Wednesday, July 3, 2024
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….तो ऐसे निकल सकता है आंदोलन का हल

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  • केसी बोले- कृषि कानूनों को अनिश्चितकाल के लिए टाले सरकार
  • आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा जब इसको राजनीतिक पार्टियों के द्वारा संचालित किया जाएगा: जेडीयू नेता त्यागी

’ नई दिल्ली, भाषा !

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव के सी त्यागी ने तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिए इन कानूनों को अनिश्चितकाल के लिए टालने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को किसानों का संवैधानिक अधिकार बनाने का फॉर्मूला सुझाया है।

जब उनसे पूछा गया कि तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध कैसे दूर होगा? तो जवाब में उन्होंने कहा कि न तो सरकार को और न ही किसान संगठनों को इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना चाहिए। जब दोनों प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाएंगे तभी रास्ता निकलेगा। जहां बातचीत खत्म हुई है और जो प्रस्ताव केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रखे हैं, उसपर किसान संगठनों को जवाब देना चाहिए। उन्होंने डेढ़ साल के लिए कानूनों को टालने का प्रस्ताव रखा है जो एक स्वागत योग्य कदम है। सरकार एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने को भी तैयार है। हमारा सुझाव यह है तीनों कानूनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देना चाहिए और एमएसपी किसानों का संवैधानिक अधिकार बने। हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष इसे स्वीकार करेंगे। यह पूछने पर कि लेकिन किसान संगठन तो इन कानूनों को पूरी तरह निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं और सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है? तो उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि सरकार अगर यह प्रस्ताव किसान संगठनों के समक्ष रखे तो किसानों को इसे स्वीकार करने में दिक्कत नहीं होगी। दोनों पक्षों को सख्त रवैया नहीं अपनाना चाहिए। शांतिपूर्ण तरीके से और बातचीत से ही इसका हल निकल सकता है। वैसे भी सरकार इन कानूनों को डेढ़़ साल तक निलंबित रखने को तैयार है। फिर इसे अनिश्चितकाल तक टालने में क्या दिक्कत है। एमएसपी को किसानों का संवैधानिक अधिकार बनाना कितना संभव है? यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एमएसपी को कानून बनाने की मांग बिलकुल जायज है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सरकारी खरीद है लेकिन उसके बाहर सरकार द्वारा घोषित एमएसपी किसानों को नहीं मिलता है। इसकी वजह से उसको आर्थिक नुकसान होता है। लिहाजा सबसे पहले जरूरी है कि इसको संवैधानिक अधिकार बनाया जाए। इसको संवैधानिक जामा पहनाया जाए। वैसे भी सरकार एमएसपी को लेकर किसानों की मांग पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है। किसान आंदोलन को लेकर राजनीति पर उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा जब इसको राजनीतिक पार्टियों के द्वारा संचालित किया जाएगा। इसलिए किसान संगठनों को राजनीतिक दलों से परहेज करना चाहिए। यह किसान आंदोलन स्वत:स्फूर्त है। इसलिए हम इसका समर्थन करते हैं। जिस दिन यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन समर्थित आंदोलन हो जाएगा, उस दिन यह आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा। इसलिए किसान संगठनों को राजनीतिक संगठनों से दूर रहना चाहिए। अगर यह आंदोलन राजग बनाम संप्रग प्लस होता है तो यह आंदोलन नहीं चल पाएगा।

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