- 15 दिन से की जा रही थी जेसीबी से खुदाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भावनपुर क्षेत्र में गंगानगर एक्सटेंशन, यू ब्लॉक गंगानगर कालोनी में बेसमेन्ट बनाने के लिए कई दिनों से जेसीबी से खुदाई चल रही थी। परिवार और बच्चों को दो वक्त की रोटी समय पर मिल जाये, बस यही सोचकर रायबरेली और बिहार से सात श्रमिक मेरठ शहर में तीन दिन पहले आये थे।
लेकिन उन्हें नहीं पता था कि जहां तुम परिवार का पेट पालने के लिए चंद रुपया कमाने के लिए इतनी दूर जा रहे हो। वहां मौत तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही है। 500 रुपये मजदूरी के चक्कर में तीनों श्रमिकों की जिंदगी रविवार को 20 फीट गहरे मिट्टी के गड्ढे में दफन हो गई।
चार सौ किलोमीटर दूर रायबरेली के रहने वाले श्रमिक रामचन्द्र 40 वर्ष और गुरु 45 वर्ष और बिहार के जमुई निवासी रामप्रवेश रविवार को ढाई सौ मीटर के प्लॉट में बेसमेंट के लिए खुदाई करने में व्यस्त थे। 20 फीट नीचे गहरे ने गड्ढे की मिट्टी को निकालने का काम सात श्रमिकों को सौंपा गया था। उनमें से रामचन्द्र और गुरु व रामप्रवेश बड़ी मेहनत से रविवार सुबह नौ बजे से ही मिट्टी को निकाल रहे थे।
तीनों श्रमिक काम करते करते दोपहर साढ़े 12 बजे तक पसीने से तरबतर थे। उन्हें तनिक भी एहसास नहीं था जिस मिट्टी को हटाने के लिए तुम जी जान से जुटे हो। वही मिट्टी तुम्हारी मौत बनकर साइड में खड़ी है। अचानक 20 फीट ऊंची मिट्टी की ढांग गिरी और नीचे गड्ढे में काम कर रहे रामचन्द्र और गुरु व रामप्रवेश चंद सेकंड में मौत के गड्ढे में समा गये। जबकि चार अन्य श्रमिक बाल-बाल बच गये। उन्होंने बेसमेंट से भागकर अपनी जान बचाई।
चंद मिनटों में मौके पर हाहाकार मच गया। कालोनी के कई सौ लोग मौके पर दौड़े। वहीं समीप ही मैदान पर क्रिकेट खेल रहे युवकों ने ढांग में दबे श्रमिकों को बचाने के लिए दौड़े। प्लॉट के पूर्व तरफ की मिट्टी क ी एक बड़ी ढांग तीनों श्रमिकों के ऊपर मौत बनकर गिरी और तीनों को नीचे दफन कर दिया। तीनों श्रमिक कई फीट मिट्टी के नीचे दब गये और मौत के मुंह में समा गये। किसी तरह युवकों ने पुलिस को फोन कर मिट्टी में दबे श्रमिकों को निकलवाया।
रायबरेली में मिलती थी मजदूरी 300 से 350 रुपये
रायबरेली निवासी राकेश ने बताया कि रायबरेली में उन्हें 300 रुपये से लेकर 350 रुपये मजदूरी मिलती थी। कभी कभी वह भी काम नहीं मिल पाता था। जिसकी वजह से परिवार का पेट पालना मुश्किल होता था। ठेकेदार ने उन्हें बताया कि मेरठ में बेसमेंट में खुदाई के लिए मजदूरी करनी है करीब दो महीने का काम है। 500 रुपये मजूदरी के हिसाब से सभी को मिलेगी। इसी लालच में वह यहां मजदूरी करने आ गये, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि इतना बड़ा हादसा होगा।
रामचन्द्र की मौत की खबर सुनकर परिवार हुआ बेहोश
रामचन्द्र की मौत की खबर सुनकर उसके परिवार में कोहराम मच गया। वहीं पत्नी भी बेहोश हो गई। रामचन्द्र के पांच बच्चे हैं। जिनमें बड़ा बेटा अनुज 15 वर्ष का है। वहीं उससे छोटी बेटी 13 वर्ष की रोशनी है। बाकी तीन अन्य छोटी बेटियां हैं। पांच बच्चों की खातिर ही उनका पेट पालने के लिए रामचन्द्र अपने गांव से निकला था।
