Thursday, June 12, 2025
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तीन जिंदगी जहरीली शराब से खत्म, फिर भी लीपापोती

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जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर के अंतिम छोर पर बसा है मीरपुर जखेड़ा गांव। इस गांव की सीमा एक तरफ गाजियाबाद से सटी है तो दूसरी तरफ बागपत से। बीच में हिंडन नदी है, जो बागपत व मीरपुर जखेड़ा के बीच का बॉर्डर बना है।

यहां जहरीली शराब पीने की पहली घटना नहीं है, बल्कि एक दशक पहले भी मौत हुई थी, मगर तब मामला रफा-दफा कर दिया गया था।

कोशिश तो वर्तमान में भी हुई थी कि जहरीली शराब कांड पर लीपापोती कर दी जाए, लेकिन कुछ जागरूक गांव के लोगों ने जहरीली शराब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस बार गांव के लोग चुप बैठने वाले नहीं हैं। उनमें आक्रोश साफ देखा जा रहा है। पुलिस-प्रशासन के रवैये को लेकर भी ग्रामीण खफा है।

क्योंकि ग्रामीण चाहते हैं कि जहरीली शराब का सच सामने आए, लेकिन पुलिस-प्रशासन इस पर पर्दा डालने में जुटा है। आरोप तो ये भी है कि पुलिस प्रशासन ने जहरीली शराब पीकर मरने वाले अमित, पवन और जगपाल उर्फ जग्गू के परिजनों को भी ये कहते हुए धमकाया कि जहरीली शराब से हुई मौत की जानकारी किसी मीडिया कर्मी को दी तो रस्सी का सांप पुलिस बनाना जानती है।

इस धमकी से ग्रामीण सकते में आ गए, लेकिन ग्रामीणों ने ठान लिया कि जहरीली शराब गांव में ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी नहीं बिकने दी जाएगी इसको लेकर ग्रामीणों ने गांव में पंचायत भी की और पंचायत में दो टूक ऐलान कर दिया कि जहरीली शराब के गोरखधंधे के खिलाफ एकजुट होकर सामना करेंगे।

शराब माफिया के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करें, अन्यथा ग्रामीण कानून हाथ में लेने से भी नहीं चुकेंगे। दो एसआई समेत 10 पुलिस कर्मी गांव में ही कैंप किये हुए हैं।

यदि इन तीनों की जहरीली शराब पीने से मौत नहीं हुई है तो फिर पुलिस ने डेरा क्यों लगा रखा हैं? बकौल, तेजपाल (अमित के चाचा) अमित की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है।

बुधवार की शाम को उसने जहरीली शराब पी, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई। उसकी आंखों की रोशनी चली गई। कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया। उसी दिन उसे मेरठ सिरोही नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया,जहां गुरुवार की सुबह 11.30 बजे उसकी मृत्यु हो गई। अमित की मौत जहरीली शराब पीने से हुई।

ठीक इसी तरह से हालात पवन पुत्र नरपत के साथ हुए। पवन की पत्नी गुड्डी का कहना है कि उसके पति की मौत जहरीली शराब का सेवन करने से हुई है।

पवन बीमार ही नहीं था, झूठ बोल रही है पुलिस। पुलिस दूसरी कहानी क्यों तैयार कर रही है, यह सुनकर पवन की पत्नी गुड्डी भी हैरान है।

जगपाल उर्फ जग्गू बुधवार की शाम को शराब पीकर शाम को अपने घर आया। घर में एंट्री करते ही उसे उल्टी लगने लगी। शराब की बदबू आ रही थी। थोड़ी देर बाद जगपाल की आंखों से दिखाई देना बंद हो गया।

इसके बाद परिजन उसे मेरठ अस्पताल में लेकर पहुंचे,जहां उसकी मृत्यु हो गई। शराब कांड में तीन लोगों की जान चली गई, लेकिन गांव के लोग इस बात को लेकर हैरान पुलिस पूरे घटनाक्रम पर लीपापोती क्यों कर रही हैं?

