नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल की तरह इस साल भी भाद्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाएगी। आज के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन लड्डू गोपाल की विधि विधान से पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
आपको बता दें कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस कारागार में मध्यरात्रि को जन्म लिया था। उसी रात्रि को श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव उन्हें गोकुल छोड़ आए थे। इसलिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा करने के साथ व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करने से जीवन सभी दुखों से मुक्ति मिलती है साथी ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
जन्माष्टमी पूजन की तिथि और मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की शुरुआत रविवार, 25 अगस्त 2024 को शाम 06.09 मिनट पर शुरू हो गई है और अगले दिन सोमवार 26 अगस्त 2024 को शाम 04. 49 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल जन्माष्टमी पर चंद्रमा के वृषभ राशि में होने से जयंती योग का निर्माण होगा। यह योग पूजा करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस मुहूर्त में पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 26 अगस्त को जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त देर रात 12.01 बजे से 12.45 तक रहेगा। ऐसे में भक्तों को पूजा करने के लिए सिर्फ 45 मिनट का ही मुहूर्त मिलेगा।
जन्माष्टमी पूजा सामग्री
कान्हा जी के लिए चौकी और लाल या पीला कपड़ा, पूजा की थाली, रुई, दीपक, तेल, अगरबत्ती, कपूर और धूप, फूल, गेंदे का फूल, तुलसी दल, केले के पत्ते, सुपारी, पान के पत्ते, गुलाब के फूल, मिठाई में लड्डू और पेड़ा, फल, दही, मक्खन, मिश्री, पंचमेवा, पंजीरी, पंचामृत यानी दही, दूध, घी, शहद और चीनी का मिश्रण, गंगाजल, इत्र की शीशी, चंदन, कुमकुम अक्षत और शुद्ध जल, लड्डू गोपाल के श्रृंगार के लिए बांसुरी, कुंडल, पगड़ी, कड़े, माला, टीका, कमरबंध, काजल, मोर पंख आदि, कान्हा जी के लिए झूला और मोरपंख।
लड्डू गोपाल का भोग
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग जरूर लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से श्रीकृष्ण भगवान बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने के साथ अपनी कृपा सदैव बनाए रखते हैं।
जन्माष्टमी पूजा विधि
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में जायें और वहां मोर-पंख अवश्य चढ़ाएं। घर के मन्दिर में ही भगवान श्रीकृष्ण को मोर पंख चढ़ाएं। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति का अच्छे से श्रृंगार करें और उनके लिए झूला तैयार करें। पूजा के समय भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र का 108 बार जप करें। रात 12 बजे की पूजा से पहले फिर से स्नान कर लें। फिर साफ वस्त्र पहनकर पूजा की तैयारी करें। उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक कराने के बाद फूल और फल चढ़ाएं। तरह-तरह के पकवान का भोग लगाएं। जन्माष्टमी की कथा सुनें और अंत में भगवान कृष्ण की आरती करें।
जन्माष्टमी पूजन का महत्व
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से संपूर्ण इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन विधिपूर्वक यशोदा नदंन की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। वहीं जिन दंपतियों की संतान की चाह है वे जन्माष्टमी की दिन लड्डू गोपाल की उपासना जरूर करें। साथ ही उन्हें माखन, दही, दूध, खीर, मिश्री और पंजीरी का भोग भी लगाएं। जन्माष्टमी का व्रत रखने से भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और धन-संपन्नता में भी बढ़ोतरी होती है।
What’s your Reaction?
+1
+1
+1
1
+1
+1
+1
+1