इसके अलावा जनवाणी टीम दौराला, बालैनी टोल प्लाजा पर भी पहुंची वहां भी ऐसी ही कहानी देखने व सुनने को मिली।
टैÑक्टर-ट्रॉली चालकों ने बताया कि दिन निकलते ही पीटीओ की जीप रोड निकल कर ऐसे टैÑक्टर-ट्रॉली वालों की तलाश करती है जिनके पास तीन हजार रुपये महीने वाला टोकन नहीं होता। जो कुछ देखा और सुनने को मिला उससे इतना तो समझ में आ गया कि बड़े स्तर पर पीटीओ का खेल चल रहा है। टोकन देकर अवैध कमाई का जरिया केवल टैÑक्टर-ट्राली भर नहीं है बल्कि तमाम ऐसे डग्गामार वाहन भी हैं। जिनकी 10 साल की मियाद पूरी हो चुकी है। उसके बावजूद ये वाहन पीटीओ के टोकन की बदौलत दिन भर सड़कों पर गर्द उड़ाते हुए इधर से उधर दौड़ते देखे जा सकते हैं।