दे दिया मौत का ‘तोहफा’

मौत का ‘तोहफा’ ऐसा हो सकता है, ये मीरपुर जखेड़ा गांव के तीन परिवारों ने कभी सोचा भी नहीं था। जो ‘तोहफा’ सरूर बनाने में प्रयोग किया जा रहा था, वह ‘तोहफा’ मौत दे देगा, इसका इन परिवारों को इलम भी नहीं था।

दरअसल, हम बात कर रहे है उस शराब के पव्वे ‘तोहफा’ कि जिसका सेवन करने से तीन लोगों की जान चली गई। जिस जहरीली शराब की आपूर्ति की जा रही थी, उसका ब्रांड नाम ‘तोहफा’ था।

ऐसा ग्रामीणों ने बताया है, जिसके खाली ‘पव्वे’ बतौर सबूत के गांव में कई स्थानों पर पड़े भी मिले हैं। ग्रामीण महिलाएं रो रही थी और कह रही थी कि ये क्या तोहफा दे दिया।

इसको मीडिया के लोग भी नहीं समझ पा रहे थे। जब इसका पता चला कि ‘तोहफा’ शराब का ब्रांड नाम है। गांव का बच्चा-बच्चा भी ‘तोहफा’शराब के पव्वे के बारे में जानता है। बच्चों ने भी बोल दिया कि यह सब करा धरा ‘तोहफा’ का है।

पुलिस ने शराब माफिया के गोदाम का ताला तोड़ा

  • गोदाम से एक लाख की नकदी व 25 पेटी शराब भी बरामद

मीरपुर जखेड़ा गांव में घटना के दूसरे दिन पुलिस ने भूमिगत शराब माफिया पर कार्रवाई की चाबुक चला दी। पुलिस ने शुक्रवार की रात में शराब माफिया सुरेन्द्र के मकान की घेराबंदी कर ली।

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बंद पड़ा शराब माफिया का मकान

शराब माफिया का ग्राउंड फ्लोर पर गोदाम है तथा प्रथम मंजिल पर मकान है। माफिया व उसके परिजन घटना के दिन से ही ताला लगाकर भूमिगत है। जानी थाने की पुलिस शुक्रवार की देर शाम गांव में पहुंची तथा पूरे गांव का छावनी में तब्दील कर दिया।

इसके बाद ही भूमिगत चल रहे शराब माफिया सुरेन्द्र के मकान की घेराबंदी कर ली। इस दौरान ग्रामीण भी व्यापक स्तर पर यहां पहुंच गए थे। पुलिस ने गोदाम पर लगे तालों को तोड़ा तथा इसके बाद गोदाम की तलाशी ली गई, जिसमें 25 अवैध शराब की पेटी बरामद होना बताया गया है।

इसकी पुष्टि पुलिस ने भी की है। ये वहीं शराब है, जिसके पीने से गांव के तीन लोगों की मौत हुई है। बरामद शराब की पेटी को पुलिस ने कब्जे में ले लिया है, जिसे परीक्षण के लिये प्रयोगशाला में भेजा जाएगा।

यही नहीं, पुलिस को करीब एक लाख की नकदी भी शराब माफिया के गोदाम से बरामद हुई है। हालांकि पुलिस ने मात्र 26 हजार रुपये बरामद होने की बात कही है, इन्हें भी सील कर दिया गया है। भूमिगत चल रहे शराब माफिया सुरेन्द्र का कोई पता नहीं चल सका है। पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही है।

अंधेरी रात और नशे की एंट्री !

