Sunday, January 26, 2025
- Advertisement -

ट्रंप के सिर पर ताज के साथ कांटें

Samvad 48

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही जिस तरह डोनाल्ड ट्रंप ने आनन-फानन अनेक कड़े फैसले और एलान कर डाले, उससे स्वाभाविक ही दुनिया भर में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। दुनिया में जहां बर्लिन की दीवार गिरी, वहां फिर से नई दीवार बनाने की बात होने लगी। ओबामा केयर विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकलने की चर्चा थी, जहां पर्यावरण संकट के खिलाफ वैश्विक लड़ाई सामने आई थी, पेरिस समझौते से हटने की घोषणा की जा रही थी। बारह साल पहले, जहां संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने अपने पहले भाषण में ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों का सम्मान किया, अमेरिका में अब ट्रांसजेंडरों के लिए कोई जगह नहीं है। कहा गया कि यह नया अमेरिका है। अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ लेने के बाद बोल रहे थे और उनके सामने बैठे बराक ओबामा समेत कई लोगों ने इसे हताश होकर सहा!

ट्रंप ने 2016 में आकर दुनिया को चौंका दिया था। हालांकि अगले चुनाव में जो बाइडेन को चुनकर अमेरिका ने अपनी गलती सुधारी। हार के बाद उम्मीद की जा रही थी कि हिंसा भड़काने, हार नकारने वाले और नंगेपन पहनने वाले आरोपियों को अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने तक नहीं दिया जाएगा। दरअसल, रिपब्लिकन पार्टी ने उन्हें नॉमिनेट किया था। अमेरिका ने भी उन्हें राष्ट्रपति बनाया। ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को ऐसे छोड़ दिया है जैसे कि अविकसित देशों में लोग रहते हैं या मर गए हैं। ट्रंप हीनता की राजनीति करने में सफल होते दिख रहे हैं कि ‘हमने दुनिया की रोटी भूनने में खर्च कर दिया, अब हम अपने बारे में सोचें। पिछड़े आगे बढ़ गए हैं और हमारे अपने बच्चे बेरोजगार हो गए हैं।

अमेरिका यहां इसलिए आया है क्योंकि दुनिया के सभी कोनों से लोगों ने अमेरिका बनाया है। इसके विपरीत, अमेरिका ने कई देशों को नष्ट कर दिया है। यह वही अमेरिका है जो कृतघ्नता से दुनिया को आरोपियों के पिंजरे में डाल रहा है। वे पनामा नहर चाहते हैं। मुझे यह करना है। हम ‘ड्रिल बेबी, ड्रिल’ कहकर नया तेल और र्इंधन प्राप्त करना चाहते हैं, और हम रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को खत्म करना चाहते हैं। ट्रंप यह कहने वाले कौन होते हैं कि अमेरिका ‘थर्ड जेंडर’ पर विचार नहीं करेगा? बेशक, लोकतंत्र को नष्ट करने में ट्रम्प अकेले नहीं हैं। रूस में पुतिन हैं, चीन में शी जिनपिंग हैं…! ट्रम्प, जो अमेरिका को स्वार्थी दुष्प्रचार की भाषा सिखाता है, जबकि दुनिया पहले से ही युद्ध की लपटों से घिरी हुई है, खतरनाक होगा!

ट्रम्प के राष्ट्रवाद का उन्माद, इसे ‘अमेरिका फर्स्ट’ कहते हुए, सफल रहा। उन्होंने अपने पहले भाषण में कहा, ‘मैं राष्ट्रपति द्वारा अब तक की गई गलतियों को ठीक करने जा रहा हूं,’ लेकिन ‘मास हिस्टीरिया’ में विवेक या विचार नहीं है। ट्रंप इस विभाजन की नींव पर एक नया अमेरिका बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आप्रवासी जिन्होंने अमेरिका का निर्माण किया, वे उन्हें दुश्मन बना रहे हैं। वैश्वीकरण का लाभ उठाने, अन्य देशों में बाजारों पर कब्जा करने की संकीर्णता, लेकिन उन देशों की जनशक्ति का विरोध वापस आ गया है। ट्रंप को बहुत प्रशंसा मिली जब उन्होंने कहा, ‘हम केवल अमेरिका के बारे में सोचेंगे और इस देश को महान बनाएंगे,’ और ऐसा करने में, वह भूल गए होंगे कि हम वैश्वीकरण के बाद की दुनिया में रहते हैं। अब, पूरे मानव समुदाय का एक ही उद्देश्य है। जलवायु परिवर्तन केवल एक देश के बारे में नहीं है। लेकिन जैसे ही उन्होंने पेरिस समझौते से बाहर निकाला, ट्रम्प संकेत दे रहे थे जैसे कि उनका बाकी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं था: उनके प्रिय एलोन मस्क अपने शपथ ग्रहण समारोह में। इसके अलावा जेफ बेजोस और मार्क जुकरबर्ग भी मौजूद थे, जो दुनिया के बाजार पर राज करेंगे; लेकिन अगर कोई राष्ट्रवाद को स्वार्थी स्थिति कहता है कि हमें दुनिया के सुख-दुख से कोई लेना-देना नहीं है, तो यह एक पतन की शुरुआत है।

