Sunday, September 8, 2024
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सरकारी जमीन पर कब्जा कर बना दी तीन दुकानें, जिम्मेदार कौन?

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  • एमडीए लगा चुका है सील, फिर ध्वस्तीकरण क्यों नहीं?

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भू-माफिया के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रुख कड़ा हैं। प्रदेश भर में कार्रवाई भी हो रही हैं। फिर मेरठ में क्यों नहींÞ? सरकारी भूमि कब्जाकर तीन दुकानों का निर्माण कर दिया। ये निर्माण खिर्वा बाइपास का है। एमडीए की तरफ से निर्माण पर विधानसभा चुनाव के दौरान सील की कार्रवाई की गई थी, लेकिन निर्माण भी पूरा हो गया और दुकानों पर शटर भी लग गए और पुताई भी कर दी गई। इस तरह से सरकारी जमीन कब्जा ली गई।

इस पूरे खेल में जहां एमडीए के इंजीनियर दोषी हैं, वहीं तहसील प्रशासन भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। फिर नगर निगम के अधिकारी भी इस जमीन पर कब्जा होते हुए देख रहे हैं। जमीन नगर निगम की हैं, मगर निगम के अफसरों ने सरकारी सम्पत्ति को लावारिस हालात में छोड़ दिया हैं, तभी तो करोड़ों की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर दुकानों का निर्माण भी कर दिया, लेकिन निगम अफसरों की नींद नहीं टूटी।

लापरवाही की भी इंतहा हैं। तस्वीर में तीनों दुकानों को ‘जनवाणी’ फोटो जर्नलिस्ट ने कैमरे में कैद कर लिया। भू-माफिया के खिलाफ हाल ही में एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा है कि ऐसे लोगों की सम्पत्ति पर बुलडोजर चलेगा, लेकिन यहां तो तीन दुकानें सरकारी जमीन पर बनकर तैयार हो गई। एमडीए ने चुनाव के दौरान इन पर सील लगाई थी। सील भी तोड़ दी गई, लेकिन इसके बाद भी दुकान बनकर तैयार हो गई।

शटर भी लग गए। पुताई भी करा दी गई। यह साबित करने की कोशिश की गई कि दुकानें बहुत पहले बनी हुई हैं, लेकिन ये दुकानें विधानसभा चुनाव के दौरान बनायी गयी। सील तोड़ने पर सरकारी जमीन पर दुकानों का निर्माण कराने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की। तहसील की टीम को इसकी शिकायत भी हुई थी। लेखपाल व कानूनगो भी पहुंचे थे, लेकिन इसमें सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने की दिशा में कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

आखिर इसे लापरवाही ही कही जाएगी, जानकारी होने के बाद भी इसमें भू-माफिया से सरकारी जमीन को मुक्त क्यों नहीं कराया गया? एफआईआर भी दर्ज नहीं कराई गयी। तीनों विभागों की इसमें सीधे लापरवाही सामने आ रही हैं। जब एमडीए दुकानों के निर्माण के दौरान सील लगा चुका है तो फिर इन दुकानों का ध्वस्तीकरण क्यों नहीं किया जा रहा हैं? आखिर इसमें दबाव किसी राजनेता का तो नहीं हैं?

मेरठ के इकबाल पर कार्रवाई कब?

हरिजनों के पट्टे की जमीन गलत तरीके से बिक्री करने के मामले में पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल के खिलाफ पुलिस ने शिकंजा कस दिया, लेकिन ठीक ऐसा ही मामला है मोदीपुरम का। माउंट लिट्रा स्कूल से सटकर करीब 15 एकड़ सरकारी जमीन थी। ये जमीन भी हरिजनों के पट्टे की थी। हरिजनों से पट्टे की जमीन गलत तरीके से बिक्री की गई, लेकिन इस मामले में पुलिस-प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की।

आखिर पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई के नाम पर दोहरी नीति क्यों अपना रहा हैं? मेरठ के इस हाजी इकबाल के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? यहां भी हरिजनों के पट्टों की जमीन की गलत बिक्री को लेकर तत्कालीन कमिश्नर डा. प्रभात कुमार फाइल पर विशेष टिप्पणी लिखकर गए थे। इस जमीन को डा. प्रभात कुमार ने बकायदा सरकारी होना बताया था तथा इस पर किसी तरह के निर्माण करने पर रोक लगाने के आदेश भी फाइल में दिये गए थे। तब इतना फाइल में लिखा हुआ तो फिर विवादित जमीन को कैसे बेच दिया गया? बेचने वाले कौन थे?

जिन लोगों ने सरकारी जमीन को बेचा गया, उन लोगों पर पुलिस-प्रशासन शिकंजा क्यों नहीं कस रहा हैं? इसमें कार्रवाई नहीं की गई। यही वजह है कि 15 एकड़ हरिजनों के पट्टों की जमीन को भोले-भाले लोगों को बेच दी गई। अब यहां पर लगातार मकानों का निर्माण किया जा रहा हैं। एक का मानचित्र भी स्वीकृत नहीं हैं, फिर भी एमडीए के इंजीनियर इसमें कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि हरिजनों के पट्टों की जमीन को कैसे बेच दिया गया? इसमें हरिजनों ने आपत्ति भी कमिश्नर के यहां पहुंचकर की थी। लिखित शिकायत भी की, मगर फिर प्रशासन ने कार्रवाई क्यों नहीं की? आखिर प्रशासन किसके दबाव में काम कर रहा हैं? सरकारी जमीन पर लोग कब्जा कर बेच रहे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से इसमें कार्रवाई नहीं की गई। यही वजह है कि सरकारी जमीन को लोग बेचते हुए चले गए। अब यहां मकान बन रहे हैं। एक का भी मानचित्र स्वीकृत नहीं हैं।

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