अंधेरी रात में शराब का अवैध कारोबार चमकता था। रात का जब चौथा पहर चल रहा होता था, तब अवैध शराब से लदी गाड़ी गांव में एंट्री करती थी तथा अवैध शराब का धंधा करने वालों के गोदाम पर इसकी डिलीवरी दी जाती थी। रात में शराब की डिलीवरी देने के बाद गाड़ी चली जाती थी।

इसकी ग्रामीणों को भनक भी नहीं मिलती थी। ऐसा एक दिन नहीं, बल्कि कई वर्षों से काम चल रहा था। इसमें एक-दो नहीं, बल्कि पूरा रैकेट काम कर रहा है। अंधेरी रात में चलने वाले इस गोरखंधंधे को अपरोक्ष रूप से पुलिस की भी हरी झंडी मिली हुई है। क्योंकि ग्रामीणों से बातचीत के दौरान यह तथ्य भी सामने आया है कि रात के अंधेरे में चलने वाले नशे के इस गोरखधंधे की शिकायत जानी थाने में कई बार की गई।

जो लोग इस नशे के कारोबार से जुड़े हैं, उनके नामों की सूची भी दी गई, लेकिन हुआ उसका एकदम विपरीत। जो माफिया थे, उनको शिकायतकर्ताओं के नाम बात दिये गए, जिससे उनकी रंजिश बन गई। इस तरह का काम पुलिस करती थी। नशे के काले कारोबार से जुड़े लोगों के घरों पर पुलिस का आना-जाना भी रहता था, लेकिन पुलिस ने कभी नशे के गोरखधंधे को कभी रोकने की कोशिश नहीं की।

तथ्य यह भी सामने आया है कि गाजियाबाद के सुरेना से शराब माफिया का लिंक जुड़ा हुआ है, वहीं से मेरठ, बागपत के गांवों में जहरीला नशा परोसा जा रहा है। इसके पीछे किसी सफेदपोश व्यक्ति का हाथ होना बताया जा रहा है, जिसके चलते पुलिस व प्रशासन कार्रवाई करने की बजाय मौन हो जाता है।

ऐसा तब है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कह रखा है कि जिस जनपद में जहरीली शराब का धंधा चलता हुआ पकड़ा जाता है तो उसे जनपद के आला अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन यहां तो पूरे मामले को दबाने का काम किया जा रहा है।

…तो मरने वाला भी करता था जहरीली शराब की आपूर्ति !

खबर तो यह भी मिली है कि मरने वालों में एक व्यक्ति ऐसा भी है,जो जहरीली शराब की आपूर्ति करता था। कहां से शराब लाता था?

कौन-कौन से गांव में आपूर्ति करता था, यह तो ग्रामीणों को नहीं पता, लेकिन इतना तय है कि जगपाल उर्फ जग्गू भी अवैध शराब का धंधा लंबे समय से कर रहा था।

उसे भी मालूम नहीं था कि जिस अवैध शराब का धंधा कर रहा है, वहीं शराब एक दिन उसकी जान ले लेगी। ग्रामीणों से की गई बातचीत में यह तथ्य सामने आया कि जगपाल उर्फ जग्गू शराब का भी कारोबार करता था।

शराब कांड में मरने वाले

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जगपाल उर्फ जग्गू

नाम: जगपाल उर्फ जग्गू पुत्र वीर सिंह कश्यप
उम्र: 38 वर्ष
परिवार में : चार छोटे-बच्चे हैं, जिनमें तीन पुत्रऔर एक बेटी है।
रोजगार: मजदूरी

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पवन

नाम: पवन पुत्र नरपत
उम्र: 40 वर्ष
परिवार में: उसके तीन बेटी दो बेटे हैं।
रोजगार: मजदूरी

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अमित

नाम: अमित पुत्र भोले राम
उम्र: 30 वर्ष
परिवार में: एक बेटा है एक भाई।
रोजगार: किसान

पांच मिनट ही रुके भाजपा विधायक

ग्रामीण इस बात से भी खफा है कि सिवालखास के भाजपा विधायक जितेन्द्र सतवाई जहरीली शराब से मरने वालों के घरों पर गए अवश्य, मगर पांच मिनट से ज्यादा गांव में नहीं रुके।

