Friday, April 19, 2024
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आज गोविंद बल्लभ पंत की पुण्यतिथि, पढ़ें पूरी खबर

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइड पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज मंगलवार यानि 7 मार्च को गोविंद बल्लभ पंत की पुण्यतिथि मनायी जा रही है। तो चलिए जानते है कौन थे गोविंद बल्लभ पंत…स्वतंत्रता सग्रांम सेनानी गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री। उनका कार्यकाल 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1954 तक रहा। इसके बाद में वे भारत के गृहमंत्री भी बने।

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भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में उन्होने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। भारत रत्न का सम्मान उनके ही गृहमन्त्रित्व काल में शुरू किया गया था। इसके बाद में यही सम्मान उन्हें 1947 में उनके स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान देने, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के गृहमंत्री के रूप में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा प्रदान किया गया था।

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितम्बर, 1887 उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले के खूंट (धामस) नामक गाँव में हुआ था। उनके के पिता का नाम श्री ‘मनोरथ पन्त’ था। इस परिवार का सम्बन्ध कुमाऊँ की एक बहुत प्राचीन और सम्मानित परम्परा से है।

गोविंद बल्लभ पंत की शिक्षा 

गोविन्द ने 10 वर्ष की आयु तक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की। 1897 में गोविन्द को स्थानीय ‘रामजे कॉलेज’ में प्राथमिक पाठशाला में दाखिल कराया गया। 1899 में 12 साल की आयु में तथा कक्षा सात में उनका विवाह हुआ। गोविन्द ने लोअर मिडिल की परीक्षा संस्कृत, गणित, अंग्रेज़ी विषयों में विशेष योग्यता के साथ प्रथम श्रेणी में पास की। गोविन्द ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और बी.ए. में उन्होने गणित, राजनीति और अंग्रेज़ी साहित्य विषयों को चुना। इलाहाबाद में गोविन्द को विभूतियां पं० जवाहरलाल नेहरु, पं० मोतीलाल नेहरु जैसे महापुरुषों का सान्निध्य सम्पर्क मिला।

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गोविंद बल्लभ पंत का योगदान 

  • 1914 में काशीपुर में ‘प्रेमसभा’ की स्थापना पंत जी के प्रयासो से ही हुई।
  • 1914 में पंत जी के प्रयासो से ही ‘उदयराज हिन्दू हाईस्कूल’ की स्थापना हुई। राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के आरोप में ब्रिटिश सरकार ने उस स्कूल के विरुद्ध डिग्री दायर कर नीलामी के आदेश जारी कर दिये। जब पंत जी को इस बात का पता चला तो उन्होंनें चन्दा मांगकर इसको पूरा किया।
  • 1916 में पंत जी काशीपुर की ‘नोटीफाइड ऐरिया कमेटी’ में शामिल हो गये। इसके बाद में वे कमेटी की ‘शिक्षा समिति’ के अध्यक्ष बने। कुमायूं में सबसे पहले निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा लागू करने का श्रेय भी पंत जी को ही जाता है।
  • गोविन्द बल्लभ पंतजी ने कुमायूं में ‘राष्ट्रीय आन्दोलन’ को ‘अंहिसा’ के आधार पर संगठित किया। शुरू से ही कुमाऊं के राजनीतिक आन्दोलन का नेतृत्व पंत जी के हाथों में रहा।
  • कुमाऊं में राष्ट्रीय आन्दोलन का शुरुआत कुली उतार, जंगलात आंदोलन, स्वदेशी प्रचार और विदेशी कपडों की होली व लगान-बंदी आदि से हुआ। इसके बाद में धीरे-धीरे कांग्रेस द्वारा घोषित असहयोग आन्दोलन की लहर कुमायूं में छा गयी। 1926 के बाद यह कांग्रेस में मिल गयी।
  • दिसम्बर 1920 में ‘कुमाऊं परिषद’ का ‘वार्षिक अधिवेशन’ काशीपुर में हुआ। जहां 150 प्रतिनिधियों के ठहरने की व्यवस्था काशीपुर नरेश की कोठी में की गई। गोविन्द बल्लभ पंतजी ने बताया कि परिषद का उद्देश्य कुमाऊं कि समस्यों को दूर करना है न कि सरकार से संघर्ष करना।
  • 23 जुलाई, 1928 को पन्त जी ‘नैनीताल ज़िला बोर्ड’ के चैयरमैन चुने गये। और वे 1920-21 में भी चैयरमैन रह चुके थे।
  • गोविन्द बल्लभ पंत जी का राजनीतिक सिद्धान्त था कि अपने क्षेत्र की राजनीति की कभी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। 1929 में गांधी जी कोसानी से रामनगर होते हुए काशीपुर भी गये। काशीपुर में गांधी जी लाला नानकचन्द खत्री के बाग़ में ठहरे थे। पंत जी ने काशीपुर में एक चरखा संघ की विधिवत स्थापना की।
  • नवम्बर, 1934 में गोविन्द बल्लभ पंत ‘रुहेलखण्ड-कुमाऊं’ क्षेत्र से केन्द्रीय विधान सभा के लिए निर्विरोध चुने गये।
  • 17 जुलाई, 1937 को गोविन्द बल्लभ पंत ‘संयुक्त प्रान्त’ के पहले मुख्यमंत्री बने जिसमें नारायण दत्त तिवारी संसदीय सचिव नियुक्त किये गये थे।
  • गोविन्द बल्लभ पन्त जी 1946 से दिसम्बर 1954 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। पंत जी को भूमि सुधारों में पर्याप्त रुचि थी। 21 मई, 1952 को जमींदारी उन्मूलन क़ानून को प्रभावी बनाया। मुख्यमंत्री के रूप में उनकी विशाल योजना नैनीताल तराई को आबाद करने की थी।
  • गोविन्द बल्लभ पंत जी एक विद्वान् क़ानून ज्ञाता होने के साथ ही महान् नेता व महान् अर्थशास्त्री भी थे। कृष्णचन्द्र पंत उनके सुयोग्य पुत्र केन्द्र सरकार में कई पदों पर रहते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे।
  • इलाहाबाद के तत्कालीन ‘म्योर सेण्ट्रल कॉलेज’ से स्नातक एवं वकालत की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
  • 1909 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडवोकेट बने और नैनीताल में वकालत प्रारम्भ की।
  • 1916 में ‘कुमायूँ परिषद’ की स्थापना की और इसी वर्ष ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ के सदस्य चुने गये।
  • 1923 में ‘स्वराज्य पार्टी’ के टिकट पर उत्तर प्रदेश ‘विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए।
  • 1927 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे।
  • नवम्बर, 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन का बहिष्कार किया।
  • 1921, 1930, 1932 और 1934 के स्वतंत्रता संग्रामों में गोविन्द बल्लभ पंत जी लगभग 7सालों तक जेलों में रहे।
  • 1937 से 1939 एवं 1954 तक केन्द्रीय सरकार के स्वराष्ट्र मंत्री रहे।

गोविंद बल्लभ पंत की मृत्यु 

गोविन्द बल्लभ पंत जी की हार्ट अटैक के कारण 7 मार्च, 1961 को मृत्यु हो गई।

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