ठेकेदारों और कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज
भावनपुर पुलिस ने मोदीनगर निवासी गोपाल शर्मा और मुकुल शर्मा के खिलाफ आईपीसी धारा 304 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। बिहार के जिला जमुई निवासी अनिल ने कंपनी और दोनों ठेकेदार के खिलाफ तहरीर दी है। वादी अनिल की तरफ से पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है, लेकिन अभी तक पुलिस गिरफ्तारी नहीं की है। रामप्रवेश का भाई अनिल वर्तमान में मोदीनगर में मिस्त्री चिनाई का काम करता है। उसने थाना भावनपुर पहुंचकर तहरीर दी है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांचपड़ताल में जुटी है।
तीन दिन पहले आये थे गंगानगर बेसमेंट की खुदाई करने श्रमिक
गंगानगर के यू ब्लॉक में 250 मीटर प्लॉट में बेसमेंट बनाने के लिए कई दिनों से खुदाई चल रही थी। बताते हैं कि करीब 15 दिनों से जेसीबी से खुदाई करवाई जा रही थी। मोदीनगर निवासी कांटेÑक्टर मुकुल शर्मा और गोपाल शर्मा ने बिहार जमुई जिला निवासी अनिल मिस्त्री से कुछ श्रमिकों की व्यवस्था करने के लिए कहा था। अनिल ने अपने भाई रामप्रवेश सहित दो अन्य श्रमिकों को बिहार से दो महीने का काम बताकर बुलवाया था।
वहीं कांट्रेक्टर मुकुश शर्मा और गोपाल शर्मा ने रायबरेली गांव हल्दौर निवासी रामचन्द्र से संपर्क साधा और मेरठ के गंगानगर में एक प्लॉट में दो महीने का काम बताकर उन्हें शहर में बुलाया था। रामचन्द्र ने अपने साढू राकेश निवासी रायबरेली और अपने भांजे व एक रिश्तेदार गुरु को भी गंगानगर में बेसमेन्ट में काम करने के लिए मेरठ बुला लिया। सभी चारों श्रमिक 22 नवम्बर को मेरठ गंंगानगर यू ब्लॉक में पहुंचे।
वहां उन्होंने अस्थाई तौर पर रहने के लिए खाली पड़े प्लॉट में टीनशेड डालकर आवास तैयार कर लिया। सभी सात श्रमिक रात तीन दिन से वहीं रहकर मजदूरी कर रहे थे। रायबरेली के राकेश ने बताया कि रामचन्द्र उनके साढू थे। उन्होंने ही मुझे मजदूरी के लिए साथ लेकर आये थे।
वह सभी यहीं रह रहे थे। रविवार को 20 फीट से ज्यादा खुदाई हो चुकी थी। फिलहाल सभी श्रमिक नीचे की मिट्टी को हटाकर उसे बाहर की ओर डाल रहे थे। तभी अचानक ढांग गिरी और रामचन्द्र व गुरु व और रामप्रवेश नीचे 10 फीट मिट्टी के अंदर दब गये। वह बाल-बाल बचे गये। वह उनकी बगल में मिट्टी हटा रहे थे।
तीनों श्रमिकों के शव परिजन सोमवार को लेकर होंगे रवाना
रायबरेली ग्राम हल्दौर निवासी मृतक रामचन्द्र और गुरु व बिहार निवासी रामप्रवेश के शवों को भावनपुर पुलिस ने मेडिकल पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवाया, लेकिन रामचन्द्र और गुरु की मौत की खबर सुनकर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।
दोनों मृतकों के परिजन आज मेडिकल नहीं पहुंच पायेंगे। इसलिए उनके रिश्तेदार राकेश और गुरु का भांजा ही दोनों शव को लेकर मेरठ से सोमवार को रायबरेली के लिए रवाना होंगे। दोनों शवों को उनके रिश्तेदारों को सौंपा जायेगा। जिसके बाद ही उनके पैतृक गांव में दाह संस्कार किया जायेगा।