भाजपा विधायक ने मृतक के परिजनों को आश्वस्त किया है कि इस पूरे घटनाक्रम की जांच कराई जाएगी। शराब कांड के लिए जिम्मेदार कोई भी हो,उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसको लेकर आला पुलिस अफसरों से भी बात की जाएगी।

हालांकि भाजपा विधायक गांव में पहुंचने वाले सबसे पहले नेता थे। इसके बाद ही सपा नेता अतुल प्रधान पहुंचे। शाम को कांग्रेस नेता व सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह आदि भी गांव में मृतकों के परिजनों से मिले तथा मामले की जांच कराने के लिए एडीजी से मिलने का आश्वासन दिया।

शराब माफिया के पीछे भाजपा का हाथ: अतुल प्रधान

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सपा नेता अतुल प्रधान शुक्रवार को अपने समर्थकों के साथ मीरपुर जखेड़ा पहुंचे। यहां उन्होंने जहरीली शराब पीने से मरने वाले ग्रामीणों के घरों पर पहुंचकर सांत्वना दी।

इस दौरान उन्होंने कहा कि शराब माफिया के पीछे भाजपा नेताओं का हाथ है। पिछले चार वर्षों से शराब माफिया जहरीली शराब की आपूर्ति कर रहा था, लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ा तक नहीं…क्यों? इसके पीछे भाजपा नेताओं का हाथ है, जिसके चलते पुलिस भी कार्रवाई करने से बच रही है।

भाजपा शासन में तमाम अवैध काम चल रहे हैं, जिसमें भाजपा नेता संलिप्त है। यही वजह है कि अवैध कारोबार कोई भी हो, रुक नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि शराब कांड की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ग्रामीणों को इसका विरोध करना चाहिए। इस पूरे प्रकरण की जानकारी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी बताने की बात सपा नेता ने कही हैं। इसको विधानसभा में भी उठाया जाएगा।

जिंदगी खत्म, अब रोजी-रोटी का संकट

जहरीली शराब कांड में तीन में से दो ऐसे ग्रामीणों की मौत हुई हैं, जिनके कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। उनकी जिंदगी खत्म क्या हुई कि परिवार के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

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पवन की मां विलाप करती हुई

पवन की मौत के बाद उसकी पत्नी गुड्डी टूट सी गई है। उसके पास रहने को नहीं तो घर है, एक वक्त की रोटी मिल गई तो दूसरे वक्त का इंतजाम कैसे होगा? इस तरह के हालात पवन के परिजनों के सामने खड़े हो गए हैं। घर तो है ही नहीं, बल्कि कमाने-खाने का कोई साधन इस परिवार के सामने नहीं है। पवन के चार भाई है, जो सभी अलग-अलग रह रहे थे। पवन को तीन पुत्री व दो पुत्र है, जो किशोर अवस्था में है।

परिवार का लालन-पालन कैसे होगा? यह सवाल उठाते हुए गुड्डी रोने लगी तथा कहा कि खाने का संकट परिवार के सामने पैदा हो गया है। कैसे परिवार चलेगा, यह बड़ा संकट है। घर भी नहीं है। अभी तक देवर के घर में रह रही थी, आगे तो दिक्कत ही दिक्कत आने वाली है। ये कहकर पवन की पत्नी गुड्डी फफक-फफक कर रोने लगी।

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जगपाल की मौत पर विलाप करता उसका पिता

इसी तरह के हालात जगपाल के परिवार के सामने भी है। जगपाल के एक पुत्र नेत्रहीन है। तीन पुत्र व एक बेटी है। बच्चे छोटे हैं, जिसके चलते परिवार पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। वैसे भी परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। इस तरह से इन दोनों परिवार के आगामी दिन मुश्किलें भरे रहने वाले हैं।

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विलाप करते अमित के परिजन

तीसरा परिवार अमित का है। यह किसान परिवार है। अमित व राहुल दो भाई है। पूरा परिवार खेती-किसानी करता है, लेकिन अमित की मौत से पूरा गांव आहत है।

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