एक कड़ा फैसला उन्होंने अमेरिका में जन्म के साथ ही हर बच्चे को स्वत: वहां की नागरिकता मिल जाने संबंधी कानून को रद्द करने का किया। इस पर तुरंत प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गर्इं। अब डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रभाव वाले वहां के 22 राज्यों ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दे दी है। भारतीय मूल के सांसदों ने भी इसका विरोध किया है। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन के अधीन काम करने वाली कई संस्थाओं ने इसे अदालत में चुनौती दी है। जाहिर है, ट्रंप प्रशासन के लिए इस फैसले पर आगे कदम बढ़ाना आसान नहीं रह गया है। जन्म के साथ नागरिकता का कानून अमेरिकी संविधान में वर्णित है, इसलिए उसे बदलने पर विरोध की आशंका पहले ही क्षण से जताई जाने लगी थी। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी कानून को लागू करने या बदलने को लेकर असीमित अधिकार प्राप्त हैं, पर वहां की कानून-व्यवस्था ऐसी है कि राष्ट्रपति भी उससे ऊपर नहीं हैं।

दरअसल, ट्रंप शुरू से अवैध घुसपैठ और आव्रजन संबंधी नियमों में लचीलेपन के खिलाफ रहे हैं। अपने पिछले कार्यकाल में भी उन्होंने कहा था कि आव्रजन नियमों में कमजोरी का लाभ उठा कर बहुत सारे लोग दूसरे देशों से आ जाते हैं और वे अमेरिकी युवाओं का हक मारते और संसाधनों का उपभोग करते हैं। सीमाओं पर सख्त निगरानी न होने के कारण हर वर्ष लाखों लोग अवैध रूप से घुस आते हैं। ट्रंप ऐसे हर विदेशी नागरिक को अमेरिका से बाहर निकालना चाहते हैं। इसलिए शपथ ग्रहण के साथ ही उन्होंने सीमाओं पर आपातकाल लगा दिया और वहां सेना भेजने का फरमान जारी कर दिया। ऐसा नहीं कि ट्रंप से पहले अवैध घुसपैठियों पर नजर नहीं रखी जाती थी या गलत तरीके से आए लोगों को वापस नहीं भेजा जाता था। मगर ट्रंप जिस तरह विदेशी नागरिकों का वहां से सफाया करना चाहते हैं, उसे किसी भी लोकतांत्रिक देश का कदम नहीं माना जा सकता।

अवैध घुसपैठ निस्संदेह अमेरिका के सामने बड़ी समस्या है और उससे निपटने के लिए कड़े कदम उठाने का विरोध नहीं किया जा सकता। मगर इसका यह अर्थ कतई नहीं कि वैध रूप से वहां रह रहे लोगों को भी नाहक निशाने पर ले लिया जाए। इससे विदेशी नागरिकों की मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही, अमेरिका को भी भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। शपथ ग्रहण से पहले जब ट्रंप ने घोषणा की थी कि वे एच वन-बी वीजा खत्म करेंगे, तब उनके करीबी एलन मस्क ने ही सबसे पहले उसका विरोध किया था। इसके पीछे वजह यही थी कि ऐसे फैसले से दूसरे देशों से तकनीकी विशेषज्ञों और कुशल लोगों को लाना कठिन हो जाएगा। अमेरिका बेशक दुनिया का संपन्न देश है, पर हकीकत यह भी है कि बहुत सारे तकनीकी मामलों में उसके पास कुशल और विशेषज्ञ नागरिक नहीं हैं। जिस तरह भारी शुल्क थोपने से दूसरे देशों में अमेरिका का भी बाजार सिकुड़ जाएगा, उसी तरह विदेशी नागरिकों को वहां से निकाल बाहर करने या प्रवेश रोकने पर उसके औद्योगिक उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है। इतने कड़े तथा व्यापक विरोध के बावजूद, वे नहीं चाहेंगे कि जन्मजात मिलने वाली नागरिकता के कानून पर विवाद लंबा खिंचे।

janwani address 215

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

भाकियू कार्यकर्ताओं का किनौनी मिल पर हल्ला बोल

हजारों की संख्या में पहुंचे किसान, वाहनों से...

खांसी में खून आने को हल्के में ना लें: डॉ वीरोत्तम तोमर

जनवाणी संवाददाता | मेरठ: प्रसिद्ध छाती व सांस रोग विशेषज्ञ...

भगवानपुर चट्टावन के युवक की संदिग्ध हालात में मौत, हत्या का आरोप, पड़ताल में लगी पुलिस

जनवाणी संवाददाता | किठौर: मुंडाली के भगवानपुर चट्टावन निवासी युवक...

दैनिक जनवाणी की तिरंगा बाइक रैली में उमड़ी भीड़, देशभक्ति का दिखा जज्बा

राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर, महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी...
spot_imgspot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here